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Jhansi News: भारतीय पारंपरिक विज्ञान वैश्विक मार्गदर्शन कर सकता हैः प्रो पीवी शर्मा

Jhansi News: अध्यक्षता करते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय ने कहा कि विकसित देशों को आगे आकर पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करना चाहिए।

Anant kumar shukla
Published on: 2 Nov 2023 7:50 PM IST
fifth international conference Inauguration in Bundelkhand University
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fifth international conference Inauguration in Bundelkhand University

Jhansi News: भारत देश पूर्व में अपनी आर्थिक संपन्नता एवं प्रकृति अनुकूल जीवन के लिए वैश्विक स्तर पर जाना जाता रहा है। हमारा विकास सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया के आधार पर रहा है। आज हम जो पर्यावरण चुनौतियां का सामना कर रहे हैं। उसका उत्तर हमारी पूर्व के जीवन शैली में छिपा है। वैश्विक जगत को सतत विकास के अगर उद्देश्य प्राप्त करने हैं तो भारतीय संस्कृति, भारतीय जीवन शैली एवं भारतीय पारंपरिक विज्ञान इसमें वैश्विक मार्गदर्शन कर सकता है। उक्त विचार मुख्य अतिथि प्रो पीवी शर्मा पूर्व कुलपति दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी एवं पूर्व प्रेसीडेंट भारतीय विश्वविद्यालय संघ ने व्यक्त किये। वे बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र बैंकिग एवं वित्त विभाग द्वारा 2 से 4 नवंबर तक आयोजित किये जा रहे पांचवें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर सतत विकास में सामाजिक विज्ञान और मानविकी की भूमिका विषय पर गांधी सभागार में छात्रों को संबोधित कर रहे थे।

अध्यक्षता करते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय ने कहा कि विकसित देशों को आगे आकर पर्यावरण संरक्षण पर कार्य करना चाहिए। देखने में आया है कि विकासशील देशों के कार्बन उत्सर्जन को निशाना बनाया जाता है, जबकि इसमें प्रमुख भूमिका विकासित देशों की है।

छोटे देशों को नहीं दिया जाता महत्व

अंतरराष्ट्रीय अध्यक्षता कर रही ब्राजील की प्रो लूसिया साल्वाडोर ने कहा कि विश्व के छोटे देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीतियों एवं नीति निर्धारण में स्थान नहीं दिया जाता है। आर्थिक नीतियों के समान ना होने से ऐसे कई राष्ट्र विकास के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। विशिष्ट अतिथि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो जेवी वैशंपायन, महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर शुभा तिवारी एवं पूर्व कुलपति मणिपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो आदित्य प्रसाद पांडे ने भी सम्मेलन में अपने विचार रखे।

इसके पूर्व अतिथियों द्वारा स्मारिका का विमोचन किया गया। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर जेके मेहता शोधपीठ स्थापित की गई जिस पर विशिष्ट व्याख्यान इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रामनारायण लोखार ने दिया। स्वागत कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर कब सिंह ने एवं आभार आयोजन सचिव दो शंभू नाथ सिंह ने दिया। संचालन डॉ अंकित जैस्मिन लाल ने किया।

प्रथम सत्र 'लचीली वित्तीय प्रणाली और समावेशी आर्थिक विकास: सुधार, निवेश और शासन' विषय पर आयोजित रहा। दूसरा सत्र 'एक लचीली और समावेशी अर्थव्यवस्था का निर्माण: नीतिगत दृष्टिकोण और आगे का रास्ता' विषय पर रहा। सम्मेलन का आयोजन बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र बैंकिंग और वित्त विभाग के अलावा आईसीएसएसआर, नाबार्ड, युपीयुईए, एमआईटी स्क्वायर लंदन, इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन, वेनी क्रिएटर ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान शिक्षकों एवं शोध छात्रों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। अब तक 100 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हो चुके हैं। इस सम्मेलन में देश विदेश से लगभग 40 से अधिक शिक्षाविद व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। इस अवसर पर प्रो सुनील काबिया, प्रो एस के कटियार, प्रो अवनीश कुमार, डॉ काव्या दुबे, डॉ अमरजीत कौर, डॉ अतुल गोयल, डॉ संदीप अग्रवाल डॉ रजत कंबोज, डॉ शिविका भटनागर, अंजलि, डॉ ज्योति मिश्रा, डॉ शिल्पा मिश्रा, डॉ विनोद कुमार, डॉ संतोष पांडे, डॉऋषि सक्सेना, डॉ राहुल शुक्ला आदि उपस्थित रहे।



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Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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