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Jhansi News: तीन दिवसीय आवासीय मधुमक्खी पालन पर प्रशिक्षण संपन्न, बुलेटिन पुस्तक का हुआ विमोचन
Jhansi News: तीन दिवसीय मधुमक्खी पालन विषय पर प्रशिक्षण किसानों को दिया गया। प्रशिक्षणार्थी किसानों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया एवं मधुमक्खी पालन बुलेटिन पुस्तक का विमोचन किया।
Jhansi News: जनपद झांसी के रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विवि में मधुमक्खी पालन प्रयोगशाला इनक्यूबेटर केन्द्र में कीट विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना उत्तर प्रदेश द्वारा वित्तपोषित तीन दिवसीय मधुमक्खी पालन विषय पर प्रशिक्षण किसानों को दिया गया। इसमें झाँसी, ललितपुर, टीकमगढ जिले के खुरमापुर, मऊरानीपुर, मड़ोरी, खितबास, रानीपुर, मगरवारा ग्राम से कुल 50 किसानों ने विवि में रहकर मधमक्खी पालन प्रशिक्षण प्राप्त किया।
आज समापन अवसर की अध्यक्षता कर रहे कुलपति डाॅ. अशोक कुमार सिंह ने प्रशिक्षणार्थी किसानों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया एवं मधुमक्खी पालन बुलेटिन पुस्तक का विमोचन किया। कुलपति ने कहा कि आज बड़े हर्ष की बात है कि किसानों ने विवि में 3 दिन रहकर मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इससे प्रतीत होता है कि शहद के प्रति किसानों में जागरूकता बढ़ी है।
विदेशों में भी शहद की मांग बढी है
उन्होंने कहा कि पहले शहद का उत्पादन कम होता था और किसानों को शहद उत्पादन तकनीक की जानकारी नहीं थी। लेकिन आज शहद की मांग बढ़ी है। इसका उपयोग दवाओं सहित शारीरिक स्वास्थ के लिए बहुत अधिक हो रहा है। विदेशों में भी शहद की मांग बढी है। आज के समय में शहद उत्पादन किसानों को काफी लाभ दिलायेगा। उन्होंने कहा कि किसान प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने ग्राम के अन्य लोगों को भी जोड़ें और इससे लाभ प्राप्त करें। विवि में शहद प्रसंस्करण इकाई लगी हुई है। कोई भी किसान अपना शहद शुद्धीकरण यहां करा सकता है। तुलसी, नीम, जामुन, आम, चंदन, करंज, बरगद आदि का शहद लाभप्रद हैं। निदेशक प्रसार शिक्षा डाॅ. एसएस सिंह ने कहा कि बुंदेलखण्ड के किसानों के लिए शहद उत्पादन तकनीक नई है। यहां के किसान मधुमक्खी पालन में सफल हो रहे हैं एवं किसान स्वेच्छा से प्रशिक्षण लेने विवि आ रहे हैं। विवि के मधुमक्खी फार्म में इतनी गर्मी में भी मधुमक्खी सुरक्षित हैं। साथ ही विवि के मधुमक्खी यूनिट को निर्देश दिया कि अभी तक जितने किसान मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण ले चुके हैं उनसे वर्तमान स्थति की जानकारी प्राप्त करें। विवि जल्द ही कुछ ग्रामों को मधुग्राम बनाएगा। किसानों के शहद विक्री के लिए विवि पूर्ण मदद करेगा।
मधुमक्खी की विभिन्न प्रजातियो एवं आर्थिक महत्व की जानकारी दी
विभागाध्यक्ष डाॅ. पीपी जाम्भुलकर ने कहा कि किसानों ने यहां ज्ञान प्राप्त किया है तथा जो मधुमक्खी पालन के बक्से मिले हैं वह ग्राम के अन्य किसानों को भी उसकी जानकारी दें। हमारा संकल्प है कि बुंदेलखण्ड को मधुमय बनाना है।इस प्रशिक्षण में प्रथम दिवस किसानो को आर्दश मधुमक्खी वाटिका की स्थापना, मधुमक्खी परिवारो का मौसमी प्रबधन के बारे में वैज्ञानिक डाॅ विजय कुमार मिश्रा ने, मधुमक्खी की विभिन्न प्रजातियो एवं आर्थिक महत्व, रानी मधुमक्खी की उत्पादन विधि वैज्ञानिक डाॅ. सुन्दर पाल, फसलोत्पादन में मधुमक्खी परागण का योगदान, मधुमक्खी पालन के आवश्यक उपकरण एवं उपयोग के बारे में डाॅ. योगेन्द्र कुमार मिश्रा ने, विवि प्रक्षेत्र मधुवाटिका भ्रमण कराते हुए वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण समन्वयक डाॅ. ऊषा ने किसानों को मधुमक्खी परिवार में संवाद प्रणाली, मधुमक्खी परिवार के सदस्यगण एवं श्रम विभाजन, मधुमक्खियों के कीट और उनका प्रबंधन के बारे में किसानों को जानकारी दी।
मधुमक्खी पालन के लिए महत्त्वपूर्ण फूल वाले पौधे की जानकारी दी
द्वितीय दिवस में मधुमखियों जीवनाशी रसायनों से सुरक्षा के बारे में एमेरेटिस वैज्ञानिक डाॅ. डीवी अहूजा ने, मधुमखियों में होने बाले रोग और प्रबंधन के बारे में डाॅ. वैभव सिंह, कृषि वानिकी का मधुमक्खी पालन में महत्त्व डाॅ. सुशील यादव, मधुमक्खी पालन के लिए महत्त्वपूर्ण फल एवं सब्जियां डाॅ. अशोक यादव, मधुमक्खी पालन के लिए महत्त्वपूर्ण फूल वाले पौधे डाॅ. प्रियंका शर्मा, मधुमक्खी परिवार का मिलाव बटवारा एवं आधार छत्ता बनाने की विधि, मधुमक्खी परिवारों का निरीक्षण, कृत्रिम भोजन बनाने की विधि एवं देने का तरीका के बारे में डाॅ. विजय कुमार मिश्रा, तृतीय दिवस कृषि वानिकी एवं औषधीय पौधों का मधुमक्खी पालन में महत्त्व डाॅ. प्रभात तिवारी, मधुमक्खी गृह के बहुमूल्य उत्पादों का उत्पादन, मधु एवं मोम का उत्पादन, शोधन, भण्डारण, बिक्री एवं आर्थिक विश्लेषण के बारे में सलाहकार मधुमक्खी पालन इकाई डाॅ. हरी चन्द ने प्रशिक्षणार्थियों को जानकारी दी। संचालन डाॅ. विजय कुमार मिश्रा एवं डाॅ. योगेन्द्र मिश्रा ने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया।