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Jhansi News: आत्महत्या रोकथाम दिवस का हुआ आयोजन, जीवन को बचाने में दोस्तों की होती है अहम भूमिका
Jhansi News:सिफ्सा बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी ने डीपीएमयू के संयुक्त तत्वावधान में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस आयोजित किया ।
Jhansi News: आत्महत्या हमारी अपनी समस्या को ख़त्म नहीं करती हैं बल्कि बहुत सी समस्याओं को जन्म दे देती है। इससे जहाँ परिवार के सदस्य परेशान होते हैं वहीँ सामाजिक और पारिवारिक वातावरण भी प्रभावित होता है। आवेग में आकर कोई भी गलत कदम उठा लेना बाद में पछतावे का कारण बन जाता है। यहा विचार आज डॉ. श्वेता पाण्डेय नोडल अधिकारी राज्य परिवार नियोजन सेवा अभिनवीकरण परियोजना एजेंसी बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का आयोजन सिफ्सा और डीपीएमयू, जिला अस्पताल झाँसी के संयुक्त तत्वावधान में बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के गाँधी सभागार के भूतल में किया गया।
जीवन को बचाने में दोस्तों की भूमिका बहुत अहम्- मनोविशेषज्ञ सोमेश त्यागी
इस अवसर पर प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए मनोविशेषज्ञ सोमेश त्यागी ने कहा कि क्षणिक आवेग से जीवन को बचाने में दोस्तों की भूमिका बहुत ही अहम् होती है। कई बार हम अपनी बात को किसी से नहीं कह पाते हैं। ऐसे में हमारे मित्र ही उन बातों को सुनते हैं और उनका समाधान बताते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन में एक दोस्त ऐसा जरुर होना चाहिए जिससे सारी बातें बिना किसी संकोच के कही जा सकें। हाँ यह जरुर ध्यान रखना चाहिए कि दोस्त ऐसा हो जो आपकी बात को किसी और से नहीं कहे। ऐसा नहीं होने कि स्थिति में परिस्थियाँ बहुत ही विपरीत हो जाती हैं। इस अवसर पर श्री त्यागी ने “ए दोस्त, रोना छोड़- ऐसा क्या था जो तेरा चला गया, उठ देख औऱ सुधार कर , फिर से जीने की चाह कर” कविता के माध्यम से भी प्रतिभागियों को जागरूक किया।
परिस्थितयां विपरीत हों तो धैर्य को बनाए रखें
डीपीएमयू के सामाजिक मनोविशेषज्ञ रोहित गुप्ता ने कहा कि जीवन को जीने के लिए आवेग नहीं धैर्य की जरूरत होती है। किसी भी समस्या का समाधान एक निर्धारित समय और परिस्थिति में हो जाता है लेकिन जरूरत यह है कि जब परिस्थितयां विपरीत हों तो धैर्य को बनाए रखा जाए। उन्होंने कहा कि जीवन से अनमोल कुछ भी नहीं होता है। जीवन है तो समस्याएं हैं और समस्याएं हैं तो उनका समाधान भी हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में अवसादग्रस्त होना बहुत आम बात हो गयी है और इसका कारण हमारी दिनचर्या है।
हमें अपनी दिनचर्या को नियोजित करके ही काम करना चाहिए। इस अवसर पर जिला अस्पताल की मनोविशेषज्ञ दीक्षा ने प्रतिभागियों को मन कक्ष, जिला अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं, राष्ट्रीय टोल फ्री नंबर और डीपीएमयू की कार्यविधि के बारे में बताया।
कार्यक्रम का संचालन ललित कला के शिक्षक गजेन्द्र ने किया व आभार पीयर एजुकेटर नंदनी कुशवाहा ने व्यक्त किया। इस अवसर पर निकेता, नंदनी, कोमल, अलादीन, रौनक एवं अन्य उपस्थित रहे।