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Jhansi News: डिमांड से आधा मिल रहा पानी, प्यासी है झांसी
Jhansi News: डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी की उपलब्धता का मानक निर्धारित किया गया है, पर जल संस्थान मानक की 75 फीसदी मात्रा ही उपलब्ध करा पा रहा है।
Jhansi News: झांसी की आबादी को जितनी मात्रा में पानी की जरूरत है, जल संस्थान उसकी आधी मात्रा ही मुहैया करा पा रहा है। ऐसे में महानगर के लोगों की प्यास कैसे बुझेगी यह एक जलता सवाल है। यदि समय रहते पुख्ता इंतजाम न किए गए तो आने वाले समय में पानी की किल्लत और बढ़ सकती है। मालूम हो कि झांसी की पेयजल व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए वर्ष 2018 में सरकार द्वारा 800 करोड़ रुपए की धनराशि दी गई थी, लेकिन इसके बाद भी पेयजल समस्या जस की तस है। इसकी वजह है कि अभी तक झांसी के कई इलाकों में पाइप लाइनें ही नहीं बिछाई जा सकी हैं।
झांसी महानगर में करीब सवा लाख मकान हैं, जबकि इनमें से 83 हजार लोग जल संस्थान के उपभोक्ता हैं। इन्हें पानी उपलब्ध कराने के लिए जल संस्थान को 162 एमएलडी पानी की जरूरत है, जबकि जल संस्थान अपने तमाम संसाधनों से 84 एमएलडी पानी ही उपलब्ध करा पा रहा है। मालूम हो कि डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी की उपलब्धता का मानक निर्धारित किया गया है, पर जल संस्थान मानक की 75 फीसदी मात्रा ही उपलब्ध करा पा रहा है। ऐसे में जब स्थानीय जनप्रतिनिधि पेयजल की किल्लत को लेकर आवाज उठाते हैं तो जल संस्थान इस कमी का ठीकरा जल निगम के सिर फोड़ता है।
दो विभागों की है जिम्मेदारी
झांसी की पेयजल व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए जल संस्थान और जल निगम दोनों की भूमिका अहम है। जल निगम पेयजल व्यवस्था का ढांचा यानि पानी की टंकियां तैयार करवाता है और मुहल्ले एवं कॉलोनियों में पाइप लाइन बिछवाता है। जबकि, जल संस्थान फिल्टर प्लांट में शुद्ध किया गया पेयजल उपलब्ध कराता है। यानि जल संस्थान का परफार्मेंस पूरी तरह से जल निगम पर आधारित है। यदि जल निगम के काम में लेट लतीफी होती है तो जल संस्थान की सप्लाई रुक जाती है।
पाइप लाइनें बिछाईं जाएं तो हम पानी दें
झांसी जल संस्थान अधिशासी अभियंता संदीप कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा पेयजल व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए वर्ष 2018 से 800 करोड़ रुपया आया है, जिससे जल निगम को पाइप लाइन बिछाने का कार्य करना है, परंतु अब तक पाइप लाइन बिछाने का कार्य 40 से 50 प्रतिशत ही हो सका है, ऐसे में हम सभी को शुद्ध पेयजल कैसे उपलब्ध करा पाएंगे।