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Jhansi News: टैंकर से पानी बहा तो चालक पर होगी कार्रवाई, जल संस्थान ने दिये निर्देश
Jhansi News: जल संस्थान का कहना है कि महानगर में रोजाना 15 से 20 पाइप लाइन लीकेज की शिकायतें मिलती हैं। ऐसे में वार्ड की पेयजल व्यवस्था पर असर पड़ता है।
Jhansi News: जल संस्थान के अधिशासी अभियंता ने महानगर में पानी की सप्लाई में लगे टैंकर चालकों को टैंकर के ढक्कन बंद करने की हिदायत दी है। साथ ही कहा कि यदि टैंकर से सड़कों पर पानी बहता दिखाई दिया तो चालक व ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। महानगर के पानी संकट वाले क्षेत्रों में जल संस्थान द्वारा टैंकरों से पानी की सप्लाई की जा रही है। वार्डों में भेजे जा रहे अधिकांश टैंकरों में ढक्कन नहीं हैं जिसकी वजह से हजारों लीटर पानी सड़कों पर व्यर्थ बह जाता है। पानी के इस अपव्यय को रोकने के लिए जल संस्थान ने कड़ाई बरतनी शुरू कर दी है। वहीं, क्षेत्र में टैंकर के जाने का समय निर्धारित होने के बाद भी समय से नहीं पहुंच रहे हैं। इसके लिए टैंकर चालकों को निर्धारित समय सीमा में पानी की सप्लाई करने को कहा गया है। इस संबंध में अधिशाषी अभियंता ने समस्त सहायक अभियंताओं और अवर अभियंताओं को निर्देश जारी कर दिए हैं।
जल संस्थान के अधिशाषी अभियंता संजीव कुमार का कहना है कि प्रचंड गर्मी की वजह से पानी की डिमांड 35 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गई है। महानगर में 1200 से अधिक चक्कर लगाए जा रहे हैं। वहीं, टैंकरों के भरने के फिलिंग प्वाइंट की संख्या भी 17 कर दी गई है। टैंकरों में ढक्कन न होने की शिकायतें मिलीं हैं। पेयजल सप्लाई में लगे टैंकरों में ढक्कन न पाए जाने पर जल संस्थान द्वारा सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बरसात को लेकर तैयारी
आमतौर पर बरसात के दिनों में नलों से गंदा पानी आने की शिकायतें मिलती हैं। इसके लिए जल संस्थान ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। सिंचाई विभाग से वार्ता करके टरबाइन चलाने की बात कही गई है ताकि फिल्टर तक पहुंच रहे पानी में ऑक्सीजन भली भांति मिल सके। साथ ही पानी की गुणवत्ता बनी रहे। चूंकि जल संस्थान को बबीना फिल्टर से पानी मिलता है, ऐसे में जल निगम से बरसात के दिनों में पानी की गुणवत्ता पर ध्यान देने के संबंध में बात की जाएगी। वैसे जल संस्थान भी सप्लाई किए जाने वाले पानी की नियमित जांच करता है। बरसात के दिनों में इस संबंध में सतर्कता बरती जाएगी।
रोज 15 से 20 लीकेज की शिकायतें
जल संस्थान का कहना है कि महानगर में रोजाना 15 से 20 पाइप लाइन लीकेज की शिकायतें मिलती हैं। ऐसे में वार्ड की पेयजल व्यवस्था पर असर पड़ता है। दरअसल, महानगर में पाइप लाइन लीकेज की मरम्मत का कार्य ठेके पर कराया जाता है। ठेकेदार से विभाग के बीच करार है कि पाइप लाइन लीकेज ठीक करने के साथ काटी गई सड़क की मरम्मत भी ठेकेदार को करानी होगी। सड़क काटने की अनुमति नगर निगम या पीडब्ल्यूडी से जल संस्थान द्वारा ली जाती है। हर माह लीकेज ठीक करने में ही जल संस्थान के 3 से 4 लाख रुपए का खर्च होता है, वह भी उस दशा में जब पाइप लाइन के टुकड़े और मरम्मत सामग्री जल संस्थान द्वारा दिए दी जाती है। ठेकेदार लीकेज ठीक कराने के लिए श्रमिक या कारीगर उपलब्ध कराता है।