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Jhansi News: 21 दिवसीय शीतकालीन स्कूल का शुभारंभ

Jhansi News: रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी में कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह के मार्गदर्शन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा अनुदानित 21 दिवसीय शीतकालीन स्कूल का जीन से प्रोटीन तक - फसलों में कृषि के महत्वपूर्ण गुणों की आणविक जटिलता का अध्ययन विषय पर दीप प्रज्जवलन के साथ शुभारंभ हुआ।

B.K Kushwaha
Published on: 19 Feb 2024 6:35 PM IST
Launch of 21-day winter school
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 21 दिवसीय शीतकालीन स्कूल का शुभारंभ: Photo- Newstrack

Jhansi News: रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी में कुलपति डॉ. अशोक कुमार सिंह के मार्गदर्शन में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली द्वारा अनुदानित 21 दिवसीय शीतकालीन स्कूल का जीन से प्रोटीन तक - फसलों में कृषि के महत्वपूर्ण गुणों की आणविक जटिलता का अध्ययन विषय पर दीप प्रज्जवलन के साथ शुभारंभ हुआ।

इक्कीसवीं सदी आण्विक जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी में अपार संभावनाएंः डॉ रामचरण भट्टाचार्य

मुख्य अतिथि निदेशक राष्ट्रीय पादप जैव प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली डॉ. आरसी भट्टाचार्य एवं विशिष्ट अतिथि निदेशक आईजीएफआरआई डॉ. वीके यादव, अधिष्ठाता कृषि डॉ. आरके सिंह रहे। सभी अतिथियों का स्वागत परिचय विभागाध्यक्ष पादप रोग विज्ञान एवं समन्वयक डॉ. प्रशांत जाम्भुलकर ने किया।

निदेशक शिक्षा डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि किस तरह जैव प्रौद्योगिकी तकनीकों ने खाद्यान्न उत्पादन में प्रगति लाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। साथ ही उन्होने विश्वास जताया की इस तरह के प्रशिक्षण युवा वैज्ञानिकों को नई-नई तकनीकों को जानने में मदद करेंगे। फसलों के विभिन्न महत्त्वपूर्ण गुणों के समग्र अध्ययन हेतु सिस्टम बायोलॉजी एवं बायोइन्फोर्मेटिक्स सहित आंमिक्स की समस्त तकनीकों के बारे में विभिन्न विषय विशेषज्ञ जानकारी सांझा करेंगे।


डॉ रामचरण भट्टाचार्य ने ‘जीन से प्रोटीन तक जीवन के रहस्यों को समझना’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने आणविक जीव विज्ञान में, सेंट्रल डोगमा, डीएनए, आरएनए से प्रोटीन तक के योगदान एवं इसका जीवन के संचालन एवं इसके महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. भट्टाचार्य ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में आणविक जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं एवं इसके अध्ययन से जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझा जा सकता है। विशिष्ट अतिथि निदेशक आईजीएफआर आई डॉ विजय कुमार यादव, ने बताया कि अगली शताब्दी में, जैव प्रौद्योगिकी के लिए प्रमुख प्रेरक शक्ति जीनोमिक जानकारी का रणनीतिक उपयोग होगा। डीएनए चिप डायग्नोस्टिक्स, सेल और जीन थेरेपी, और ऊतक इंजीनियरिंग अगले दस वर्षों में महत्वपूर्ण जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के रूप में उभरेंगे।

जैव प्रौद्योगिकी से जीवन की गुणवत्ता में हुआ सुधार

अधिष्ठाता कृषि डॉ आर के सिंह, ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जैव प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया है। अगले दशक में, जैसे-जैसे जैव प्रौद्योगिकी में प्रगति की गति तेज होगी, जैव प्रौद्योगिकी के प्रभावों का हर क्षेत्र में प्रभाव दिखाई देगा। इस शीतकालीन स्कूल में देशभर से विभिन्न कृषि विषयों के प्रमुख वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, और 30 छात्रों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य फसलों में महत्वपूर्ण गुणों की सृजनात्मक और जीनेटिक अनुसंधान में नवीनतम प्रगतियों में खोज करना है जो फसलों में महत्वपूर्ण गुणों के पीछे छिपे जीनेटिक कोड को समझने का प्रयास करेगा।

प्रोटीनों और उनके कार्यों की जटिलता को समझकर, फसल की पैदावार, और सहनशीलता को कैसे बढ़ाया जाय, वैज्ञानिकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, जिसमें जीनेटिक्स, बायोइंफोर्मेटिक्स, कृषि तंत्र, और बायोटेक्नोलॉजी जैसे विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिकों के बीच के विभिन्न चुनौतियों का सामना करना है। इस अवसर पर डॉ. वीपी सिंह, डॉ. वीके बेहेरा, डॉ. एमजे डोबरियाल, डॉ. अमित सिंह, डॉ. पीयूष ववेले, डॉ. शैलेन्द्र कुमार आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ. मनीत राणा एवं धन्यवाद डॉ. आशुतोष सिंह ने व्यक्त किया।



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Shashi kant gautam

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