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Jhansi News: 16 नगरों में आयोजित दो दिवसीय रामायण कॉन्क्लेव का समापन
Jhansi News: राजकीय संग्रहालय में हो रहे समारोह के दूसरे एवं अंतिम दिन पूर्वाह्न काव्याराधन का आयोजन किया गया जिसमें कवियों ने प्रभु श्रीराम पर आधारित काव्य रचनाओं का पाठ किया।
Jhansi News: दो दिवसीय रामायण कॉन्क्लेव के दूसरे दिन शुक्रवार को काव्य एवं संगीत के माध्यम से प्रभु श्रीराम का स्मरण किया गया। प्रभु श्रीराम की कथा के मूल और प्रेरक तत्वों को रेखांकित करने और उसकी ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए प्रदेश के 16 नगरों आयोजित हो रहे इस उत्सव शृंखला की छठी कड़ी में झांसी में यह दो दिवसीय समारोह आयोजित किया गया। संस्कृति विभाग के अयोध्या शोध संस्थान द्वारा यह समारोह प्रदेश के पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन तथा लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के सहयोग से आयोजित हो रहा है।
राजकीय संग्रहालय में हो रहे समारोह के दूसरे एवं अंतिम दिन पूर्वाह्न काव्याराधन का आयोजन किया गया जिसमें कवियों ने प्रभु श्रीराम पर आधारित काव्य रचनाओं का पाठ किया। काव्यपाठ करते हुए वरिष्ठ कवि श्री प्रताप नारायण दुबे ने सुनाया-'हे मन क्यों हैरान है, मत कर सोच विचार, राम नाम के जाप से हो भवसागर पार'। काव्यगोष्ठी का संचालन कर रहे श्री अर्जुन सिंह चांद ने सुनाया-'राम हमारी अस्मिता, राम हमारा मान, राम बिना कब पूर्ण है, अपना हिन्दुस्तान'।
उरई के डॉक्टर अनुज भदौरिया ने सुनाया- 'राम पावन सरित सरयू की सुगंधित रेंत में, राम से मिलना तो मिलना निज हृदय साकेत में'। झांसी के श्री संजीव दुबे ने सुनाया-'सच में राम अगर आ जाएं, उनके पथ पर कौन चलेगा, जिस सांचे में राम ढले थे, उस सांचे में कौन ढलेगा'। झांसी के ही श्री रिपुसूदन नामदेव ने सुनाया-'राष्ट्र की अस्मिता के प्रतीक, राम सबके लिए चारो धाम हैं, राम के आदर्शों पर चलो सदा, यही रामराज्य है, यही असली संविधान है'।
काव्याराधन में उरई ( जालौन) की रुचि वाजपेयी ने आरंभ में वाणी वंदना प्रस्तुत की। तदनन्तर उन्होंने सुनाया -'कौशल्या की गोंद में खेलें रामचन्द्र रघुराई, सिंहासन का त्याग किया औ धर्म ध्वजा फहराई'। कोंच के संजीव सरस की कविता की कुछ पंक्तियां इस प्रकार थीं-'ताप से संताप से जब ये धरा जलने लगी, हर समय संसार को जब त्रासदी मिलने लगी, जीना मुश्किल हो गया जब सुबह का और शाम का, तब हुआ अवतार धरती पर प्रभु श्रीराम का'। नगर के ही श्री संजय राष्ट्रवादी ने सुनाया-'रामराज्य की परिकल्पना अब होने लगी साकार, आई है जब से देश में सनातनी सरकार'। डॉक्टर पवन तूफान ने सुनाया-'राम आपका अभिनंदन है, फिर धरती पर आ जाओ'। प्रयागराज की सुश्री प्रतिमा मिश्रा ने सुनाया-'सांवरे तेरे दरश की आंखें दिवानी हो गईं जब, जिंदगी तेरी मुहब्बत की निशानी हो गई जब'। श्री अभिषेक बबेले ने सुनाया-'जो अब तक सबसे होती आयी, मैं वो अंजानी कहता हूं, राम सेतु को आज भी मैं तो, प्रेम निशानी कहता हूं'। सुश्री नंदिनी तोमर ने सुनाया-'जो राम का नहीं, वो किसी काम का नहीं'।
स्वागत भाषण करते हुए लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के निदेशक श्री अतुल द्विवेदी ने कहा कि रामायण कॉन्क्लेव के अन्तर्गत हुई गतिविधियों तथा व्यक्त किए गए विचारों का अभिलेखीकरण का कार्य भी हो रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय बौध्द शोध संस्थान के उपाध्यक्ष हरगोविन्द कुशवाहा ने कहा कि रामकथा की दृष्टि से बुंदेलखंड महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। संस्कृतिकर्मी नईम ने बताया कि उन्होंने बचपन से ही रामलीला में सक्रिय भागीदारी की है। उन्होंने बताया कि जब विश्वप्रसिद्ध कोंच की रामलीला में विवाद हुआ तो जेल भरो आंदोलन का नेतृत्व मोहम्मद सलीम ने किया था।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मन मोहा
रामायण कॉन्क्लेव के अंतिम दिन शुक्रवार को सायंकाल सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रसिद्ध शर्मा बंधु के श्री आंजनेय शर्मा श्रीराम पर आधारित भक्ति संगीत प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। संध्या में बुंदेली गायन एवं महोबा के शिवशक्ति रामलीला मंडल द्वारा रामलीला मंचन के कार्यक्रम भी आकर्षण का केन्द्र थे।