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Jhansi News: झांसी में भव्य रूप से संपन्न हुआ 40 दिवसीय चालिहो महोत्सव, सिंधी समाज की आस्था और एकता का प्रतीक
Jhansi News: महोत्सव के समापन के अवसर पर विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के हर आयु वर्ग के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
Jhansi News: झांसी में सिंधी समाज का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व, चालिहो महोत्सव, मंगलवार को बेहद धूमधाम और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। 40 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव ने न केवल सिंधी समाज बल्कि पूरे झांसी शहर को भक्तिमय कर दिया। पूज्य सेन्ट्रल सिंधी पंचायत भवन स्थित झूलेलाल मंदिर में आयोजित इस महोत्सव का समापन समारोह एक ऐतिहासिक घटना के रूप में सामने आया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भगवान झूलेलाल की आराधना की।मंगलवार को पूज्य बहराणा साहिब के अनुष्ठान से इस महोत्सव के समापन की शुरुआत हुई। झूलेलाल मंदिर परिसर में 40 दिनों से चल रहे सहज पाठ का विधिवत समापन किया गया। इसके बाद, व्रतधारियों और श्रद्धालुओं ने कुण्डी पर जल के छीटों से पल्लव किया और भगवान झूलेलाल के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित की। इस अवसर पर समाज के प्रमुख व्यक्तियों ने भी भगवान झूलेलाल के समक्ष अपनी प्रार्थनाएं अर्पित कीं।
जगह-जगह पर फूलों की वर्षा की
महोत्सव के समापन के अवसर पर विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें समाज के हर आयु वर्ग के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। सिर पर कलश धारण किए हुए व्रतधारियों की अगुवाई में यह शोभायात्रा झूलेलाल मंदिर से शुरू होकर शहर की प्रमुख गलियों से होती हुई ओरछा स्थित पवित्र बेतवा नदी के तट पर पहुंची। शोभायात्रा के मार्ग में विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संगठनों ने श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत किया। जगह-जगह पर फूलों की वर्षा की गई और श्रद्धालुओं के लिए शीतल पेय की व्यवस्था की गई।शोभायात्रा के ओरछा पहुंचने के बाद, संत श्री छोटूराम साईं जी (डबरा) और संत श्री भोलाराम जी (कानपुर) के नेतृत्व में 40 दिवसीय अखण्ड ज्योत का पवित्र बेतवा नदी में विसर्जन किया गया। ज्योति विसर्जन के दौरान पूरे माहौल में एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ। समाज के बुजुर्ग, महिलाएं, और बच्चे सब मिलकर भगवान झूलेलाल से विश्व शांति, मानव कल्याण और समाज की समृद्धि के लिए प्रार्थना कर रहे थे। भगवान झूलेलाल की प्रतिमा का भी इस अवसर पर पवित्र नदी में विसर्जन किया गया।
समाज के सदस्यों में एक नई ऊर्जा और उत्साह भरा
पूज्य सिंधी सेंट्रल पंचायत के अध्यक्ष हरीश हासानी ने इस महत्वपूर्ण अवसर पर समाज के लिए एक नई और बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि भगवान झूलेलाल का एक भव्य मंदिर निर्माण किया जाएगा, जो न केवल समाज की आस्था का केंद्र होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बनेगा। इस घोषणा ने समाज के सदस्यों में एक नई ऊर्जा और उत्साह भर दिया।समापन समारोह के बाद, संत श्री छोटूराम साईं जी और संत श्री भोलाराम जी ने भक्तों के लिए सत्संग और कीर्तन का आयोजन किया, जिसमें भगवान झूलेलाल की महिमा का गुणगान किया गया। भक्तों ने भक्ति रस में डूबकर इस आयोजन का भरपूर आनंद लिया। इसके पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और भगवान झूलेलाल के आशीर्वाद प्राप्त किए।यह महोत्सव पिछले 49 वर्षों से झांसी के पूज्य सेन्ट्रल सिंधी पंचायत भवन रानी महल पर आयोजित हो रहा है, और पिछले 26 वर्षों से झूलेलाल सिंधी सेवा मंडल इसके आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस महोत्सव में व्रतधारी श्रद्धालु 40 दिनों तक व्रत रखकर सुबह से शाम तक भगवान झूलेलाल की आराधना करते हैं। यह पर्व सिंधी समाज की समृद्ध परंपरा, एकता और धार्मिक आस्था का प्रतीक है।
यह लोग रहे मौजूद
इस महोत्सव में झांसी के समाज के कई प्रमुख व्यक्तित्व और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिन्होंने इस आयोजन को और भी भव्य और महत्वपूर्ण बना दिया। इनमें पं. कपिल शर्मा, किशोर फबयानी, राम अहूजा, राजकुमार बसरानी, चंद्रप्रकाश नैनवानी, दिनेश कोडवानी, वासुदेव वाधवा, रोहित अशवानी, सुरेश ठारवानी, अनिल माखीजा, अशोक जैसवानी, दिनेश आहूजा, महेश अशवानी, चंदू कोडवानी, प्रमोद फुलवानी, आकाश खियानी, दीपक बचवानी, विनीता नैनवानी, हिना कुकरेजा, नीलम खेमानी, सरोज जैसवानी, भावना चंचलानी, कौशल्या देवी, महक खियानी, परी चंचलानी आदि। सैकड़ो भक्तजन मौजूद रहे। समारोह के अंत में दिनेश कोडवानी ने सभी उपस्थित श्रद्धालुओं, समाज के सदस्यों और आयोजन में सहयोग देने वाले सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस महोत्सव को सफल बनाने के लिए समाज के प्रत्येक सदस्य के योगदान की सराहना की और भविष्य में इसे और भी भव्य रूप में आयोजित करने का संकल्प लिया। चालिहो महोत्सव का यह समापन समारोह सिंधी समाज की आस्था, एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का जीता-जागता उदाहरण था। इस महोत्सव ने न केवल सिंधी समाज के लोगों को एकजुट किया, बल्कि झांसी के सांस्कृतिक परिदृश्य में भी एक नई रोशनी बिखेरी।