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National Epilepsy Day 2023: समझें मिर्गी और दिमाग की बीमारियों का कनेक्शन, साइबर नाइफ रेडियोसर्जरी क्यों है बेहतर विकल्प?

National Epilepsy Day 2023: आर्टेमिस अस्पताल गुरुग्राम में न्यूरो सर्जरी व साइबरनाइफ के डायरेक्टर डॉ. आदित्य गुप्ता ने दी जानकारी में बताया कि, साइबर नाइफ सर्जरी का मिर्गी और मस्तिष्क से जुड़ी अन्य समस्याओं में कितना अहम रोल हो सकता है।

B.K Kushwaha
Published on: 16 Nov 2023 5:46 PM IST
National Epilepsy Day 2023
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प्रतीकात्मक चित्र (Social Media) 

Jhansi News: न्यूरोलॉजी से जुड़ी समस्याओं में मिर्गी (Symptoms of Epilepsy) एक ऐसी बीमारी है जो लाखों लोगों के जीवन पर प्रभाव डालती है। मिर्गी और दिमाग से जुड़ी अन्य बीमारियों, जैसे ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor) और धमनी शिरापरक विकृतियों (एवीएम) के बीच एक कॉम्प्लेक्स अंतःक्रिया होती है। इस कनेक्शन से पर्दा उठाना न सिर्फ ऐसी स्थितियों की गहरी समझ के लिए जरूरी है, बल्कि जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए भी ये महत्वपूर्ण। इससे ज्यादा असरदार तरीके से इलाज की रणनीति बनाई जा सकती है। ये बातें आर्टेमिस अस्पताल गुरुग्राम (Artemis Hospital Gurugram) में न्यूरो सर्जरी व साइबरनाइफ के डायरेक्टर डॉ. आदित्य गुप्ता ने कही। वह मिर्गी और दिमाग से जुड़ी समस्याओं के संबंध के बारे में जानकारी दे रहे थे। उन्होंने ये भी बताया कि, ऐसी स्थितियों को कैसे कंट्रोल किया जाए?

मेंटल हेल्थ की इंटरकनेक्टेड टेपेस्ट्री

मिर्गी में बार-बार दौरे आते हैं। आमतौर पर ये किसी अंतर्निहित न्यूरोलॉजिकल समस्या का लक्षण होता है। ऐसा ही एक कनेक्शन ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन में टिशू की असामान्य वृद्धि के साथ होता है। अलग-अलग स्टडी से पता चलता है कि जो लोग ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित होते हैं, उन्हें मिर्गी का खतरा सबसे अधिक रहता है। ऐसे में अगर किसी को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं तो ट्यूमर के प्रारंभिक संकेत भी हो सकते हैं। इन दो स्थितियों के बीच ये कॉम्प्लेक्स कनेक्शन पता लगाने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण और इलाज की जरूरत होती है।

ब्रेन डिजीज की समझ आवश्यक

इसी तरह, धमनी शिरापरक विकृतियां यानी एवीएम एक ऐसी स्थिति है जहां ब्रेन में रक्त वाहिकाएं उलझ जाती हैं। उनके टूटने का खतरा होता है। इस स्थिति में मिर्गी के दौरे भी हो सकते हैं। एवीएम में खून का असामान्य प्रवाह दौरे को ट्रिगर कर सकता है। ऐसे में इस कनेक्शन को समझने के लिए ब्रेन डिजीज की समग्र समझ की आवश्यकता है।

जागरूकता बढ़ाना, सबसे प्रभावी कदम

मिर्गी और दिमाग से जुड़ी अन्य बीमारियों के बीच स्पष्ट लिंक के बावजूद इस विषय पर सार्वजनिक जागरूकता आमतौर पर कम ही नजर आती है। इन कनेक्शनों के बारे में जानकारी देकर लोगों को सशक्त बनाने की जरूरत है, ताकि स्थिति की शुरुआती पहचान और हस्तक्षेप संभव हो सके। सामुदायिक प्रोग्राम कराए जाएं। जानकारी देने वाले अभियान चलाए जाएं। हेल्थ केयर पेशेवरों और एडवोकेसी ग्रुप के बीच सहयोग इस महत्वपूर्ण जानकारी को लोगों तक प्रचारित-प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

साइबर नाइफ सर्जरी की भूमिका

इस तरह की स्थिति में एडवांस ट्रीटमेंट तरीकों की जरूरत होती है। साइबर नाइफ रेडियोसर्जरी, एक ऐसी क्रांतिकारी तकनीक है जिसकी मदद से न्यूरो से जुड़े मामलों में काफी अच्छे रिजल्ट मिले हैं। परंपरागत सर्जरी की तुलना में, साइबर नाइफ रेडियोसर्जरी में किसी तरह के चीरे या कट की जरूरत नहीं होती। इसमें रेडिएशन की किरणों का इस्तेमाल कर ट्यूमर वाले एरिया को टारगेट किया जाता है। ये बहुत ही सटीक प्रक्रिया होती है। ये नॉन इनवेसिव सर्जरी खासकर ब्रेन ट्यूमर और एवीएम के मामले में काफी फायदेमंद होती है। इसमें ट्यूमर के आसपास के हिस्सों को नुकसान नहीं पहुंचता है और हेल्दी टिशू डैमेज नहीं होते हैं।

मिर्गी को ठीक करने में साइबर नाइफ सर्जरी का इस्तेमाल

मिर्गी के जिन मरीजों के दौरे ब्रेन ट्यूमर या एवीएम से संबंधित होते हैं, उन मामलों में साइबरनाइफ रेडियोसर्जरी एक बेहतर विकल्प होता है। इससे प्रभावित क्षेत्र में रेडिएशन से टारगेट किया जाता है जो ट्यूमर को सिकोड़ने या खत्म करने में मदद करता है और इससे एवीएम टूटने का जोखिम भी कम होता है। इससे न केवल मिर्गी की मूल समस्या हल होती है बल्कि उसके बार-बार होने की आशंका भी कम हो जाती है। इसके अलावा, साइबर नाइफ रेडियोसर्जरी उन लोगों के लिए भी एक अच्छा विकल्प हो सकती है, जो उम्र, स्वास्थ्य या ट्यूमर के स्थान के चलते पारंपरिक सर्जरी के लिए फिट न हों। साइबर नाइफ प्रक्रिया से इलाज के बाद मरीज की रिकवरी तेजी से होती है और मरीज बहुत आसानी से अपनी रोज की गतिविधियों में लौट जाते हैं।

लोगों को सशक्त बनाना

साइबर नाइफ सर्जरी का मिर्गी और मस्तिष्क से जुड़ी अन्य समस्याओं में कितना अहम रोल हो सकता है, इसके बारे में लोगों को अवेयर करना आवश्यक है. इसके लिए सामुदायिक स्तर पर सेमिनार, सूचनाओं वाले मटेरियल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए भी आम जनता को इस तकनीक के फायदों के बारे में बताया जा सकता है। डॉक्टरों, एडवोकेसी समूहों और मीडिया के बीच आपसी सहयोग और तालमेल से इस बारे में लोगों को जागरूक किया जा सकता है ताकि वो इस एडवांस तकनीक का लाभ उठाकर ठीक हो सकें।

ब्रेन की हेल्थ के लिए सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना एक अच्छा कदम है. इन कनेक्शनों को समझने और साइबरनाइफ रेडियोसर्जरी जैसी एडवांस तकनीकों को अपनाने से, हम न केवल इलाज से बेहतर रिजल्ट पा सकते हैं, बल्कि लोगों को उनकी न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों को कंट्रोल करने के लिए सशक्त भी बना सकते हैं।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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