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महामारी में कालाबाजारी: 35 हजार में बेच रहे थे रेमडेसिविर इंजेक्शन, सात गिरफ्तार

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में पुलिस ने सात युवकों को गिरफ्तार किया।

B.K Kushwaha
Reporter B.K KushwahaPublished By Vidushi Mishra
Published on: 1 May 2021 4:02 PM GMT
झाँसी: रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में पुलिस ने सात युवकों को गिरफ्तार किया।
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कालाबाजारी करते पकड़े गए युवक(फोटो-सोशल मीडिया)

झाँसी: रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में पुलिस ने सात युवकों को गिरफ्तार किया। इनमें मेडिकल कालेज के दो संविदा कर्मचारी आदि लोग शामिल है। इनके कब्जे से दो असली रेमडेसिविर इंजेक्शन, दूसरी दवाई भरकर नकली 6 रेमडेसिविर इंजेक्शन, पांच एंटीजेन कोरोना रैपिड टेस्ट किट, तीन डिस्पोजेबल सिरिन्ज व अन्य सामग्री बरामद की गई।

आरोपित एक इंजेक्शन 35 हजार में बेच रहे थे। वैसे इनकी कीमत कंपनियों के अनुसार तीन हजार या इससे कम होती है। गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया। वहां से उनको जेल भेजा गया।

पकड़े गए कालाबाजारी करते युवक

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रोहन पी कनय ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि कुछ दिनों से लगातार शिकायतें मिल रही थी कि मेडिकल कालेज के स्टॉफ द्वारा रेमडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही है। मनमाफिक तरीके से इंजेक्शनों को बेचा जा रहा है।

इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए एसपी सिटी विवेक त्रिपाठी, सीओ सिटी राजेश कुमार सिंह के निर्देशन में एसओजी टीम और नवाबाद थाने की पुलिस की टीम को लगाया गया था। यह टीम मेडिकल कालेज के आस पास रेमडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले युवकों पर नजर रखे हुए थे।

सूचना मिली कि टीम ने एक ग्राहक को कालाबाजारी करने वाले युवकों ने कानपुर रोड पर स्थित पराग दुग्ध फैक्ट्ररी के पास बुलाया है। इस सूचना पर पुलिस टीम सक्रिय हो गई है। जैसे ही टीम पास में जाकर खड़ी हुई तो कालाबाजारी कर रहे युवकों ने रेमडिसिविर इंजेक्शन को एक ग्राहक को दिया।

ग्राहक से पैसा लिया। तभी घेराबंदी कर टीम ने सातों लोगों को पकड़ लिया। कड़ाई से पूछताछ की। पूछताछ के दौरान रेमडिसिविर इंजेक्शन का कालाबाजारी करने की बात स्वीकार की है।

ऐसे करते थे कालाबाजारी

पकड़े गए अभियुक्त जमुना प्रसाद व मनीष पाल ने बताया है कि हम लोग मेडिकल कालेज झाँसी में स्टॉफ नर्स के पद पर तैनात है। बताया कि हम जब देखते है कि किसी कोरोना मरीज की इलाज के दौरान मेडिकल कालेज कोविड वार्ड में बचने की संभावना नहीं है तो हम उसके इंजेक्शन को नहीं लगाते हैं।


और अपने पास रख लेते हैं, जब उसकी मृत्यु हो जाती है तो हम उस इंजेक्शन को बचा लेते हैं और जरुरत मन्दों को हम उसे 30 से 40 हजार रुपये में बेच देते हैं। अभियुक्त सचिन प्रजापति ने बताया कि वह सन्मति हॉस्पिटल में कंपाउंडर का काम करता हूं।

अन्य दवाइयों को मिलाकर अस्पताल से प्राप्त रेमडिसिविर की खाली शीशियों में तरल-रेमडिसिविर औषधि बनाकर लोगों को बेवकूफ बनाकर 30 से 40 हजार रुपयों में बेच देता हूं। विशाल बिरथने, हिमांशु समाधिया, हरेन्द्र पटेल ने भी बताया है कि वे भी अन्य दवाइयों को मिलाकर अस्पताल से प्राप्त रेमडेसिविर की खाली शीशियों में तरल रेमडेसिविर औषधि बनाकर लगोों को बेचते हैं।

हिमांशु समाधिया जैन्या नर्सिंग होम व मानवेन्द्र पटेल मानसस हॉस्पिटल में कंपाउंडर के पद पर तैनात है। हरेन्द्र पटेल उर्फ नीशू पटेल मानस हॉस्पिटल में सुपरवाइजर हैं। सभी व्यक्ति मेडिकल लाइन से जुड़े हैं, जो लोगों को असली रेमडिसिविर का झाँसा देकर जान बचाने की बात करके लोगों को ठगते हैं। इस मामले में राजेन्द्र कुशवाहा की तलाश की जा रही है।

इन अभियुक्तों को किया गिरफ्तार

प्रेमनगर थाना क्षेत्र के कृष्णानगर कालोनी निवासी जमुना प्रसाद, एट के ग्राम पिरौना व हाल गुमनावारा निवासी मनीष पाल, करगुंवा निवासी सचिन प्रजापति, नवाबाद थाना क्षेत्र के शिवाजी नगर निवासी विशाल बिरथरे, टहरौली निवासी हिमांशु समाधिया, टहरौली थाना क्षेत्र के ग्राम वरगुंवा निवासी मानवेन्द्र पटेल व उल्दन थाना क्षेत्र के इमिलिया व हाल मयूर बिहार कालोनी में रहने वाले हरेन्द्र पटेल को गिरफ्तार किया।

इस टीम को मिली सफलता

नवाबाद थाना प्रभारी निरीक्षक ईश्वर सिंह, इलाइट चौकी प्रभारी प्रमोद कुमार तिवारी, जेल चौकी प्रभारी दिनेश कुमार त्रिपाठी, मुख्य आरक्षी कलीम, कन्हैयालाल सोनी, आरक्षक कुलदीप सिंह, राहुल यादव, विनय कुशवाहा, कुंवर बहादुर, राधाकृष्ण, आकाश सिंह।

एसओजी प्रभारी राजेश पाल सिंह, सर्विलांस प्रभारी प्रेम सागर सिंह, मुख्य आरक्षी योगेन्द्र सिंह चौहान, शैलेन्द्र सिंह, पदस गोस्वामी, चंद्रशेखर, प्रदीप सेंगर, मुख्य आरक्षी चालक रमेश त्रिवेदी, सर्विलांस टीम के मुख्य आरक्षी दुर्गैश चौहान, मनोज कुमार, प्रशांत कुमार, जिनेद्र भदौरिया शामिल रहे हैं।

एक साल से चल रहे थे कारोबार

बताते हैं कि यह टीम एक साल से इस कारोबार को कर रही है। अभी तक 100 इंजेक्शन बेचे गए हैं। एक इंजेक्शन की कीमत 30 से 40 हजार रुपया के बेचा है। इस प्रकार टीम ने तीन करोड़ 30 लाख रुपयों का फायदा उठाया है।

गेट नंबर 2 के सामने खुलने वाली थी नई हॉस्पिटल

इस गैंग का मास्टर माइंडर विशाल बिरथरे हैं। इनके साथ मलबा के संविदा कर्मचारी मनीष जमुना, राजेन्द्र कुशवाहा जुड़े हुए थे। इन लोगों ने गेट नंबर 2 के सामने नई अस्पताल बनाने का मन बनाया था इसलिए रेमडिसिविर इंजेक्शन की खुलेआम कालाबाजारी की शुरुआत की है। इसमें मलबा के डॉक्टर भी शामिल है।

एसओजी की रडार पर है यह लोग

सूत्रों का कहना है कि पुलिस टीम को महत्वपूर्ण सुराग हाथ लग चुके हैं। इनमें मेडिकल कालेज का स्टॉफ, प्राइवेट नर्सिंग होम व मेडिकल स्टोर के लोग शामिल है। यह लोग काफी दिनों से इस कारोबारी को बढ़ावा दे रहे थे। गैंग के सदस्य इंजेक्शन की डिलिंग कहां करते थे, कहां बेचे थे, इसके सुराग भी हाथ लगे हैं।

Vidushi Mishra

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