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Jhansi News: नामित अभियुक्त को विवेचना से निकालकर वादी को ही अभियुक्त बनाया
Jhansi News Today: मालूम हो कि बबीना थाना क्षेत्र के ग्राम खैलार निवासी रानी यादव ने पति मोहन सिंह यादव की हत्या के मामले में एमएलसी श्याम सुंदर सिंह यादव के भांजे अभिजीत यादव, अभिषेक यादव और मुन्नालाल साहू के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।
Jhansi News Today Additional District Judge Angry ( Photo- Social Media)
Jhansi News in Hindi: झांसी। नामित अभियुक्त को विवेचना से निकालकर वादी को ही अभियुक्त बनाने के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कड़ी नाराजगी जताई है। साथ ही न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा है कि विवेचक का विवेचना में रवैया बेहद आपत्तिजनक है। इस पर न्यायाधीश ने तत्कालीन विवेचक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गृह मंत्रालय और एसएसपी को पत्र लिखा है।
मालूम हो कि बबीना थाना क्षेत्र के ग्राम खैलार निवासी रानी यादव ने पति मोहन सिंह यादव की हत्या के मामले में एमएलसी श्याम सुंदर सिंह यादव के भांजे अभिजीत यादव, अभिषेक यादव और मुन्नालाल साहू के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज कर लिया था। इस मामले की विवेचना तत्कालीन बबीना थाना प्रभारी ईश्वर सिंह ने की थी।
अभियोजन पक्ष ने कहा है कि वादी रानी यादव के पति मोहन सिंह यादव अशिक्षित व मंद बुद्धि के कृषक थे। उसकी ग्राम खैलार में झांसी ललितपुर हाइवे पर उसके पति मोहन सिंह व जेठ शिरोमन के नाम कृषि भूमि है। जिस पर भूमाफियाओं की नजर है। उसके पति मोहन सिंह के मित्र मुन्नालाल साहू निवासी साकेत नगर जमीनीं की खरीद फरोख्त व मुहायदा कूट रचित दस्तावेज बनवाकर अभिजीत सिंह व उसके भाई अभिषेक निवासी ठाठीपुर गली नंबर तीन, ग्वालियर के साथ मिलकर प्लाटिंग का कार्य करते हैं। उक्त मुन्नालाल साहू ने उसके पति को लोन दिलाने के नाम पर 2 फरवरी 2018 को तहसील झांसी में फर्जी दस्तावेज बनवाकर साढ़े नौ लाख रुपया के चेक दिलवाकर कपटपूर्वक तरीके से उसके पति को लोन दिलाने का षडयंत्र रचकर उपरोक्त 1/2 भाग का मुहायदा साठ लाख रुपयों से उक्त अभिजीत सिंह के नाम करवा दिया तथा उसके भाई अभिषेक सिंह यादव व अपने साथी मनोज, बालकिशन कुशवाहा को गवाह बना दिया। 10 जून 2018 को जब उक्त लोग वादी की जमीन पर कब्जा करने आए तब उसकी जानकारी वादी को हुई थी। इसके बावत सिविल जज का मामला प्रस्तुत किया। इसमें विपक्षी अभिजीत सिंह आदि उपस्थित हुए तो वह लोग घबरा गए। उपरोक्त भूमि उन्हें नहीं मिल पाएगी। यह लोग सपा के पूर्व एमएलसी श्याम सुंदर यादव के सगे भांजे है। श्याम सुंदर सिंह प्रभावशाली व बड़े आदमी रहे हैं।
अभिजीत सिंह यादव द्वारा अपने बयान में बताया था कि वह अपने मामा का कंस्ट्रक्शन का भी काम देखता था। आरोप है कि अभियुक्त मुन्नालाल साहू एक बार उसके घर आया और दूसरी बार स्वतः वह उसके पास आया था। घर पर उसको बताकर आया था कि अपने पति मुन्नालाल साहू के समस्त प्रपत्रों के साथ थाना पर भेजा। यह बात सही है कि उ तारीख तक अभियुक्त मुन्नालाल नामित अभियुक्त था। विवेचक का कहना था कि उसने 302 के मुकदमे की विवेचना की है। यह बात भी सही है कि उसने धारा 302 के मुकदमे में किसी भी अभियुक्त का 41 ए का नोटिस लेकर छोड़ा नहीं है। अभियुक्त मुन्नालाल ने जो प्रपत्र उसे उपलब्ध कराए थे, उन प्रपत्रों को न तो उसके द्वारा तहसील व बैक में जाकर कोई सत्यापन नहीं कराया गया था और न ही उनके लेख के संबंध में किसी के बयान अंकित किए थे।
विवेचक ने कहा कि यह मोबाइल की लोकेश हो सकती है व्यक्ति की नहीं, किन्तु फिर भी तथाकथित चक्षुदर्शी साक्षी मोहनलाल राजपूत का बयान न्यायालय में नहीं कराया गया। कुल मिलाकर एेसा कोई साक्ष्य पत्रावली पर नहीं आ सका है जिससे अभियोजन का कथानक लेशमात्र में नामित अभियुक्तगण के खिलाफ मुक्तियुक्त संदेह से परे जाकर साबित हो सके। साक्षियों का साक्ष्य इतना दिशाहीन तथा आधारहीन है कि वह किसी भी स्तर पर अभियोजन कथानक को योगदान नहीं कर रहा है। एेसी स्थिति में इस न्यायालय का मत है कि अभियुक्तगण दोषमुक्त किए जाने योग्य है। किंतु इसी तरह पर यह भी आवश्यक हो जाता है कि प्रथम विवेचक ईश्वर सिंह जिसने विवेचना में इतना बड़ा फेरबदल किया कि तहरीर में नामित अभियुक्तगण को विवेचना से निकालकर वादिया को अभियुक्त बना दिया है।
अदालत का कहना है कि आश्चर्यजनक रुप से उसने धारा 302 के नामित अभियुक्त मुन्नालाल साहू को धारा 41 के नोटिस का लाभ दिया और उसी के बयान के आधार पर वादिया रानी यादव के खिलाफ धटना का आधार निर्मित किया। विवेचक ईश्वर सिंह ने स्वयं अपनी जिरह में माना कि मैं पहले गवाहान के धारा 161 के बयानात को अपनी निजी डायरी में लिखता हूं और उसके बाद ुस डायरी से जितना उचित होता है उतना ही बयान कम्प्यूटरीकृत करता हूं। यह बात सही है कि आज में रफ डायरी लेकर नहीं आया हूं और मुझे यह यादव नहीं है कि वह मेरे पास है या नहीं। इससे यह संदेह और गहरा जाता है कि विवेचक अपने मनगढ़ंत बयान भी कम्प्यूटरीकृत करा सकता है। विवेचक ईश्वर सिंह का उक्त मामले में विवेचना का रवैया बेहद आपत्तिजनक, संदेहजनक तथा इत्तर निष्कर्षों की ओर इंगित करने वाला है जो उनकी अपने शासकीय दायित्व व कर्तव्य के प्रति सत्यनिष्ठा को प्रभावित करता है। एेसे में यह आवश्यक हो जाता है कि उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई हेतु विभागीय स्तर पर गृह मंत्रालय और एसएसपी को पत्र लिखा है। एेसी स्थिति में इस न्यायालय का मत है कि अभियोजन अपने कथानक को मुक्तियुक्त संदेह से परे जाकर साबित नहीं कर सका है। अतः अभियुक्तगण लगाए गए आरोपों से दोषमुक्त किए जाने योग्य है।