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यूपी तक पहुंची जेएनयू हिंसा की चिंगारी, सैकड़ों छात्रों ने किया प्रदर्शन
एनयू विवाद को लेकर बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में सोमवार को दोपहर से लेकर शाम तक बवाल चलता रहा। एक तरफ एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया।
वाराणसी: जेएनयू विवाद को लेकर बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में सोमवार को दोपहर से लेकर शाम तक बवाल चलता रहा। एक तरफ एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया तो दूसरी ओर वामपंथी विचारधारा से जुड़े छात्र भी मारपीट की घटना के खिलाफ मैदान में नजर आए। इन सबके बीच पुलिस पूरे दिन हांफती नजर आई।
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सुरक्षकर्मियों ने बंद किया गेट
एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने पहले विरोध मार्च निकाला फिर गेट पर जाकर लेफ्ट का पुतला दहन किया। छात्र परिसर से बाहर निकलकर विरोध करना चाहते थे लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने मुख्य द्वार बंद कर दिया।
दूसरी ओर भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद था और छात्रों ने गेट खुलवाने का प्रयास किया लेकिन प्रशासन से हल्की झड़प के बावजूद गेट नहीं खुला और परिसर के भीतर पुतला फूंककर विरोध जताया।
गर्म रहा कैम्पस का माहौल
दरअसल जेएनयू में वामपंथी छात्रों की खबर जैसे ही पहुंचीं, बीएचयू के माहौल गर्म हो गया। सुबह होते होते कैम्पस में वर्दीधारियों की आमद हो गई। प्रशासन को डर था कि जेएनयू की तरह कहीं यहां भी छात्र आपस में ना भिड़े।
लिहाजा लंका के अलावा आसपास के थानों से भी फोर्स बुला ले गई थी। इसके साथ ही छात्रवासों के बाहर भी सुरक्षा के चौकस इतन्जम दिखे। यही कारण है कि विरोध के लिए सीमित संख्या में ही छात्र बाहर निकलें।
छात्रों ने व्यक्त की अपनी प्रतिक्रिया
सोमवार को विश्वविद्यालय में पूरे दिन जेएनयू विवाद को लेकर मधुबन से छात्रावासों तक छात्रों में गहमागहमी का माहौल रहा। बीती रात विवि प्रशासन द्वारा परिसर स्थित मधुबन को धरना स्थल घोषित कर दिया गया है।
जिसके बाद से सोमवार की सुबह मीडिया के साथ कई छात्र मुखातिब हुए। इस मौके पर उपस्थित छात्र नेता विकास सिंह ने बताया कि छात्रों व शिक्षकों पर यह बर्बर हमला बेहद निंदनीय है। छात्र आज सड़क पर मुख्य विपक्ष की भूमिका में हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार व फीसवृद्धि के मुद्दे को उठा रहे हैं।
ऐसी घटनाओं से छात्र एकता को चोट पहु़ंच रही है। सरकार इसके दोषियों को तत्काल चिन्हित कर कार्रवाई करे। वहीं एबीवीपी के छात्र रत्नेश त्यागी ने कहा कि वामपंथियों ने ङ्क्षहसा के सहारे शिक्षा व्यवस्था को धवस्त करने का प्रयास किया है। इससे जेएनयू में शिक्षा के स्वस्थ माहौल को लगातार चुनौती मिल रही है।