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Jhansi: मेडिकल कॉलेज में अब बेड पर ही हो सकेगा एक्सरे व अल्ट्रासाउंड
Jhansi News: गंभीर मामलों में जिनमें खून के थक्के जमने से मरीज की जान जाने का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है उसके लिए वार्ड में ही थ्रोम्बोलिसिस लैब को स्थापित कर दिया गया है।
Jhansi News: मेडिकल कॉलेज में धीरे-धीरे ही सही पर सुविधाएं अब बेहतर होने लगी हैं। मेडिकल प्रशासन ने इमरजेंसी को अपग्रेड किया है, ताकि मरीजों की जान को समय रहते बचाया जा सके। यहां पर अब बेड पर ही मरीज का एक्सरे करने की सुविधा पोर्टेवल एक्सरे मशीन से होगी। इसके साथ ही बेड पर ही अल्ट्रा साउण्ड की व्यवस्था की गई है। गंभीर मामलों में जिनमें खून के थक्के जमने से मरीज की जान जाने का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है उसके लिए वार्ड में ही थ्रोम्बोलिसिस लैब को स्थापित कर दिया गया है।
इन सुविधाओं से अब मरीज और उनके परिजनों को इन सुविधाओं के लिए यहां से वहां नहीं भटकना होगा। बता दें कि इसके पहले इमरजेंसी में मरीज को अगर एक्सरे भी कराना होता था तो उसे दूसरी बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाता था। ऐसा ही कुछ हाल अल्ट्रासाउण्ड और थ्रोम्बोलिसिस के लिए होता था। अब हालात बदल गए हैं। इमरजेंसी में आने वाले मरीज को सिर्फ दवा लेने के लिए बाहर जाना होता है।
क्या है थ्रोम्बोलिसिस
वाहिकाओं में खतरनाक थक्कों को घोलने , रक्त प्रवाह में सुधार करने और ऊतकों और अंगों को होने वाले नुकसान को रोकने का एक उपचार है। थ्रोम्बोलिसिस में आईव्ही लाइन के माध्यम से या एक लंबे कैथेटर के माध्यम से थक्का-ख़त्म करने वाली दवाओं का इंजेक्शन शामिल हो सकता है जो दवाओं को सीधे रुकावट वाली जगह पर पहुंचाता है। इसमें टिप से जुड़े एक यांत्रिक उपकरण के साथ एक लंबे कैथेटर का उपयोग भी शामिल हो सकता है, जो या तो थक्के को हटा देता है या भौतिक रूप से इसे तोड़ देता है।
थ्रोम्बोलिसिस का उपयोग अक्सर हृदय और मस्तिष्क को पोषण देने वाली धमनियों - दिल के दौरे और इस्केमिक स्ट्रोक का मुख्य कारण और फेफड़ों की धमनियों (तीव्र फुफ्फुसीय अन्त: शल्यता) में बनने वाले रक्त के थक्कों को भंग करने के लिए एक आपातकालीन उपचार के रूप में किया जाता है।
ये हैं थ्रोम्बोलिसिस के प्रकार
सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली क्लॉट-बस्टिंग दवाएं - जिन्हें थ्रोम्बोलाइटिक एजेंट के रूप में भी जाना जाता है।
ये दवाएं शामिल हैं
एमिनेज़ (एनिस्ट्रेप्लेस)
रेटवेज़ (रीटेप्लेस)
स्ट्रेप्टेज़ (स्ट्रेप्टोकिनेस, कैबिकिनेज़)
टी-पीए (दवाओं का वर्ग, इसमें एक्टिवेज़ शामिल है)
एबोकिनेज़, किंलिटिक (रोकिनेज़)
वर्जन
वार्ड में ये सुविधाएं मिलने से मरीजों को राहत के साथ स्टाफ को भी यहाँ वहाँ नहीं भागना पड़ता। इन सुविधाओं से अब मरीज की जान बचाने की सम्भावना ज्यादा बढ़ जाती है, उसे समय पर सही उपचार मिल जाता है।