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Jhansi News: स्मार्ट सिटी को मिला मार्च 2025 तक एक्सटेंशन, अधूरे कार्यों को करना होगा पूर्ण
Jhansi News: स्मार्ट सिटी में जो कार्य अपूर्ण थे उन्हें पूरा करने का समय दे दिया गया है। कंपनी को अब वर्ष 2017-18 में दी गई 1000 करोड़ रुपए से काम होगा।
Jhansi News: झांसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड को 31 मार्च 2025 तक का एक्सटेंशन मिल गया है, लेकिन अब शासन की ओर से न तो नया कोई प्रोजक्ट दिया है और न ही नया फंड। हां, जो कार्य अपूर्ण थे, उन्हें पूरा करने का समय जरूर दे दिया है। कंपनी को अब वर्ष 2017-18 में दी गई 1000 करोड़ रुपए की धनराशि से कराए गए कार्यों का संचालन और रख रखाव करना होगा।
आर्थिक गति प्रदान करने की कोशिश
झांसी महानगर को सुंदर, स्वच्छ और अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त करने के लिए शासन द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 2016 में 100 नगरों को स्मार्ट सिटी की श्रेणी में रखा गया था। मकसद था कि स्थानीय विकास को सक्षम किया जाए। प्रौद्योगिकी की मदद से नागरिकों के लिए बेहतर कार्य के जरिए उनके जीवन स्तर में सुधार लाया जाए। साथ ही आर्थिक विकास को गति प्रदान की जाए। झांसी नगर निगम को भी स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया था। इसके लिए झांसी महानगर को स्मार्ट करने का खाका खींचा गया। इस काम की जिम्मेदारी झांसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड को दी गई।
2017 में हुई थी शुरुआत
झांसी सहित अन्य शहरों में वर्ष 2017-18 में कंपनी ने काम प्रारंभ किया। बीते छह वर्षों में कंपनी ने करीब 66 प्रोजेक्टों पर काम किया, जिसमें से अधिकांश को पूर्ण करके नगर निगम या संबंधित संस्थाओं को हैंडओवर कर दिया। कंपनी के सूत्र बताते हैं कि जो प्रोजेक्ट पूर्ण हो गए हैं, इनमें से ज्यादातर कार्य नगर निगम को हैंडओवर किए गए। कंपनी को पूर्ण कराए गए प्रोजेक्ट का पांच साल तक रख रखाव करना था, इनमें से ज्यादातर के पांच वर्ष भी पूर्ण हो चुके हैं। कुछ प्रोजेक्ट का रखरखाव व संचालन करना है, ऐसे में वह भी किसी संस्था या विभाग के अधीन हैं। कंपनी के सूत्रों के अनुसार स्मार्ट सिटी झांसी सहित कई शहरों में कार्यरत स्मार्ट सिटी को एक्सटेंशन दिया गया है। जो काम छह वर्ष पूर्व दिए गए थे, उन्हीं का रख रखाव करना है।
ननि और स्मार्ट सिटी लिमिटेड एक दूसरे के पाले में डालते रहे गेंद
स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा विगत छह वर्षों में कराए गए कार्यों की गुणवत्ता पर जब भी सवाल उठाए गए, तो कंपनी ने गेंद को नगर निगम के पाले में डाल दिया। वहीं, नगर निगम द्वारा कराए गए कार्यों पर सवाल उठने पर गेंद स्मार्ट सिटी के पाले में डाल दी गई। वैसे इस दौरान महानगर में कराए गए ज्यादातर कार्यों पर सवाल ज्यादा उठाए गए। इसकी वजह रही कि बहुत जिन बड़े प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए और उनका जनता से सीधा सरोकार नहीं था, वह अनदेखे किए गए। जो कार्य जिनसे जनता सीधे जुड़ी थी, उन पर बहुत टीका टिप्पणी हुई। इनमें पिंक टॉयलेट, पार्कों का सुंदरीकरण, पार्कों में बनाए गए ओपन जिम, आरओ प्लांट और वटर एटीएम, डोर-टू-डोर कचरा संग्रह पर ज्यादा सवाल उठे।