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Jhansi News: बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान ने उठाई मांग, बाल विवाह के खिलाफ पूरे देश में उठाए जाएं सख्त कदम

Jhansi News: 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस' के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “बाल विवाह वह घृणित अपराध है जो सर्वत्र व्याप्त है और जिसकी हमारे समाज में स्वीकार्यता है।

Gaurav kushwaha
Published on: 4 May 2024 3:59 PM IST
Bundelkhand Seva Sansthan raised demand, strict steps should be taken against child marriage in the entire country
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बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान ने उठाई मांग, बाल विवाह के खिलाफ पूरे देश में उठाए जाएं सख्त कदम: Photo- Newstrack

Jhansi News: प्रदेश में बाल विवाह की रोकथाम सुनिश्चित करने के राजस्थान हाई कोर्ट के फौरी आदेश के बाद पूरे देश में आवाजें उठने लगी हैं कि उनके राज्य में भी ऐसे सख्त कदम उठाए जाएं। उत्तर-प्रदेश के जिले झांसी में 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस' के सहयोगी संगठन 'बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान' ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह भी इस नजीर का अनुसरण करते हुए सुनिश्चित करे कि अक्षय तृतीया के दौरान कहीं भी बाल विवाह नहीं होने पाए। हाई कोर्ट का यह फौरी आदेश ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस’ की जनहित याचिका पर आया है।

इन संगठनों ने अपनी याचिका में इस वर्ष 10 मई को अक्षय तृतीया के मौके पर होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की थी। न्यायमूर्ति शुभा मेहता और पंकज भंडारी की खंडपीठ ने कहा, “सभी बाल विवाह निषेध अफसरों से इस बात की रिपोर्ट मंगाई जानी चाहिए कि उनके अधिकार क्षेत्र में कितने बाल विवाह हुए और इनकी रोकथाम के लिए क्या प्रयास किए गए।” खंडपीठ का यह आदेश अक्षय तृतीया से महज 10 दिन पहले आया है। याचियों द्वारा बंद लिफाफे में सौंपी गई अक्षय तृतीया के दिन होने वाले 54 बाल विवाहों की सूची पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार को इन विवाहों पर रोक लगाने के लिए ‘बेहद कड़ी नजर’ रखने को कहा है। यद्यपि इस सूची में शामिल नामों में कुछ विवाह पहले ही संपन्न हो चुके हैं लेकिन 46 विवाह अभी होने बाकी हैं।

बाल विवाह को रोकने में विफलता पर पंचों व सरपंचों को ठहराया जाएगा जवाबदेह

'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस' के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “बाल विवाह वह घृणित अपराध है जो सर्वत्र व्याप्त है और जिसकी हमारे समाज में स्वीकार्यता है। बाल विवाह को रोकने के लिए 120 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठन सहयोगी के तौर पर जुड़े हुए हैं बाल विवाह के मामलों की जानकारी देने के लिए पंचों व सरपंचों की जवाबदेही तय करने का राजस्थान हाई कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है। पंच व सरपंच जब बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जागरूक होंगे तो इस अपराध के खिलाफ अभियान में उनकी भागीदारी और कार्रवाइयां बच्चों की सुरक्षा के लिए लोगों के नजरिए और बर्ताव में बदलाव का वाहक बनेंगी।


बाल विवाह के खात्मे के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम पूरी दुनिया के लिए एक सबक हैं और राजस्थान हाई कोर्ट का यह फैसला इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।” 'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस' पांच गैरसरकारी संगठनों का एक गठबंधन है जिसके साथ 120 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठन सहयोगी के तौर पर जुड़े हुए हैं जो पूरे देश में बाल विवाह, बाल यौन शोषण और बाल दुर्व्यापार जैसे बच्चों की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर काम कर रहे हैं। हाई कोर्ट का यह आदेश ऐसे समय आया है जब अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह के मामलों में खासी बढ़ोतरी देखने को मिलती है और जिसे रोकने के लिए राज्य सरकारें और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर काम कर रहे तमाम गैरसरकारी संगठन हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।

बुन्देलखण्ड सेवा संस्थान के निदेशक वासुदेव सिंह ने कहा, “राजस्थान हाई कोर्ट का यह आदेश ऐतिहासिक है जिसके दूरगामी नतीजे होंगे। देश में शायद पहली बार ऐसा हुआ है जब पंचायती राज प्रणाली को यह शक्ति दी गई है कि वह सरपंचों को अपने क्षेत्राधिकार में बाल विवाहों को रोकने में विफलता के लिए जवाबदेह ठहरा सके।

200 से अधिक विवाह की सूचना प्राप्त हुई है

'जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस' के सहयोगी के तौर पर हम पूरे देश के जिलाधिकारियों से इसी तरह के कदम उठाने की अपील करते हैं। जमीनी स्तर पर हमारी पहलों ने यह साबित किया है कि बाल विवाह जैसे मुद्दों के समाधान में सामुदायिक भागीदारी सबसे अहम है। यह अदालती आदेश बच्चों की सुरक्षा के लिए समुदायों को लामबंद करने में स्थानीय नेतृत्व की जवाबदेही की जरूरत को रेखांकित करता है।” उन्होंने यह भी बताया कि जनपद झांसी के 150 गांव में अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें सामुदायिक समाजिक कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर अप्रैल माह में 200 से अधिक विवाह की सूचना प्राप्त की है। अक्षय तृतीया पर होने बाले विवाह की जानकारी जुटा रहे हैं जिससे किसी भी बालक-बालिका का बाल विवाह न हो सके। जिला प्रशासन ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों को समुदाय में हो रहे विवाहों पर निगरानी रखने की जरूरत है कि किसी भी स्थिति में किसी भी बालक-बालिका का बाल विवाह न होने पाये।



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Shashi kant gautam

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