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जेएनयू की राह पर बीएचयू

raghvendra
Published on: 28 Sept 2018 1:16 PM IST
जेएनयू की राह पर बीएचयू
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आशुतोष सिंह

वाराणसी: बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की साख लगातार गिरती जा रही है। विचारधारा की लड़ाई ने अब धीरे-धीरे हिंसक रूप लेना शुरू कर दिया है। छात्रों के बीच वैचारिक विवाद इतना वीभत्स हो जाएगा, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। पिछले एक साल के दौरान बीएचयू में जो मंजर दिखा है उसने हर किसी को हैरान कर दिया है। विश्वविद्यालय में डेरा जमाए बैठे अराजक तत्व हर तीन से चार महीने में तांडव करते हैं। सडक़ों पर नंगा नाच होता है। एक-दूसरे पर पत्थर बरसाने के साथ गाडिय़ों को आग के हवाले किया जाता है। अब तो विचारधारा के नाम पर छात्राओं से भी हाथापाई से गुरेज नहीं। प्रबुद्ध लोग पूछ रहे हैं कि आखिर किस ओर जा रहा है बीएचयू? ऐसा लग रहा है कि पूरा विश्वविद्यालय अराजक तत्वों का बंधक बन चुका है।

इन बवालों की जड़ में जब खुफिया तंत्र ने पड़ताल की तो चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक बीएचयू में जेएनयूवाद हावी होता जा रहा है। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर जिस तरह की अराजकता फैलाई जा रही है, वैसा बीएचयू में कभी नहीं हुआ। बार-बार छात्र और छात्राओं का सडक़ पर उतरना, सोशल मीडिया के जरिए खास विचारधारा को हवा देना। ये सब कुछ बीएचयू के लिए बिल्कुल नया है। ऊपर से विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच संवादहीनता ने आग में घी डालने का काम किया है। आलम ये है कि महामना की बगिया अब मारपीट और तोडफ़ोड़ का अखाड़ा बन चुकी है। एक महीने के अंदर तीसरी बार उपद्रवियों ने बीएचयू में तांडव किया। इसे लेकर बीएचयू प्रशासन की बेचैनी दिखने लगी है। हर बार विवाद का तरीका एक जैसा। चेहरे भी खुद को दोहराते हैं। ऐसा लगात है कि बीएचयू को गहरी साजिश में झोंकने की तैयारी हो रही है।

आधी रात को छात्रों की अराजकता

छात्राओं के साथ बदसलूकी और मारपीट की घटना अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि 24 सितंबर की रात इलाज को लेकर मेडिको और नॉन मेडिको आपस में भिड़ गए। अस्पताल से लेकर लंका थाने तक पहले दोनों पक्षों में मारपीट हुई। इसके बाद शुरू हुआ अराजकता का दौर। उपद्रवियों ने रुईया और धन्वंतरि हॉस्टल में घुसकर तोडफ़ोड़ और मारपीट की। गाडिय़ों को आग के हवाले करने के साथ विश्वविद्यालय की संपति को नुकसान पहुंचाया। पूरी रात कैंपस में कोहराम मचा रहा। सुबह पुलिस फोर्स के आने के बाद मामला शांत हुआ। इस बवाल के पीछे भी बाहरी तत्वों की साजिश बताई जा रही है। बिरला हॉस्टल में शरण लिए हुए इन तत्वों ने पूरे बवाल को अंजाम दिया। बिरला ए, बी और सी छात्रावास में आट्र्स के छात्र रहते हैं। कैंपस में होने वाली अधिकांश घटनाओं में इन्हीं तीनों हॉस्टल में रहने वाले छात्रों का नाम सामने आता रहा है। बीएचयू प्रशासन भी इस बात को बखूबी जानता है, लेकिन पिछले एक साल में कोई हल नहीं निकल पाया। ना तो यहां पर खुफिया तंत्र मजबूत हो पाया और ना ही प्रॉक्टोरियल बोर्ड। सूत्रों के मुताबिक हॉस्टल के अंदर छात्र आसानी से पेट्रोल बम बना लेते थे। हॉकी, रॉड और असलहों का जखीरा यहां हमेशा मौजूद रहता था। जुलाई महीने में बिरला हॉस्टल के कुछ छात्रों के खिलाफ कार्रवाई जरूर हुई, लेकिन हाल की घटनाओं को देखते हुए वो नाकाफी साबित हो रही है।

बीएचयू में हाल के दिनों में हुई घटनाओं को लेकर महामना मदन मोहन मालवीय के पौत्र जस्टिस गिरिधर मालवीय भी बेहद गुस्से में हैं। उनका कहना है कि बीएचयू में जेएनयूवाद हावी होता जा रहा है। हकीकत यही है कि जेएनयू के वामपंथी यहां आ गए हैं। ऐसे तत्व ही बार-बार बीएचयू को बदनाम करने पर तुले हैं।

हॉस्टल खाली कराने का फरमान

कैंपस में बढ़ते बवाल को देखते हुए विश्वविद्यालय ने सख्त फैसला लिया। बिरला के सभी तीन हॉस्टल के अलावा रुईया, रुईया एनेक्सी, लाल बहादुर शास्त्री और धन्वंतरि हॉस्टल को फौरी तौर पर बंद करने का फरमान जारी कर दिया गया। इसे लेकर बिरला के छात्रों ने मोर्चा खोल दिया और एलडी गेस्ट हाउस के बाहर धरने पर बैठ गए। फिर से नारेबाजी शुरू हो गई, लेकिन इस बार पुलिस प्रशासन ने सूझबूझ का परिचय दिया। डीएम के आश्वासन पर छात्र माने और हॉस्टल खाली करने पर राजी हुए। पुलिस प्रशासन के सहयोग से 26 सितंबर को हॉस्टलों को खाली कराने के साथ ही कमरों को सीज किया गया। इस दौरान ड्रोन कैमरे की मदद से सघन तलाशी भी हुई। सर्च ऑपरेशन की अगुवाई कर रहे डीएम सुरेंद्र सिंह के मुताबिक कुछ अराजक तत्वों ने लंबे समय से कैंपस में शरण ले रखी है। ये विश्वविद्यालय में शांति नहीं चाहते। ऐसे लोगों को चिन्हित करने का काम किया जा रहा है।

आने वाले दिनों में बड़ी कार्रवाई होगी। हालिया घटनाओं में जो छात्र शामिल हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। अब हर महीने विश्वविद्यालय प्रशासन और जिला प्रशासन के बीच बैठक होगी। इसके अलावा छात्रावासों के प्रवेशद्वार पर बायोमैट्रिक मशीनें लगेंगी। लो मेरिट वाले छात्रों को हॉस्टल नहीं मिलेगा। बवाली छात्रों को बाहर करने की भी तैयारी शुरू हो चुकी है। हाल के दिनों में हुई घटनाओं की जांच के लिए स्टैंडिंग कमेटी बनाई गई है। इसके अध्यक्ष प्रो.ए.वैशमपायन हैं। सभी संस्थानों के डायरेक्टर और संकायों के प्रमुख के अलावा चीफ प्रॉक्टर को कमेटी का सदस्य बनाया गया है।

महिला चीफ प्रॉक्टर की कार्यशैली पर उठ रहे हैं सवाल

कैंपस में बवाल के पीछे दूसरी बड़ी वजह है यहां के प्रोफेसरों और अधिकारियों में खींचतान। बताया जा रहा है कि पिछले साल सितंबर में हुई घटना के बाद विश्वविद्याल में वीसी के साथ चीफ प्रॉक्टर बदल गए, लेकिन ये दोनों ही कैंपस के एक गुट को रास नहीं आ रहे हैं। खासतौर से महिला चीफ प्रॉक्टर रोयना सिंह की कार्यशैली से प्रोफेसरों का एक बड़ा वर्ग नाराज है। हाल के दिनों में हुई घटनाओं को रोकने में प्रॉक्टोरियल बोर्ड पूरी तरह नाकाम रहा। चाहे 12 सितंबर को अय्यर हॉस्टल के छात्रों की पिटाई का मामला हो या फिर 23 सितंबर को एबीवीपी छात्रों द्वारा एमएमवी की छात्राओं से बदसलूकी का मामला। हर बार प्रॉक्टोरियल बोर्ड नाकाम साबित हुआ। 24 सितंबर की रात भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। रुईया हॉस्टल के पीडि़त छात्रों का आरोप है कि बवाली छात्र हॉस्टल में घुसकर मारपीट और आगजनी कर रहे थे। पीडि़त छात्रों ने कई बार रोयना सिंह को फोन किया, लेकिन उन्होंने कोई रिस्पांस नहीं दिया।

संवाद के नाम पर बीएचयू को सुलगाने की तैयारी

23 सितंबर को लाठीचार्ज की बरसी पर छात्राओं का एक गुट बीएचयू की सडक़ों पर उतरा था। नुक्कड़ नाटक के साथ ही पूरे कैंपस में घूम-घूमकर अभिव्यक्ति की आजादी और लाल सलाम के नारे लगाए जा रहे थे। शाम को एमएमवी चौराहे पर संवाद का कार्यक्रम होना था। छेडख़ानी और लाठीचार्ज की याद को ताजा करने के लिए पिछले पंद्रह दिनों से सुनियोजित तरीके से अभियान चलाया जा रहा था। इस मुहिम में वही लड़कियां शामिल थीं, जिनकी अगुवाई में एक साल पहले बीएचयू में आंदोलन छिड़ा था। इस बार भी आंदोलन की बड़ी तैयारी थी। खुफिया तंत्र के मुताबिक इस खास मौके के लिए जेएनयू के छात्रों का एक दल बीएचयू पहुंचा था। बताया जा रहा है कि पर्दे के पीछे यही छात्र विवाद को हवा दे रहे थे। शाम को जैसे ही छात्राओं ने एमएमवी चौराहे पर संवाद कार्यक्रम शुरू किया, वहां पर एबीवीपी से जुड़े कुछ छात्र पहुंच गए। दोनों तरफ से उत्तेजक नारेबाजी शुरू हो गई।

देखते ही देखते कार्यक्रम मारपीट में तब्दील हो गया। आरोप है कि एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने छात्राओं के साथ मारपीट और बदसलूकी की। इससे नाराज छात्राएं एमएमवी गेट पर धरने पर बैठ गई। विश्वविद्यालय प्रशासन के हाथ-पांव फूलने लगे। हालांकि घंटों की कोशिश के बाद छात्राएं धरना खत्म पर राजी हुईं। जानकार बताते हैं कि बीएचयू में हमेशा दक्षिणपंथियों का बोलबाला रहा है। बीजेपी की सरकार बनने के बाद इसे और हवा मिली। जैसे-जैसे विश्वविद्याल में संघ से जुड़े लोगों की गतिविधियां बढ़ीं, उससे ज्यादा तेज गति से वामपंथी विचारधारा से जुड़े लोगों ने भी अपनी पैठ बनाई। विश्वविद्यालय में छात्रों का एक बड़ा दल ऐसा है जो हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखता है। खासतौर से छात्राओं और गैर हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर। ये दल समय-समय पर आंदोलनों को हवा देता रहा है। अब इस दल को जेएनयू के छात्र नेताओं का भी साथ मिलने लगा है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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