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Jhansi: बरुआसागर किला बनेगा हैरिटेज होटल, पुरातत्वीय धरोहर से नहीं की जाएगी छेड़छाड़
Jhansi: बरुआ सागर किले की बनावट कुछ इस प्रकार है, जिससे यहाँ चारों ओर हरियाली और पेड़-पौधे मौजूद हैं। साथ ही पास में ही बरुआसागर झील इस किले को ठंडक पहुंचाती है।
Jhansi News: बरुआसागर किले को हैरिटेज होटल बनाने के लिए पर्यटन विभाग उसे पीपीपी मॉडल के तहत लीज पर देने की तैयारी में है। इसके लिए योजना तैयार करते समय कई कम्पनियों के प्रस्ताव आए। राजस्थान की कम्पनी का चयन किया गया और उनका प्रस्ताव मंत्रालय तक पहुंच चुका है। बस, वहां से स्वीकृति मिलने का इंतजार है। पर्यटन विभाग के अनुसार कंपनी इस पर 100 करोड़ रुपए खर्च करेगी। लीज का समय 60 वर्ष होगा।
उल्लेखनीय है कि देश की बड़ी धरोहरों को पर्यटन विभाग द्वारा पीपीपी मॉडल के तहत लीज पर दिया जा रहा है। इसके तहत कम्पनियां उस धरोहर को लीज पर लेकर होटल व्यवसाय, साधना केन्द्र जैसी गतिविधियों द्वारा उसका उपयोग कर धन कमा रहीं हैं। फिल्मों की शूटिंग आदि के लिए भी इनके उपयोग किए जा सकते हैं। परन्तु, पुरातत्व और पर्यटन के नियमों के तहत कई दिक्कतें हैं। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार लीज पर देने के लिए धरोहर से पुरातत्व विभाग को अपना संरक्षण हटाना पड़ेगा। इससे पुरातत्व विभाग के नियम किसी भी कम्पनी के कार्य में बाधा न बनें और उस धरोहर पर विभाग का नियंत्रण भी बना रहे। इसके लिए पर्यटन विभाग द्वारा अपनी शर्तों पर उक्त धरोहर को लीज पर दे देता है।
बता दें कि दिल्ली का लाल किला भी देश की एक बड़ी कम्पनी को लीज पर दिया हुआ। इस सम्बंध में पर्यटन अधिकारी कीर्ति ने बताया कि प्रदेश के पर्यटन विभाग ने जिन ऐतिहासिक स्मारकों को हेरिटेज होटल बनाने के लिए चिह्नत किया है, इसमें झांसी के बरुआसागर किला समेत लखनऊ का छतर मंजिल, दर्शन विलास कोठी, मिर्जापुर का चुनार किला, मथुरा का बरसाना महल जैसे स्थान भी शामिल हैं। इन किलों को हेरिटेज होटल में तब्दील कर यहां वेलनेस सेंटर, रिजॉर्ट, म्यूजियम, हेरिटेज रेस्टोरेंट, बैंक्विट हॉल, वेडिंग टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म, होम स्टे जैसी सुविधाएं दी जाएंगी। कंपनी द्वारा धरोहर के मूल स्वरूप में छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
रानी लक्ष्मीबाई के समर पैलेस के नाम से मशहूर है बरुआ सागर किला
बुंदेलखंड क्षेत्र का तापमान गर्मी के मौसम में काफी अधिक रहता है। यहां चिलचिलाती धूप से लोग परेशान रहते थे। बरुआ सागर किले की बनावट कुछ इस प्रकार है, जिससे यहाँ चारों ओर हरियाली और पेड़-पौधे मौजूद हैं। साथ ही पास में ही बरुआसागर झील इस किले को ठंडक पहुंचाती आई है। माना जाता है कि महारानी झांसी के शासनकाल में जब गर्मी अपने चरम पर होती थी, तब रानी झांसी के किले से निकल कर कुछ महीने प्रकृति के बीचो-बीच बसे इस किले में गुज़ारती थीं। इस कारण बरुआ सागर किले को रानी लक्ष्मीबाई के समर पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। बुंदेला राजा उदित सिंह द्वारा बनवाए गए इस किले में पांच खंड मौजूद हैं। इन खंडों में छोटे-बड़े कई कमरे बने हुए हैं।