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Jhansi News: रेलवे अस्पताल में चल रहा डिकैटेगराईज के मामले में गोलमाल, रेलवे बोर्ड ने दिए जांच के आदेश, डीआरएम कार्यालय में हड़कंप
Jhansi News: ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जिसमें मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के कार्मिक विभाग में तैनात एक कर्मचारी पर गलत तरीके से मेडिकल डिकैटेगराईज होने का आरोप लगाया है।
Jhansi News (Image From Social Media)
Jhansi News: झांसी रेल मंडल के मंडलीय रेलवे चिकित्सालय में डिकैटेगराईज के मामले में जमकर गोलमाल किया जा रहा है। रेलवे के मुताबिक मंडल रेल चिकित्सालय में 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2018 तक तीन साल में चिकित्सा आधार पर 36 रेलवे कर्मचारी मेडिकली डिकैटेगराईज किए गए थे। इनमें झांसी के 27, एट, चित्रकूट, मानिकपुर, ललितपुर, डबरा औऱ चिरगांव से एक-एक व ग्वालियर से दो कर्मचारी डिकैटेगराईज किए गए। इनमें दो रेलकर्मचारी महिलाएं भी शामिल थी। यह सिलसिला आगे भी जारी रहा हो सकता है जिसका डाटा नहीं मिला है। लेकिन ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जिसमें मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के कार्मिक विभाग में तैनात एक कर्मचारी पर गलत तरीके से मेडिकल डिकैटेगराईज होने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में रेलवे बोर्ड से शिकायत की है। रेलवे बोर्ड ने उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक को जांच करने के आदेश दिए है। अब इस कार्रवाई को लेकर रेलवे स्टॉफ में हड़ंकप मचा हुआ है।
प्रेमनगर थाना क्षेत्र के ग्राम खोड़न ट्यूबवेल रोड खाती बाबा मोहल्ले में रहने वाले महेंद्र यादव ने रेलवे बोर्ड आदि अफसरों को शिकायती पत्र देते हुए बताया है कि मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के कार्मिक विभाग में एक कर्मचारी तैनात है। यह कर्मचारी आरपीएफ में सिपाही के पद पर तैनात था और अपने काम को करने से ही जी चुराता था। इसको किसी भी तरह से आरपीएफ से हटना था इसलिए उसने मेडीकल डीकैटेगराइज होने के लिए षडयंत्र किया और कम सुनने का बहाना बनाने लगा जिसके लिए इसकी डॉक्टरी जांच कराई गई लेकिन रेलवे अस्पताल में नाक कान के जॉच की सुविधा न होने के कारण इसको कई जगह रेफर किया गया। इस काम के लिए यह पहले से ही तैयार था और इस कर्मचारी ने बाहर के डॉक्टरों के पास जहां इसको जांच के लिए भेजा गया था। आरोप है कि वहां उसने अपनी जगह किसी बहरे व्यक्ति की जांच कराई और रेलवे अस्पताल के डॉक्टरों को धोखा देकर फर्जी तरीके से रेलवे के मेडिकल बोर्ड को अंधेरे में रखते हुए मेडिकल डिकैटेगराईज हो गया।
शिकायती पत्र में कहा है कि इस कर्मचारी ने अपने नये विभाग में आकर एक प्रमोशन भी ले लिया और जिस कारण से यह अनफिट हुआ है और यह कान की मशीन भी नहीं लगाता है और बराबर सुनता है जो कि पूरी तरह प्रशासन को धोखा देना है। शिकायती पत्र में कहा है कि उक्त कर्मचारी डीआरएम कार्यालय में काम करता है और अगर यह पत्र वहां दिया गया तो वह जांच को प्रभावित करेगा क्योंकि उसके द्वारा पहले भी इसकी करतूतो से झांसी के डीआरएम को भी सूचित किया था मगर यह व्यक्ति रेलवे संगठन का नेता है और सबको धमकी देता रहा है इसलिए पहले की गई शिकायत की जांच को अपने प्रभाव में लेकर रिपोर्ट को अपने फेवर में करवा लिया था। शिकायती पत्र में कहा है कि अगर रेलवे चिकित्सालय से अलग किसी बड़े सरकारी चिकित्सालय जैसे एम्स दिल्ली में स्पेशल बोर्ड बनवाकर इसकी उस समय की रिपोर्ट से आज की रिपोर्ट को मिलाकर देखा जा सकता है। इसकी जांच दोबारा करवाई जाए तो सच सामने आ जाएगा।
शिकायती पत्र में कहा है कि इस कर्मचारी के खिलाफ गोपनीय स्तर पर शिकायत की जांच करके इसको अपने पुराने विभाग आरपीएफ में उसी पद पर भेजकर कड़ी कार्रवाई की जाए। इससे गलत तरीके से लिए प्रमोशन की रिकवरी भी कराई जाए।
रेलवे बोर्ड ने कहा- कार्रवाई को जीएम/एनसीआर को भेज दी शिकायत
रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक/स्वास्थ्य (सा.) डॉ के श्रीधर ने विनोद शर्मा को पत्र भेजा है। इस पत्र में कहा है कि विनोद शर्मा ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत जानकारी मांगने के लिए 31 दिसंबर 2022 को एक आरटीआई आवेदन प्रस्तुत किया था। अपने आवेदन में, आवेदक ने महेंद्र यादव के 19 जुलाई के अभ्यावेदन से संबंधित जानकारी मांगी थी। चूंकि, ईडीएच (जी) कार्यालय, रेलवे बोर्ड में एेसा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ था, इसलिए आवेदक को आरटीआई आवेदन के संदर्भ में तदनुसार जवाब दे दिया गया था।
पत्र में कहा है कि अब आवेदक ने एक अपील प्रस्तुत की है जिसमें उल्लेख किया गया है कि प्रदान की गई जानकारी अधूरी, भ्रामक या झूठी थी और आरोप लगाया कि इसे विवरण प्रदान नहीं किया गया है। पत्र में कहा है कि रिकार्ड पर उपलब्ध सभी कागजातों का अवलोकन कर लिया है। जहां तक अपील के मुद्दे का संबंध है, यह उल्लेख किया गया है कि सूचना का अधिकार 2005 में निहित प्रावधानों के अनुसार, एक आवेदक को कार्यालय में उपलब्ध जानकारी प्रस्तुत की जा सकती है। आवेदक की आवश्यकता के अनुरुप जानकारी को न तो संशोधित किया जा सकता है और न ही बनाया जा सकता है। यहां यह उल्लेख करना भी महत्वपूर्ण है कि आइटम पर उपलब्ध जानकारी पहले ही अपीलकर्ता को प्रस्तुत की जा चुकी है। इसके अलावा, अपील के साथ इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करने के लिए महाप्रबंधक उत्तर मध्य रेलवे को भेज दी गई है।
तीन साल में 36 रेल कर्मचारी हुए डिकैटेगराईज
रेलवे के मुताबिक मंडल रेल चिकित्सालय में 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2018 तक तीन साल में चिकित्सा आधार पर 36 रेलवे कर्मचारी डिकैटेगराईज किए गए थे। इनमें झांसी के 27, एट, चित्रकूट, मानिकपुर, ललितपुर, डबरा औऱ चिरगांव से एक-एक व ग्वालियर से दो कर्मचारी डिकैटेगराईज किए गए थे। इनमें दो रेलकर्मचारी महिलाएं भी शामिल है।
इस मामले में जानकारी नहीं
इस संबंध में उत्तर मध्य रेलवे के झांसी मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि डिकैटेगराइज के मामले में उन्हें जानकारी नहीं है, अगर किसी ने शिकायत की है तो पता लगाने का प्रयास किया जाएगा।