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Jhansi News: बिना प्रपत्रों के गिट्टी का परिवहन कर करोड़ों का लगाया जा रहा चूना, शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं
Jhansi News: जनपद की दो ट्रांसपोर्ट कम्पनियों द्वारा प्रदेश सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है, जिसको लेकर जिला प्रशासन और खनिज विभाग के अधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
Jhansi News: अभी तक अवैध खनन के परिवहन के खेल ट्रकों से होता था। लेकिन झाँसी में अवैध खनन और परिवहन के लिए ट्रकों के साथ साथ ट्रेनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि अभी किसी का ध्यान इस ओर नहीं गया है। जनपद की दो ट्रांसपोर्ट कम्पनियों द्वारा प्रदेश सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है, जिसको लेकर जिला प्रशासन और खनिज विभाग के अधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वहीं रेलवे के माध्यम से बिहार व पश्चिम बंगाल तक झांसी जनपद से गिट्टी का परिवहन किया जा रहा है।
योगी सरकार द्वारा खनिज के खनन पर रोक लगाने के बाद से पूरे सूबे में बालू-गिट्टी की कमी हो गयी है। नतीजतन, रेत व गिट्टी के दाम आसमान छूने लगे। कुछ खनन सामग्री आपूर्तिकर्ताओं ने रेल परिवहन का सहारा लेकर इसका लाभ उठाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए मंडल के ऐसे छोटे स्टेशनों को लोडिंग के लिए खुलवा लिया गया है, जो एमपी और यूपी की सीमा के पास पड़ते है। इस सम्बंध में गढ़मऊ निवासी हृदेश कुमार तिवारी ने जिलाधिकारी को दिए शिकायती पत्र में बताया कि चिरगांव की दो ट्रांसपोर्ट कम्पनियों द्वारा बिना प्रपत्रों के गिट्टी का परिवहन किया जा रहा है। इससे सरकार को करोड़ों के राजस्व चूना लगाया जा चुका है। सम्बंधित विभाग के अधिकारी भी मामले की जानकारी रखने के बावजूद इस पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जोकि कहीं न कहीं मामले में उनकी संलिप्तता को भी बयां करता है। शिकायतकर्ता ने जिलाधिकारी ने मामले की जांच कराकर कार्रवाई कराए जाने की मांग की है।
क्या बिना परमिट के निकल रही है गिट्टी?
बगैर परमिट के हर माह निकल रही थी 10 से 15 रैक गिट्टी रेलवे के एक रैक में सामान्यतया 22 से 2300 घनफीट गिट्टी लोड की जाती है। अगर रेलवे विभाग की मेहरबानी हो जाए तो यह आंकड़ा 2500 से लेकर 3000 घनफीट तक पहुंच जाता है। सूत्र बताते हैं कि रेलवे के लोगों के मिलीभगत से और खनन विभाग के कुछ लोगों की मेहरबानी से प्रतिमाह 10 से 15 रैक गिट्टी बगैर परमिट के ही विभिन्न जगहों पर ले जाई जा रही थी। सूत्रों की बातों पर भरोसा करें तो यह सुविधा उसी ठेकेदार को मिलती थी, जिस पर रेलवे के अधिकारी मेहरबान होते थे।
बगैर परमिट कैसे लोड हुई गिट्टी? बड़ा सवाल ?
जिस रेलवे में एक साधारण बिल्टी भी बगैर वैध कागजात के आगे नहीं बढ़ती। उस रेलवे में एक रैक नहीं बल्कि दर्जनों रैक गिट्टी बगैर परमिट के ही ढुलाई हो जाती है, उसने रेलवे के शून्य भ्रष्टाचार नीति को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। बताते हैं कि जब भी ऐसी गिट्टी लोड करने के लिए रेलवे स्टेशन पर पहुंचती थी तो स्टेशन मास्टर के पास ऊपर से फोन आता था कि गिट्टी लोड करा दो। यह फोन कहां से किस अधिकारी द्वारा और किसके इशारे पर आता था? यह सवाल अब तक अनुत्तरित है।
यह है नियम क्या?
बता दें कि प्रति घनफीट के हिसाब से बाकायदा परमिट (एमएम-11) क्रशर प्लांट से परमिट जारी होता है। इसके लिए एक निश्चित रकम रॉयल्टी के रूप में गिट्टी खरीदने वाले को अदा करनी पड़ती है। यह रायल्टी सरकारी खजाने में जमा होती है। चर्चाओं पर ऐतबार करें तो कि परमिट देने के एवज में प्रति घनफीट सुकृत सुकृत क्षेत्र और एमपी में लगभग 160 रुपये लिए जा रहे हैं। इसी को बचाने के एवज में यह सारा खेल खेला जा रहा था।