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Jhansi News: सहकारी समितियों के पास नहीं खाद खरीदने की धनराशि

Jhansi News: मालूम हो कि खाद सहकारी समितियों, पीसीएफ केंद्रों तथा निजी क्षेत्र के बिक्री केंद्रों के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराई जानी है। जनपद में 58 सहकारी समितियां हैं।

Gaurav kushwaha
Published on: 4 Oct 2024 1:05 PM IST
Jhansi News
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सहकारी समितियों के पास नहीं है खाद खरीदने को धनराशि  (फोटो: सोशल मीडिया )

Jhansi News: जनपद में 14350 मैट्रिक टन यूरिया एवं 8500 मैट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है। पर,किसानों तक खाद पहुंचाने वाली सहकारी समितियों के पास इतनी धनराशि नहीं है कि वह खाद खरीदकर वितरण कर सकें। आमतौर पर सहकारी समितियों को खाद का आवंटन लखनऊ से होता है। आवंटन के बाद समितियां खाद उठाती हैं, पर अक्सर देखा गया है कि समितियों के पास पर्याप्त फंड नहीं होता है जिससे वह मांग के अनुरूप खाद नहीं उठा पाती हैं।

उदाहरण के तौर पर एक समिति को तीन ट्रक खाद की जरूरत है परंतु उसे उठाने के लिए उसके पास महज एक ट्रक लेने का फंड है। ऐसे में जब फंड की व्यवस्था होती है, तो बुवाई सिर पर होती है और किसानों की खाद लेने के लिए भीड़ लगने लगती है। इन हालातों से बचने के लिए प्रदेश सरकार ने बैंक के माध्यम से समितियों को दस-दस लाख रुपए की व्यवस्था की है ताकि वह खाद का सुगमता से वितरण कर सकें। पर यह धनराशि पर्याप्त नहीं है।

2 लाख 95 हजार किसानों को 58 सहकारी समितियां बांटेंगी खाद

मालूम हो कि खाद सहकारी समितियों, पीसीएफ केंद्रों तथा निजी क्षेत्र के बिक्री केंद्रों के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराई जानी है। जनपद में 58 सहकारी समितियां हैं। जबकि किसानों की संख्या 2 लाख 95 हजार है। इसमें एक हेक्टेयर से कम जोत वाले लघु सीमांत और छोटे किसानों की संख्या बहुत अधिक है। बीते वर्षों में देखा गया कि बुवाई के ही समय सहकारी समितियों के सामने किसानों की भीड़ उमड़ने लगती है, जिससे उन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस लगाई जाती है। इस दौरान खाद को लेकर जमकर राजनीति भी होती रही है। इन हालातों से बचने के लिए सहकारी समितियों को अभी से केंद्रों से खाद उठाकर वितरण प्रारंभ कर देना चाहिए ताकि खाद के लिए हालात न बिगड़ें।

बुंदेलखंड में वर्षा आधारित खेती होती है। यानि मानसून के बाद अक्तूबर-नवंबर में रबी की बुवाई की जाती है। रबी में गेहूं सहित अन्य खाद्यान्न और दलहनी फसलों की बुवाई जनपद में 15 अक्तूबर से 15 नवंबर तक की जाती है। ऐसे में किसानों के पास अभी पर्याप्त समय है कि वह अभी से उर्वरक की व्यवस्था कर लें, अन्यथा बुवाई के समय समितियों पर भीड़ उमड़ने से विगत वर्षों के घटनाक्रम दोहराए जा सकते हैं।

बिक्री केन्द्रों पर उर्वरक पहुंचाई जा रही

जिला कृषि अधिकारी के. के. मिश्रा के अनुसार जनपद की सहकारिता क्षेत्र की समितियों, पीसीएफ केन्द्रों तथा निजी क्षेत्र के बिक्री केन्द्रों पर उर्वरक पहुंचाई जा रही है। उपलब्ध स्टॉक का जिलाधिकारी द्वारा बिक्री केन्द्रवार नामित सत्यापन अधिकारियों द्वारा कराया जा रहा है। इसके बाद कृषकों को खतौनी के आधार पर फसल संस्तुतियों के अनुसार खाद का वितरण कराया जा रहा है। वर्तमान में जनपद में 14350 मैट्रिक टन यूरिया एवं 8500 मैट्रिक टन डीएपी उपलब्ध है, जनपद मे उर्वरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।

जनपद में रबी सीजन मे लगभग चार लाख हेक्टेयर में विभिन्न फसलों की बुवाई प्रस्तावित है। जिसे ध्यान में रखते हुए माह अक्तूबर में-12500 मैट्रिक टन, नवम्बर में-14500 मैट्रिक टन एवं दिसम्बर में-3000 मैट्रिक टन डीएपी की मांग की गई है जिससे कृषकों को समय पर उर्वरकों की उपलब्धता हो सके।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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