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Milk Rate: महंगा होगा दूध! गांवों में भूसा 500 से 700 रुपए क्विंटल
Jhansi News: जल भराव से किसानों के खेत-खलिहानों में रखा भूसा भीगने से बर्बाद हो गया है। तेज धूप निकलने पर ही भूसे की किल्लत दूर होगी।
Jhansi News: जनपद में तीन दिन तक हुई मूसलाधार बारिश ने न केवल फसलों को प्रभावित किया बल्कि कृषि से जुड़ी हर चीज पर असर डाला है। लगातार बारिश होने से खेत-खलिहानों में पशुओं के चारे के लिए रखा भूसा भी भीग गया है। ऐसे में मवेशियों को भोजन देने के लिए किसान परेशान हैं। वहीं बाजार और दुकानों में बिकने वाले भूसे की कीमत भी सवा गुना बढ़ गई है। जो भूसा 500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से उपलब्ध था वह अब 650 से 700 रुपए तक जा पहुंचा है। इन हालातों में किसानों को महंगा भूसा खरीदना पड़ रहा है जिससे उस पर दोहरी मार पड़ रही है।
बरसात के कहर से जहां ग्रामीण व शहरी जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था तो वहीं खेतों में खड़ी दलहनी व तिलहनी फसलों को नुकसान पहुंचा है। फसलों को कितना नुकसान हुआ है यह तो सर्वे के पश्चात ही पता चलेगा। लेकिन कृषि से जुड़ी तमाम अन्य चीजों पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव पड़ा है। सबसे ज्यादा प्रभाव पशुओं के आहार के रुप में प्रयोग किया जाने वाला चारा-भूसा खेत-खलिहानों में भीग गया है। ऐसे में किसानों को बाजार से भूसा खरीदना पड़ रहा है। रक्सा के समीप ग्राम गणेशगढ़ के प्रगतिशील किसान वीर सिंह राजपूत ने बताया कि बाजार में जो भूसा पहले 500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से उपलब्ध होता था अब 650 से 700 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेचा जा रहा है। वहीं रानीपुर निवासी किसान आनंद श्रोतिय ने बताया कि जिन लोगों के खलिहान ऊंचाई वाले स्थानों पर थे उनका भूसा सुरक्षित रहा लेकिन जिन लोगों ने खेतों में अपने भूसे के ढेर लगाए थे वह भीगकर नष्ट हो गए हैं। इसके अलावा गुरसरांय, बबीना, मऊरानीपुर से भी भूसे की कीमत बढ़ जाने से किसान परेशान हैं।
खेती में फसल की कटाई के बाद निकलने वाले भूसे को किसान खेत और खलिहान में सुरक्षित रख देते हैं, ताकि पूरे वर्ष वह अपने मवेशियों को चारे व खली के साथ मिलाकर भोजन के रूप में दे सके। भूसे में कई पौष्टिक तत्व होते हैं जिसे मवेशी चाव से खाते हैं। भूसा दुधारू गाय-भैंस की दुग्ध उत्पादन क्षमता भी बढ़ाता है।
हार्वेस्टर ने भूसे को किया बर्बाद
पूर्व में फसल की मढ़ाई की जाती थी जिससे किसान को अनाज मिल जाता था साथ ही पशुओं के लिए भूसा, चारा भी मिल जाता था। लेकिन जब से फसलों की कटाई के लिए हार्वेस्टर से की जाने लगी है तब से भूसा उड़कर खेतों में बिखर जाता है। वहीं बड़ी जोत वाले किसानों द्वारा अपने खेत का भूसा जला दिया जाता था लेकिन प्रशासन द्वारा भूसा चारा जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद चारा बचने लगा।