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Jhansi News: केंद्रीय कृषि विवि, जब मंत्री खुद फाइलें उठाए पहुंचे राष्ट्रपति भवन

Jhansi News: प्रदीप बताते हैं कि उन्होंने इससे संबंधित फाइलों को खुद उठाया और अपने मंत्रालय के लोगों के साथ राष्ट्रपति भवन पहुँचे। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हुए।

B.K Kushwaha
Published on: 5 April 2024 4:26 AM GMT
Central Agricultural University
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Central Agricultural University (Newstrack)

Jhansi News: झांसी के केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने हाल ही में अपनी स्थापना की दसवीं वर्षगांठ मनाई। झांसी में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय को लाने के लिए तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण राज्य मंत्री को तमाम पापड़ बेलने पड़े। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को देश के तमाम सांसद अपने क्षेत्र और राज्य में ले जाना चाह रहे थे। सबसे ज्यादा प्रतिद्वंद्विता तो छतरपुर को लेकर हो गई। ऐसे में लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों से इसमें व्यक्तिगत रूप से संपर्क करके सहयोग मांगा गया। स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों को बुंदेलखंड में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के महत्व और जरूरत का हवाला देते हुए रजामंद किया। यहां तक कि वह इससे संबंधित फाइलें खुद उठाकर राष्ट्रपति भवन पहुंचे। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद कृषि विश्वविद्यालय पर काम शुरू हो गया। आज यह केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बुंदेलखंड के किसानों और कृषि के उत्थान के लिए कार्य कर रहा है।

झांसी में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के झांसी में स्थापित होने की रोचक कहानी है। पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री प्रदीप जैन बताते हैं कि बुंदेलखंड के लघु सीमांत और सीमांत किसानों की कृषि की नई तकनीक देने तथा नई पीढ़ी को कृषि की शिक्षा देने की योजना बनाई थी। जिससे यहां की कृषि और किसान दोनों की दशा सुधारी जा सके। झांसी के ग्रासलैंड के 2010 में हुए स्वर्ण जयंती समारोह में तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार झांसी आ रहे थे। उनके साथ प्रदीप जैन भी झांसी आ रहे थे। रास्ते में प्रदीप ने शरद पवार को झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई की शौर्य गाथा सुनाई साथ ही बुंदेलखंड के किसानों की बदहाली का जिक्र भी किया। प्रदीप ने शरद पवार से झांसी के किसानों के उत्थान के लिए यहां केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनवाने की मांग की।

इस पर शरद पवार ने इसके लिए वायदा भी कर दिया। प्रदीप ने संसद में अपना प्रस्ताव रखा। इसमें विपक्ष के सदस्यों ने यह कहकर विरोध किया कि शिक्षा राज्य का मामला है। इसके बाद राज्यसभा में बैठक में यह प्रस्ताव लाया गया। वहां भी गतिरोध के चलते बैठकें स्थगित हो रहीं थीं। इस पर प्रदीप जैन ने सुषमा स्वराज जोकि राज्यसभा में लीडर ऑफ दी हाउस थीं। प्रदीप सुषमा से मिले और उनके चरण छूकर राज्यसभा की बैठक में गतिरोध न होने का सहयोग मांगा ताकि झांसी में केंद्रीय कृषि वि.वि पर चर्चा होने के बाद यह पारित हो सके। सुषमा जी ने भी सहयोग किया और झांसी का मार्ग प्रशस्त होने लगा। ऐसे में छतरपुर भी केंद्रीय कृषि विवि की लाइन में लग गया। तर्क दिया जाने लगा कि छतरपुर बुंदेलखंड का सबसे पिछड़ा शहर है इसलिए कृषि वि.वि. से यहां का विकास होगा।

ऐसे में लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों से इसमें व्यक्तिगत रूप से संपर्क करके सहयोग मांगा गया। लेकिन जब मामला स्टैंडिंग कमेटी में चला गया तो प्रदीप ने स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों को बुंदेलखंड में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के महत्व और जरूरत का हवाला देते हुए रजामंद किया।

लोकसभा चुनाव 2014 से पूर्व राष्ट्रपति ने किया शिलान्यास

इस दौरान प्रदीप ने शरद पवार से मिलकर उन्हें उनका वायदा याद दिलाया तो पवार ने भी पूरा सहयोग किया। अंतत: 2014 के लोकसभा चुनाव से पूर्व इसे मंजूरी मिल गई। इस पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हस्ताक्षर होने थे। प्रदीप बताते हैं कि उन्होंने इससे संबंधित फाइलों को खुद उठाया और अपने मंत्रालय के लोगों के साथ राष्ट्रपति भवन पहुँचे। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हुए। बाद में राष्ट्रपति ने केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के शिलापट का शिलान्यास किया और झांसी में इसको लेकर कार्य प्रारंभ हुआ।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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