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Jhansi News: रेलवे के एसबीएफ शिविर प्रकरण, टूर के लिए आए 135 आवेदन, मात्र 50 का चयन

Jhansi News: यूनियन आदि के कर्मचारियों के दस हजार 10000 एसबीएस से क्यों? इसी माह जाएगा अंडमान निकोबार द्वीप समूह भ्रमण को टूर?

B.K Kushwaha
Published on: 13 Sept 2023 10:25 PM IST
Railways SBF camp case, 135 applications received for tour, only 50 selected
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रेलवे के एसबीएफ शिविर प्रकरण, टूर के लिए आए 135 आवेदन, मात्र 50 का चयन: Photo-Newstrack

Jhansi News: उत्तर मध्य रेलवे के झाँसी रेल मंडल में एसबीएफ शिविर में गोलमाल किया गया है। इस शिविर के लिए 135 आवेदन आए थे मगर मात्र 50 लोगों का शिविर के लिए चयन किया गया। इनमें सभी रेलवे कर्मचारी शामिल है। यूनियन आदि के कर्मचारियों के दस हजार रुपया जमा करवाए गए, जबकि शिविर में जा रहे बाकी लोगों से अच्छा खासा पैसा जमा करवाया गया है। इस शिविर को लेकर रेलवे में तमाम तरह की चर्चाएं चल रही है। इस मामले की शिकायत मुख्यालय से लेकर रेलवे बोर्ड की गई हैं।

एसबीएफ कमेटी झाँसी मंडल के द्वारा एक कर्मचारी शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में महिला कर्मचारियों को छोड़ दिया गया है, जबकि भारत सरकार एवं रेल मंत्रालय भी महिला सशक्तीकरण पर बल दे रहा है। यह शिविर 18 सितंबर 2023 से 23 सितंबर तक अंडमान निकोबार द्वीप समूह भ्रमण के लिए प्रस्तावित है। शिविर में जाने वाले लोगों से आवेदन मांगे गए थे। इसके लिए रेलवे के 135 लोगों ने आवेदन दिए थे। इसके बाद आवेदनों की छटनी गई। इनमें 50 लोगों का शिविर के लिए चयन किया गया। शिविर में जाने वाले लोगों से पैसा भी जमा करवाया गया। किसी ने बैंक खाते से जमा किया तो किसी ने ऑनलाइन, या फिर चेक के माध्यम से पैसा दिया गया।

पहले रेलवे करती थी भोजन, अब टूर आपरेटर कर रहा है खाने की व्यवस्था?

पूर्व में रेलवे का टूर जाता था। तब लोग कोच में सवार होकर जाते थे। उस समय भोजन की व्यवस्था रेलवे द्वारा खुद की जाती थी। इसके लिए संबंधित रेलवे से खाना बनाने वाला स्टॉफ जाता था। जैसे ही कोच साइडिंग में खड़ा कर दिया जाता था, तब खाने तैयार किया जाता था मगर इस व्यवस्था में भी बदलाव कर दिया है। अब जिसे ठेका दिया है। वह ठेकेदार ही पूरी टूर के खाने की व्यवस्था खुद करेगा। यह कैसा नियम हैं। इस तरह के मामलों की जांच होना जरुरी है।


इन लोगों से पैसा क्यों जमा नहीं करवाया जाता?

टूर में अफसर और कर्मचारियों का भी जमावड़ा रहता है। इनमें इसकी संख्या 15 है। इन लोगों से पैसा जमा नहीं करवाया जाता है। इनमें एक कार्मिक अधिकारी, तीन वेलफेयर इंस्पेक्टर, दो चपरासी, एक डॉक्टर, एक कंपाउंडर, एक चपरासी, चार रेलवे संगठन के नेता आदि शामिल है। इन लोगों को छोड़कर बाकी लोगों से दस-दस हजार कैश, चेक या ऑनलाइन पैसा जमा करवाया जा रहा है। बताते हैं कि इसकी संख्या कम हो जाए तो रेलवे कर्मचारियों को फायदा होगा मगर यहां तो अफसरशाही चल रहे हैं। इनमें यह लोग भी शामिल है जिन्हें टीए भी मिलता है। इस तरह के मामलों की गोपनीय जांच होना जरुरी है।

रेलवे संगठन के नेताओं में ठनी?

सूत्र कहते हैं कि टूर में यूनियन के दो-दो प्रतिनिधि जाते हैं। हर बार टूर में प्रतिनिधि बदल दिए जाने चाहिए, मगर प्रतिनिधि नहीं बदले जाते हैं। इसकी जानकारी रेलवे संगठन के अन्य नेताओं को हुई तो आपस में ठन गई हैँ। एक दूसरे नेता अपने ही नेताओं से मनमुटाव मनाने लगे हैं। नाम न छापने की शर्त पर लोगों का कहना है कि संगठन को अपने प्रतिनिधि बदलना चाहिए। हर बार इन्हीं प्रतिनिधियों को क्यों भेजा जाता है। इस तरह के प्रतिनिधि क्यों संगठन के मठाधीश लोग हैं। इस तरह की चर्चाएं चल रही हैं।

रेलवे अफसरों के चलते हैं नियम?

अब तक सभी टूर एक ही कंपनी ने किए है तो इस बार नियम में बदलाव टेंडर के लिए करने की आवश्यकता क्यों पड़ी। 2017 के प्रति व्यक्ति खर्च को 2023 के प्रति व्यक्ति खर्च को बढ़ाना चाहिए किंतु कम हो गया, क्योंकि वहां दो कंपनी और कंपटीशन में थीं इसलिए यह रेट 26000 से 22000 से भी कम हो गये। दूसरी कंपनियां कंपटीशन में ना आए। इसके लिए एक नियम बनाकर उन्हें बाहर किया गया कि जिस कंपनी को रेलवे बैंक राज्य अथवा केंद्र कर्मचारियों के 60 व्यक्तियों को ले जाने का अनुभव हो, वही टेंडर डालें। यह नियम पहली बार लगाया गया। इसके पहले कभी भी ऐसा नियम नहीं था। यह इसलिए हुआ की कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाएगा।

भारतीय मजदूर संघ ने डीआरएम को लिखी चिट्ठी, जांच की मांग?

भारतीय मजदूर संघ के विभाग प्रमुख अवधेश सक्सेना ने मंडल रेल प्रबंधक को एक पत्र भेजा है। पत्र में कहा है कि उत्तर मध्य रेलवे झाँसी मंडल के 50 रेलकर्मचारियों एसबीएफ शिविर 18 से 23 सितंबर तक अंडमान निकोबार द्वीप समूह भ्रमण के लिए प्रस्तावित है। शिविर में प्रत्येक प्रतिभागी से दस हजार की राशि हवाई टिकट के मद में जमा करवाई गई। यूनियन के प्रतिनिधियों एवं व्यवस्था हेतु साथ जाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों से कोई भी राशि जमा नहीं करवायी गई। एसबीएफ के मद से ही हवाई यात्रा किराया भी स्वीकृत किया गया है। बड़ी संख्या में हवाई टिकटों की बुकिंग करवाने में कंपनी में मोल-भाव करके किराया में रियायत दिलवाई गई। शिविर संचालन में मनमर्जी से हेराफेरी करके टूर ऑपरेटर का चयन किया गया।

आरोप है कि शिविर हेतु एक ही टूर ऑपरेटर द्वारा बार-बार टूर ऑपरेटर करने का आर्डर पा लेना और एक ही टूर ऑपरेटर द्वारा नाम बदल-बदल कर कई कुटेशन जमा करके आर्डर प्राप्त कर लेना, शिविर हेतु प्रति रेल कर्मचारी की निर्धारित की गयी राशि का अनुपातिक रुप से लगभग दो गुना हो जाना, टूर के सहयोगी के रुप में संगठन के कुछ एक प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों का हर बार शामिल होना, एक ही व्यक्ति का बार-बार हर टूर में शामिल होना समेत कई प्रकार की भ्रांति है। इस टूर संचालन की गोपनीय जांच किए जाने की मांग की है। इसके अलावा बीएमएस ने एनसीआर के प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी, मुख्य सतर्कता अधिकारी आदि को पत्र भेजा है। पत्र के माध्यम से जांच किए जाने की मांग की है।



Shashi kant gautam

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