TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

झांसी में हजारों हेक्टेयर भूमि पड़ी बेकार, नहीं हो रहे कृषि कार्य

बुंदेलखंड में खासतौर पर झांसी में अधिकांश लोग कृषि कार्य से जुड़े हुए थे। समय से साथ-साथ लोगों का रुझान कृषि कार्य से कम हो गया। अब यह स्थिति है कि उत्पादन में ठहराव से आ गया है।

Newstrack
Published on: 28 Dec 2020 1:15 PM IST
झांसी में हजारों हेक्टेयर भूमि पड़ी बेकार, नहीं हो रहे कृषि कार्य
X
झांसी में हजारों हेक्टेयर भूमि पड़ी बेकार, नहीं हो रहे कृषि कार्य (PC: social media)

झांसी: एक ओर सरकार कृषि उत्पादन बढ़ाने और भूमि सुधार पर जोर दे रही है, वहीं झांसी जनपद में हजारों हेक्टेय भूमि का कोई उपयोग नहीं हो रहा है, न तो यहां कृषि कार्य हो रहे हैं और न ही भूमि सुधार, वन विकसित करने के कार्य पर जोर दिया जा रहा है। झांसी जनपद में कुल प्रतिवेदित क्षेत्र 501.327 हजार हेक्टेयर है, जिसमें से 362.099 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में कृषि कार्य किये जाते हैं। बाकी की भूमि की बात करें तो वन क्षेत्रफल तुलना में बहुत कम है। वहीं परती भूमि, बेकार भूमि, ऊसर एवं कृषि के अयोग्य भूमि , वृक्ष, झाड़ियां आदि भी हजारों हेक्टेयर में हैं। सरकार एक तरफ उत्पादन बढ़ाने, भूमि सुधार की बात करती है, साथ ही योजनाएं भी चलाती है परंतु इन भूमियों का सुधार नहीं किया जा सका है।

ये भी पढ़ें:ऐसा आलीशान घर: चारो तरफ नजर आ रहा पानी-पानी, किस्मत वाले ही रहते हैं यहां

बुंदेलखंड में खासतौर पर झांसी में अधिकांश लोग कृषि कार्य से जुड़े हुए थे

बुंदेलखंड में खासतौर पर झांसी में अधिकांश लोग कृषि कार्य से जुड़े हुए थे। समय से साथ-साथ लोगों का रुझान कृषि कार्य से कम हो गया। अब यह स्थिति है कि उत्पादन में ठहराव से आ गया है। गांव की अधिकांश खेती की जमीन का पारिवारिक बटवारा होने से समस्या खड़ी हो गयी है। जहां पहले एक खेत को हल बैल जोतते थे, अब उसके चार टुकड़े हो गये हैं, इनमें ट्रैक्टर से जुताई हो रही है। कई खेत तो खाली ही पड़े रहते हैं। अब बात करें जो भूमियां कृषि योग्य नहीं हैं तो उनका क्षेत्रफल भी बहुत ज्यादा है। इनमें वन क्षेत्रफल को छोड़ दिया जाए तो कृषि बेकार भूमि 16.179 हजार हेक्टेयर है, ऊसर एवं कृषि के अयोग्य क्षेत्रफल 32.045 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल है, वर्तमान में परती भूमि 21.972 हजार हेक्टेयर, अन्य परती भूमि का 8.056 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल है।

मालूम हो कि बुंदेलखंड में पानी की बहुत कमी है

मालूम हो कि बुंदेलखंड में पानी की बहुत कमी है। सिंचाई के साधन भी बहुत कम हैं। यहां ज्यादातर किसान सिंचाई के संसाधनों के अभाव वर्षा आधारित खेती करते हैं। पानी की उपलब्धता होने पर यहां कृषि कार्य किये जाते हैं। हां, एक बात जरूर है कि पंजाब और हरियाणा की तुलना में यहां भूमिगत जल का दोहन बहुत कम है, वहीं रासायनिक खादों का प्रयोग भी इन दोनों राज्य की तुलना में कम ही किया जाता है। ऐसे में यहां की फसलों सब्जियों व फलों में इन राज्यों की तुलना में पौष्टिकता ज्यादा है। यहां सबसे अखरने वाली बात यह है कि भूमि सुधार के भागीरथी प्रयासों की कमी है। यदि यहां भूमि सुधार के कार्य करके इनमें जीवांश कार्बन की मात्रा को बढ़ा दिया जाए तो निश्चित तौर पर बुंदेलखंड फसल उत्पादन बढ़ सकता है।

ये भी पढ़ें:कर्नाटक: कैबिनेट ने पास किया गोवध-विरोधी अध्यादेश, राज्यपाल के पास भेजा गया

कृषिवद् वी के सचान का कहना है

कृषिवद् वी के सचान का कहना है कि बेकार पड़ी भूमियों का सुधार करके खेती कार्य किये जाने से उत्पादन तो बढ़ेगा साथ ही पर्यावरण भी दुरुस्त रहेगा। वहीं डॉ.अनिल कुमार सोलंकी का कहना है कि बुंदेलखंड में खरीफ की तुलना में रबी की फसल ज्यादा ली जाती है। यहां जायद में फसल उत्पादन लेने का कार्य किसान न के बराबर करते हैं। कृषि से जुड़े नीरज साहू व रवि सिंह का कहना है कि भूमि की उर्वरत बढ़ाने के लिए किसान को फसल चक्र अपनाना चाहिए।

रिपोर्ट- बी.के.कुशवाह

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story