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Jhansi News: फोरेंसिक टीम ने राशिद उर्फ कालिया एनकाउंटर का किया सीन रिक्रिएशन

Jhansi News: बसपा नेता पिंटू सेंगर की हत्या के पुलिस ने एनकाउंटर में मारे गए हत्याकांड के मास्टर माइंड राशिद उर्फ कालिया को लेकर फारेंसिक टीम ने साक्ष्य संकलित किया। लखनऊ की फोरेंसिक टीम ने मऊरानीपुर थाना क्षेत्र के सितौरा रोड पर मुठभेड़ स्थल पर पहुंचकर सीन रिक्रिएशन भी किया।

B.K Kushwaha
Published on: 16 Jan 2024 6:23 PM IST
Forensic team recreated the scene of Rashid alias Kalia encounter
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फोरेंसिक टीम ने राशिद उर्फ कालिया एनकाउंटर का किया सीन रिक्रिएशन: Photo- Newstrack

Jhansi News: बसपा नेता पिंटू सेंगर की हत्या के पुलिस ने एनकाउंटर में मारे गए हत्याकांड के मास्टर माइंड राशिद उर्फ कालिया को लेकर फारेंसिक टीम ने साक्ष्य संकलित किया। लखनऊ की फोरेंसिक टीम ने मऊरानीपुर थाना क्षेत्र के सितौरा रोड पर मुठभेड़ स्थल पर पहुंचकर सीन रिक्रिएशन भी किया। फोरेंसिक टीम ने स्थानीय पुलिस से मुठभेड़ के संबंध में जानकारी भी जुटाई है। सीन रिक्रिएशन के पीछे एनकाउंटर को लेकर उठऩे वाले सवाल के बीच सच्चाई को पता लगाने की बात कही जा रही है।

मालूम हो कि कानपुर के चकेरी में रहने वाले बसपा नेता व हिस्ट्रीशीटर पिंटू सेंगर की 20 जून 2020 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने अब तक 15 आरोपितों को जेल भेजा था, जिसमें एक कक्कू की जेल में ही मृत्यु हो चुकी है। हत्याकांड को अंजाम देने के लिए पल्सर और केटीएम बाइकों पर सवार होकर चार शूटर आए थे। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में सामने आया था कि पल्सर को अहसान कुरैशी चला रहा था, जबकि पीछे राशिद कालिया बैठा था जबकि केटीएम फैसल कुरैशी चला रहा था और सलमान बैग पीछे लेकर बैठा था। स्वचालित हथियारों से चारों ने पिंटू सेंगर पर एक साथ गोलियां बरसाई थी। इस हत्याकांड का मास्टर माइंड राशिद कालिया उर्फ घोड़ा उर्फ वीरु पुत्र सलीम था। इस आरोपी की तलाश में कई जिलों की पुलिस लगी हुई थी। कानपुर कमिश्नर ने राशिद कालिया पर एक लाख का इनाम घोषित कर दिया था। इसके अलावा झाँसी में राशिद कालिया पर 25 हजार का इनाम था।

बताते हैं कि लगातार एसटीएफ को सूचनाएं मिल रही थी कि राशिद कालिया झाँसी के मऊरानीपुर इलाके में किसी व्यक्ति का हत्या करनी की सुपारी ले रखी थी। वह किसी भी समय उक्त व्यक्ति की हत्या कर सकता था। इन सूचनाओं को लेकर एसटीएफ ने झाँसी पुलिस से संपर्क किया था। इस मामले में एसएसपी राजेश एस व अन्य पुलिस अफसरों से वार्तालाप हुई थी। 18 नवंबर की तड़के मुखबिर ने सूचना दी थी कि राशिद कालिया बाइक पर सवार होकर मऊरानीपुर की ओर आ रहा था। इस सूचना पर एसटीएफ और मऊरानीपुर पुलिस सक्रिय हो गई थी। जैसे ही टीम को सितौरा रोड पर बाइक आते हुए दिखाई दी तो टीम ने बाइक सवारों को रोकने का प्रयास किया मगर बाइक पर सवार बदमाशों ने टीम पर फायरिंग कर दी थी। जवाब में एसटीएफ ने भी फायरिंग की जिससे राशिद कालिया को सीने में गोली लगी थी। इससे वह घायल हो गया था। हालात में सुधार न होने पर उसे मेडिकल कालेज लाया गया था। यहां चिकित्सकों ने राशिद कालिया को मृत घोषित कर दिया था। बताते हैं कि राशिद कालिया द्वारा की गई फायरिंग में एसटीएफ के डिप्टी एसपी संजीव दीक्षित व इंस्पेक्टर घनश्याम यादव को भी गोली लगी थी, लेकिन बुलेटप्रूफ जैकेट पहने होने के कारण कोई जनहानि नहीं हुई थी।

इसी मामले में फोरेंसिक टीम मंगलवार को मऊरानीपुर के सितौरा रौड पहुंची। यहां टीम ने घटनास्थल पर जाकर सीन रिक्रिएशन किया।

क्या होता है क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन?

क्या हुआ, कहां हुआ, कैसे हुआ, कब हुआ, किसने किया और क्यों किया। इन सिद्धांतों पर क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन पर काम होता है। इस प्रक्रिया में उपलब्ध भौतिक साक्ष्यों के आधार पर अपराध स्थल पर यह तय किया जाता है कि घटना कैसे हुई। इस प्रक्रिया में अपराध स्थल की वैज्ञानिक जांच की जाती है, घटनास्थल के साक्ष्यों की व्याख्या की जाती है, भौतिक साक्ष्य की लैब में जांच की जाती है, केस से जुड़ी सूचनाओं की चरणबद्ध स्टडी की जाती है और तर्कों के आधार पर एक थ्योरी तैयार की जाती है।

कैसे होता है क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन?

क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन की शुरुआत पीड़ित से होती है। पीड़िता से घटना के बारे में पहले पूछताछ की जाती है। अगर पीड़ित की मौत हो जाती है तो उसके करीबी का इंटरव्यू लिया जाता है या फिर घटना में शामिल लोगों से पूछताछ की जाती है। अपराध स्थल और वहां के सभी चीजों की बहुत ही सावधानीपूर्वक फोटोग्राफी या विडियोग्राफी की जाती है। जांचकर्ताओं का मामले का खुले दिमाग और बारीकी से विश्लेषण करना अनिवार्य होता है।

उदाहरण

इसको यूं समझ सकते हैं। मान लीजिए किसी घटना में एक अपराधी किसी को गोली मार देता है। उस स्थिति में जांचकर्ता इस बात पर गौर करेगा कि अगर एक निर्धारित स्थान से और एक निर्धारित एंगल से गोली मारी जाती है, तो वह कहां जाकर लगेगी और असल में पीड़ित को कहां लगी है।

खून के धब्बे

हिंसक अपराध की स्थिति में क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन में खून के धब्बे भी अहम होते हैं। जब खून किसी जख्म, हथियार या किसी अन्य चीज से गिरते हैं तो एक खास पैटर्न बनता है। खून के छींटे इस बात को दिखाते हैं कि खून किस दिशा में गया। पीड़ित या आरोपी ने भागने की कोशिश की। इस दिशा में खून के धब्बे बहुत कुछ प्रकाश डालते हैं।

पंजों के निशान

क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन में पैरों के निशान भी काफी अहम होते हैं। अगर कोई संदिग्ध कहता है कि वह वहां मौजूद नहीं था और अगर उसके पैरों के निशान वहां मेल खा जाता है तो वह दोषी साबित होगा। हत्या, लूटपाट, मारपीट और बलात्कार के मामले में पैरों के निशान काफी महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। जब कोई अपराध स्थल पर होता है तो उसकी चप्पलों या जूते के सोल के निशान छप जाते हैं जो नजर आ भी सकते हैं और नहीं भी।



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Shashi kant gautam

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