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Jhansi News: नहीं हो सकी अब तक औसत से भी आधी बारिश, खाली दिख रहे तालाब
Jhansi News: इस वर्ष भी मानसून की बेरुखी के कारण जनपद के गांवों के तालाब नहीं भर पाए। ऐसे में खरीफ और रबी की फसलों की सिंचाई के साथ भूमिगत जलस्तर पर फिर से संकट मंडराने लगा है।
Jhansi News: इस वर्ष भी मानसून की बेरुखी के कारण जनपद के गांवों के तालाब नहीं भर पाए। ऐसे में खरीफ और रबी की फसलों की सिंचाई के साथ भूमिगत जलस्तर पर फिर से संकट मंडराने लगा है। मालूम हो कि झांसी जनपद में 825 मिलीमीटर वर्षा को औसत वर्षा माना गया है। बीते कई वर्षों में सिर्फ वर्ष 2019 में ही झांसी में 864 मिलीमीटर वर्षा हुई थी। उस दौरान बांधों व गांव के तालाब पूरी तरह से भर गए थे। उसके बाद वर्षा का ग्राफ लगातार गिरने लगा।
झांसी में अब तक हुई सिर्फ 375 मिलीमीटर वर्षा
वर्ष 2023 में मानसून के मौसम में कुल 546 मिलीमीटर वर्षा हुई जोकि औसत वर्षा से बहुत कम थी। उसका परिणाम वर्ष 2024 की गर्मियों में सूखे से हालातों से जूझना पड़ा। अब इस वर्ष मानसून के दो माह से ज्यादा का समय बीतने के बाद अब तक सिर्फ 375 मिलीमीटर वर्षा ही हो सकी है। ऐसे में किसानों के साथ नगरवासियों के चेहरों पर एक बार फिर से चिंता की लकीरें स्पष्ट दिखाई देने लगीं हैं।
कैसे हो पाएगी फसलों की सिंचाई ?
बीते कई वर्षों से झांसी जनपद में कम वर्षा होने से खरीफ व रबी की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। वहीं गर्मी के दिनों में गांव के तालाब सूख जाने की वजह से मवेशियों को पीने के पानी का संकट झेलना पड़ा। कम वर्षा का असर भूमिगत जल स्तर पर भी पड़ा। भूमिगत जलस्तर बहुत नीचे चले जाने से कुंए, हैंडपंप और बोरिंग सूख गईं थीं। ऐसे में झांसी वासियों को पानी की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी। हालांकि इस वर्ष मौसम वैज्ञानिकों द्वारा मानसून के ठीकठाक रहने की संभावना जताई जा रही है।
वहीं शासन द्वारा खेत तालाब योजना के तहत गांवों में तालाब भी खुदवाये गए। उम्मीद थी कि बारिश होने पर तालाब भर जाएंगे जिसने खेती की सिंचाई के साथ गर्मियों में मवेशियों को पीने के लिए पानी उपलब्ध रहेगा। तालाब और बांध भरने से भूमिगत जलस्तर में भी बढ़ोत्तरी होगी। लेकिन अब तक हुई बारिश के आंकड़ों को देखते हुए नहीं लगता है कि मानसून के बचे कुछ सप्ताह में बारिश 800 मिलीमीटर का आंकड़ा पार कर पाएगी।