×

Jhansi News: मिड डे मील क्वॉर्डिनेटर की दादागिरी! वेतन नहीं मिलने से शिक्षक-रसोईया परेशान, अपने पैसे से छात्रों को दे रहे खाना

Jhansi News: बीईओ कार्यालय से तीन बार ई-मेल भी भेजा गया। इसके बावजूद जिला समन्वयक रसोइयों के मानदेय पर कुंडली मार के बैठे हैं। शिक्षक जब समन्वयक के सीयूजी मोबाइल पर संपर्क करना चाहते हैं, तो वह मोबाइल उठाते ही नहीं है।

B.K Kushwaha
Published on: 12 Jan 2024 12:48 PM IST
Jhansi News
X

सांकेतिक तस्वीर (सोशल मीडिया)

Jhansi News: परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत डेढ़ हजार रसोइयों का मानदेय कई महीनों से जिला समन्वयक की गलती से लटका हुआ है। किसी रसोईया का मानदेय किसी दूसरे रसोईया के खाते में भेज दिया गया। एक विद्यालय में 4 साल से मध्यान्ह भोजन की परिवर्तन लागत (कन्वर्जन कास्ट) नहीं भेजी गई। 2 साल से प्रधानाध्यापक अपने खर्चे से एमडीएम बनवा रही हैं। एमडीएम समन्वयक के दुर्व्यवहार से शिक्षक और रसोईया परेशान हैं।

बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में बच्चों को मीनू के अनुसार प्रतिदिन गरमा गरम भोजन परोसा जाता है। इसके बनाने के लिए जनपद में लगभग 4 हजार रसोईया कार्यरत हैं। इनको इसके एवज में 2 हजार रूपए प्रतिमाह मानदेय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से उनके बैंक खाते में ऑनलाइन भेजा जाता है। माह सितंबर का मानदेय भेजने में जिला समन्वयक - एमडीएम राजबहादुर सिंह ने लापरवाही कर दी। जिससे लगभग ढाई हजार रसोइयों को ही मानदेय प्राप्त हो सका। शेष डेढ़ हजार रसोईया ऑफिस के चक्कर लगा रही हैं। जिनको समन्वयक द्वारा बार-बार टरकाया जा रहा है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि जिन डेढ़ हजार रसोइयों को मानदेय नहीं मिला है। उनकी सूची जिला समन्वयक नहीं बना पा रहे हैं । उनके पास आंकड़े ही उपलब्ध नहीं, जिनका मानदेय नहीं भेजा गया है।

परेशान रसोईया प्रधानध्यापकों को परेशान किए हुए हैं। उन पर मानदेय हजम करने तक के आरोप लगा रही हैं। चिरगांव ब्लॉक के एक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका 4 साल से कार्यालय के चक्कर काट रही हैं। उनके विद्यालय के खाते में परिवर्तन लागत नहीं भेजी जा रही है। पहले से खाते में जो धनराशि उपलब्धि थी। उससे लगभग दो वर्ष तक एमडीएम बनवाया गया। उसके बाद 2 वर्ष से वह अपने वेतन से एमडीएम बनवा रहीं हैं। कंपोजिट विद्यालय मथुरापुरा, ब्लॉक बबीना में एक रसोईया का मानदेय किसी दूसरे रसोईया के खाते में भेज दिया गया है। जिससे वह भी परेशान होकर ऑफिस में चक्कर लगा रही है। इसी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय ढिकौली की एक रसोईया का 6 माह का मानदेय लटका रखा है। अपने साथ कार्यरत अन्य रसोइयों को मानदेय प्राप्त होने से रसोईया परेशान है। इसकी शिकायत खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से जिला समन्वयक तक पहुंँचाई गई।

बीईओ कार्यालय से तीन बार ई-मेल भी भेजा गया। इसके बावजूद जिला समन्वयक रसोइयों के मानदेय पर कुंडली मार के बैठे हैं। शिक्षक जब समन्वयक के सीयूजी मोबाइल पर संपर्क करना चाहते हैं, तो वह मोबाइल उठाते ही नहीं है। जब शिक्षक कार्यालय में मिलने पर उनसे इस बात की शिकायत करते हैं, तो वह कहते हैं कि केवल मोबाइल उठना भर ही उनका काम नहीं है। शिक्षकों से दुर्व्यवहार की शिकायत भी आए दिन आती रहतीं हैं।

नौकरी 12 माह, मानदेय 10 माह का

कितना अजीब है न यह ! एक तरफ सरकार नारी सशक्तिकरण की दिशा में तमाम् योजनाएं चला रही है, तो वहीं दूसरी ओर परिषदीय विद्यालयों में एमडीएम बना रहीं रसोइयों को 2 हजार रूपए प्रतिमाह अल्प मानदेय दिया जा रहा है। रसोइयों से काम साल में 12 माह लिया जा रहा है और मानदेय 10 माह का ही दिया जाता है। दो माह उनसे बेगारी में काम लिया जाता है। इससे रसोइयों में भारी आक्रोश है।



Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

Next Story