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Jhansi News: ट्रेनों में यात्री धक्के खा रहे रोज, हजारों की भीड़ एक जनरल कोच
Jhansi News: देश के विभिन्न राज्यों से आने वाली ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ काफी बढ़ गई है। स्लीपर बोगी में जहां यात्रियों को बैठने तक की जगह नहीं मिल रही है।
Jhansi News: एक्सप्रेस ट्रेनों में जनरल कोचों की कमी से आम यात्रियों की मुश्किलें बढ़ा दी है। लंबी दूरी की ट्रेनों के रेक में साधारण और स्लीपर श्रेणी की जगह वातानुकूलित (विशेषकर एसी थर्ड) कोच लगने लगे हैं। उत्तर मध्य रेलवे में पिछले एक साल में करीब 40 से अधिक ट्रेनों की रेक में एसी के 100 से अधिक कोच लग गए, जिससे एसी थर्ड के ही 75 से अधिक हैं। शेष एसी टू और प्रथम के लगे हैं। वहीं, जनरल औऱ स्लीपर के कोच लगातार घटते जा रहे हैं। ऐसे में आम यात्रियों को जनरल कोचों में पैर रखने की जगह नहीं मिल रही तो लोग टॉयलेट के सामने तक सफर करने को मजबूर हैं।
मजदूरी करके त्योहार पर घर लौटते हैं बुंदेलखंड के लोग
भारतीय रेलवे में उत्तर मध्य रेलवे का झांसी मंडल का बुंदेलखंड का हिस्सा काफी गरीब माना जाता है। इस इलाके में रहने वाले लोग पलायन करके मजदूरी के लिए दिल्ली, बैंगलोर, गुड़गांव, फरीदाबाद, पंजाब आदि इलाकों में जाते हैं। जब कोई त्योहार होता है तो लोग काम बंद करके अपने घर वापस लौटते हैं। घर वापस आने के लिए लोग जनरल कोचों में सफर करते झांसी पहुंचते हैं, क्योंकि इनके पास इतना पैसा नहीं है कि वह फर्स्ट व थर्ड एसी का टिकट खरीद सकें। अगर फर्स्ट एसी का टिकट लेना पड़े तो घर पर लोग खाएंगे क्या। बताते हैं कि नई व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्येक ट्रेन की रेक में अधिकतम 22 में से कम से कम 18 एसी कोच लगाए गए। एसी थर्ड के अधिकतम 14 कोच लगे हुए हैं। स्लीपर औऱ साधारण श्रेणी के सिर्फ दो-दो कोच लगे हुए हैं। रेलवे बोर्ड का दावा है कि ट्रेनों में अधिक एसी कोच लगने से यात्रियों की सहूलियत मिलेगी। ट्रेनों की रफ्तार भी बढ़ जाएगी।
ट्रेनों में बढ़ी भीड़, जनरल में तब्दील हो गए स्लीपर कोच
स्टेशन पर नवरात्रि को लेकर दिल्ली, मुंबई, पंजाब, कोलकाता एवं बैंगलुरु सहित देश के विभिन्न राज्यों से आने वाली ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ काफी बढ़ गई है। स्लीपर बोगी में जहां यात्रियों को बैठने तक की जगह नहीं मिल रही है, वहीं सामान्य बोगियों में तो पांव रखने तक की जगह नहीं है। स्लीपर कोच भी एक तरह से जनरल डिब्बों में तब्दील हो गए हैं। नियमित रूप से भोपाल से आने वाली पंजाब मेल, मंगला एक्सप्रेस, श्रीधाम एक्सप्रेस, सचखंड एक्सप्रेस, स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस, समता एक्सप्रेस, छत्तीसगढ़ में यात्रियों की भीड़ काफी बढ़ी हुई है।
इनका कहना है
बांदा निवासी अजय कुमार का कहना है कि जब आरक्षित कन्फर्म टिकट नहीं मिलता हो तो लोग जनरल कोच की तरफ भागते हैं, लेकिन जनरल कोचों में भी सीटें नहीं मिल पाती हैं। कुछ लोग जान जोखिम में डालकर आपातकालीन खिड़की से जनरल कोचों में प्रवेश करते हैं तो कुछ जब खड़े होने की जगह नहीं पाते हैं तो सफर तय करने के लिए टॉयलेट तक में भी घुस जाते हैं। उनका कहना है कि ट्रेनों में जनरल कोचों की संख्या बढ़ना चाहिए।
कुलपहाड़ निवासी चतुर्भुज का कहना है कि वह दिल्ली में राजमिस्त्री का काम करता था। नवरात्र पर्व होने के कारण त्योहार मनाने के लिए अपने घर वापस लौट रहा है। उनका कहना है कि स्लीपर बोगी में बैठने तक की जगह नहीं मिल रही है। सामान्य बोगियों में तो पांव रखने तक की जगह नहीं है। उसका कहना है कि स्लीपर कोच भी एक तरह से जनरल डिब्बों में तब्दील हो गए हैं जिससे रेलयात्रियों को परेशानी हो रही है। गरीबी जनता के लिए जनरल कोचों की संख्या में वृद्धि होना चाहिए। महोबा के अजनर के वनमोरा में रहने वाले धनीराम और उनकी पत्नी जशोदा ने बताया कि वह दिल्ली के सेक्टर-20 में राजमिस्त्री का काम करते हैं। नवरात्रि का त्योहार मनाने के लिए अपने गांव लौट रहे हैं। दिल्ली से झांसी तक जनरल कोच में सफर किया है। इस कोच में खड़े होकर सफर करना पड़ा है। उनका कहना है कि इतना पैसा भी नहीं है कि थर्ड एसी का टिकट खरीद सकें।