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Jhansi News: मानसिक विक्षिप्तों को बंधुआ बनाकर कराया जा रहा था काम, शिकायत पर प्रशासनिक अधिकारियों ने लगाई दौड़
Jhansi News: गांव में उस समय हड़कंप मच गया जब दर्जनों से अधिक की संख्या मे मानसिक विक्षिप्त लोग निकले। इनसे गांव में ही बंधुआ मजदूरों की तरह काम करवाया जा रहा था।
Jhansi News: झाँसी के मोठ तहसील से बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। गांव में उस समय हड़कंप मच गया जब दर्जनों से अधिक की संख्या मे मानसिक विक्षिप्त लोग निकले। इनसे गांव में ही बंधुआ मजदूरों की तरह काम करवाया जा रहा था। ग्रामीण की शिकायत पर प्रशासनिक अधिकारी टीम लेकर पहुंचे और उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया। घटना से गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है।
करीब डेढ़ दर्जन लोग मानसिक विक्षिप्त पाए गए
पूरा मामला मोठ तहसील के पूँछ थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम बड़ैरा का है, जहां ग्राम में करीब डेढ़ दर्जन से अधिक मानसिक विक्षिप्त लोग मिले हैं, जो कि गांव में बंधुआ मजदूरों की तरह काम कर रहे थे, जिसकी शिकायत गांव के ही धर्मदास पुत्र रामदास ने की थी, जिसका संज्ञान लेकर एक टीम का गठन किया गया, इस टीम में तहसील प्रशासनिक अधिकारी, श्रम विभाग, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस मौजूद रही, इस गठित टीम द्वारा शिकायत के आधार पर मानसिक रूप से विक्षिप्त बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे लोगों की स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा कैंप लगाकर जांच की गई।
जांच में करीब डेढ़ दर्जन लोग मानसिक विक्षिप्त पाए गए हैं, जो गांव में बंधुआ मजदूरो की तरह काम कर रहे थे, गांव के प्रधान राजेंद्र सिंह ने बताया की किसी ग्रामीण ने इस मामले की शिकायत अधिकारियों से की तब कहीं अधिकारी गांव पहुंचे। और शिकायत के आधार पर 19 लोग जो की गांव के नहीं है उनका मानसिक परीक्षण किया गया। जिसमे अधिकतर लोगों की मानसिक हालत खराब पाई गई। पूछने पर सभी अपना नाम और पता भी नहीं बता पा रहे थे।उनका कहना है गांव के ही लोग इनसे अलग अलग तरीके के काम करवाते है।
बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे थे
मामले में सवाल खड़े होना लाजिमी हो जाते है, कि गांव में करीब डेढ़ दर्जन की संख्या मे मिले मानसिक विक्षिप्त लोग जो की बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे थे, यह इतनी संख्या में कहां से आए और कैसे गांव तक पहुंचे, यह एक प्रशासन के लिए बड़ा सवाल है, हालांकि इस पूरे मामले पर श्रम प्रवर्तन अधिकारी पल्लवी सिंह से बातचीत करने की कोशिश की तो उन्होंने पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया। हालांकि मामले में सवाल ऐ भी है कि श्रम प्रवर्तन अधिकारी आखिर वहां क्यों पहुंची, कहीं ना कहीं मानसिक विक्षिप्त लोग बंधुआ मजदूर की तरह गांव में काम कर रहे थे, जिसके घर कम कर रहे थे।उस पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई, ऐसे ही तमाम सवाल जिम्मेदार अधिकारियों पर खड़े हो रहे हैं, हालांकि तहसील स्तर पर बनाई गई टीम के जिम्मेदार अधिकारियों से भी बातचीत की तो मामले पर सभी अधिकारी एक दूसरे के पाले में मामले को धकेलते नजर आ रहे हैं।