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Jhansi News: विभाजन की त्रासदी को किया याद, विभीषिका स्मृति दिवस में छलके आंसू

Jhansi News: आज की पीढ़ी को जानकारी देने के लिए कार्यक्रम में विभाजन से जुड़े चित्रों का प्रदर्शन किया गया।

B.K Kushwaha
Published on: 14 Aug 2023 4:25 PM IST

Jhansi News: विभाजन के दिनों की त्रासद घटनाओं से लोगों को अवगत कराने के लिए झांसी के कई रेलवे स्टेशनों पर ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया गया। वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी रेलवे स्टेशन, ग्वालियर रेलवे स्टेशन, उरई रेलवे स्टेशन, ललितपुर तथा बांदा रेलवे स्टेशन पर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

विभाजन के दौरान ट्रेनों से हुए पलायन की तस्वीरें दिखाईं गईं

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस कार्यक्रम शुभारम्भ झांसी स्टेशन पर मंडल रेल प्रबंधक दीपक कुमार सिन्हा द्वारा किया गया। आयोजित कार्यक्रम के तहत सभी स्टेशनों पर चित्रों के माध्यम से विभाजन के समय रेल द्वारा लोगों के पलायन को दर्शाया गया है। प्रदर्शित चित्रों के माध्यम से वर्तमान पीढ़ी को विभाजन के दौरान लोगों द्वारा झेली गई कठिनाइयों का स्मरण कराने के लिए यह प्रदर्शनी लगाई गयी है। प्रदर्शनी के माध्यम से 14 अगस्त के दिन अखंड भारत के हुए दो टुकड़े, लाखों लोग विस्थापित तथा बड़े पैमाने पर दंगे भड़कने के कारण कई लोगों की मौतों के विभत्स दृश्य दिखाए गए।

डीआरएम ने सुनाई त्रासदी की दास्तां

इस अवसर पर मण्डल रेल प्रबंधक दीपक कुमार सिन्हा ने बताया कि देश की आजादी के ठीक एक दिन पहले हमारे देश को धार्मिक विचार धाराओं के आधार पर विभाजित कर दिया गया, बंटवारे की आग इतनी भड़की कि जगह-जगह पर दंगे शुरू हो गए। जिसमें लोगों ने अपनी जान गवां दीं। उन शहीदों की याद में और विभाजन से होने वाली पीड़ा को याद करने के लिए ही इस कार्यक्रम को आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 9 स्वतन्त्रता सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया। देश भक्ति गीत व नुक्कड़ नाटक के माध्यम से आजादी के समय होने वाली स्थिति से रेलवे यात्रियों को अवगत कराया गया।

कार्यक्रम में इनकी रही उपस्थिति

कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी ब्रजेश कुमार चतुर्वेदी, वरिष्ठ मंडल इंजीनियर(समन्वय) आशुतोष चौरसिया, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक शशिकान्त त्रिपाठी, मण्डल कार्मिक अधिकारी रविन्द्र कुमार और जनसम्पर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह सहित सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।



B.K Kushwaha

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