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Jhansi News: बुंदेलखण्ड में शकरकंद एवं कंद फसलों की खेती की प्रचुर सम्भावनाएं
Jhansi News: रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के सभागार में सत्ताइसवें व्याख्यान ‘खाद्य सुरक्षा और आर्थिक लाभ के लिए जड़ और कंद फसलों का महत्त्व’ का आयोजन किया गया।
Jhansi News: रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के सभागार में अटल जय विज्ञान व्याख्यान माला के अर्न्तगत सत्ताइसवें व्याख्यान ‘खाद्य सुरक्षा और आर्थिक लाभ के लिए जड़ और कंद फसलों का महत्त्व’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अर्न्तराष्ट्रीय आलू केन्द्र (सीआईपी) पैरू दक्षिण अमेरिका के महानिदेशक डॉ. साइमन हैक रहे। अध्यक्षता कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने की। विशिष्ट अतिथि डॉ. यू.एस. सिंह सीआईपी, दिल्ली रहे। सभी अतिथियों ने मां सरस्वती पर पुष्प माला पहनाकर तथा विवि के कुलगीत के साथ दीप प्रज्जवलित किया। कार्यक्रम संयोजक निदेशक शिक्षा डॉ. अनिल कुमार ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए अटल जय विज्ञान ब्याख्यान माला की विस्तार से जानकारी दी।
कंद फसलों की खेती से बुंदेलखण्ड में पोषण एवं आर्थिक समृद्धि के द्वार खुलेंगे
मुख्य अतिथि अर्न्तराष्ट्रीय आलू केन्द्र के महानिदेशक डॉ. साइमन हैक ने कहा कि कंद फसलें विटामिन ए, कैरोटीन एवं अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। कंद फसलों की खेती से बुंदेलखण्ड में पोषण एवं आर्थिक समृद्धि के द्वार खुलेंगे। भारत में कंद एवं जड़ फसलों को पुर्नजीवित करने की आवश्यकता है और बदलते जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष में खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने सीआईपी द्वारा कंद फसलों की नई प्रजातियों को विकसित करने, मूल्य सबर्धन तथा पोस्ट हारवेस्ट तकनीकी के विषय में विस्तार से बताया। महानिदेशक डॉ. साइमन हैक ने कहा कि अर्न्तराष्ट्रीय आलू केन्द्र पूरू एवं रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी एक साथ मिलकर कार्य कर सकते हैं।
कंद एवं जड़ फसलों की असीम संभावनाएं है बुंदेलखंड में
विशिष्ट अतिथि डॉ. यू.एस. सिंह सीआईपी, दिल्ली ने कहा कि बुंदलेखण्ड क्षेत्र में कंद एवं जड़ फसलों की असीम संभावनाएं हैं। सीआईपी के द्वारा बुंदेलखण्ड जैसे गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों के अनुकूल प्रजातियां विकसित की गईं हैं जोकि बुंदेलखण्ड के किसानों के लिए लाभप्रद हैं। कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। विवि के उत्पाद भी अतिथियों को भेंट किए गए। उन्होंने कहा कि बुंदेलखण्ड क्षेत्र के किसान खरीफ सीजन में अरबी की खेती कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही अर्न्तराष्ट्रीय आलू केन्द्र के साथ साझेदारी होना बुंदेलखण्ड क्षेत्र के किसानों के लिए लाभकारी साबित होगा।
यह लोग रहे मौजूद
इस अवसर पर डॉ. एसएस सिंह, डॉ. आरके सिंह, डॉ. बीपी सिंह, डॉ. बीके बेहेरा, डॉ. एसएस कुशवाह, डॉ. डीवी सिंह, डॉ. एमजे डोबरियाल, डॉ. योगेश्वर सिंह, डॉ. गौरव शर्मा, सहित विवि के सभी वैज्ञानिक, शिक्षक तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे। आयोजन समिति के डॉ. शुभा त्रिवेदी, डॉ. श्रवण शुक्ला, डॉ. वैभव सिंह ने कार्यक्रम सफल बनाने में अहम योगदान दिया। संचालन डॉ. युमनाम बीजीलक्ष्मी ने तथा अधिष्ठाता उद्यानिकी एवं वानिकी डॉ. मनीष श्रीवास्तव ने सभी का आभार व्यक्त किया।