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भारी घाटे में चल रही जेपी इंफ्राटेक कंपनी, जानिए ऐसा क्यों?
जेपी ग्रुप में गोल्फ कोर्स बनाकर क्षेत्र में अपनी धाक जमाई थी। काम और कंपनी की छवि को देखते हुए जब प्रदेश में बसपा सरकार बनी तो कंपनी ने नोएडा से
नोएडा: जेपी ग्रुप में गोल्फ कोर्स बनाकर क्षेत्र में अपनी धाक जमाई थी। काम और कंपनी की छवि को देखते हुए जब प्रदेश में बसपा सरकार बनी तो कंपनी ने नोएडा से लेकर आगरा तक अपने पांव पसारे और काबयाबी भी मिली। लेकिन नोएडा से लेकर आगरा तक यमुना एक्सप्रेस वे और स्पोर्टस सिटी में करोड़ों खपाने के बाद जेपी को जब रिटर्न नहीं हुआ तो कंपनी के बुरे दिन शुरू हो गए। उधर, आर्थिक मंदी व नोटबंदी ने कंपनी को मुसीबत से बाहर नहीं निकलने दिया।
यमुना एक्सप्रेस-वे ने बिगाड़ दी आर्थिक स्थिति
- प्रदेश में 2007 में जब बसपा सरकार आई थी। यमुना प्राधिकरण के सरकार का करार हुआ कि ग्रेनो से लेकर आगरा तक 185 किलोमीटर लंबा और 100 मीटर चौड़ा यमुना एक्सप्रेस-वे बनाया जाए।
- जेपी ग्रुप ने अपने खर्चे पर यमुना एक्सप्रेस-वे बना दिया। बदले में ग्रुप को प्राधिकरण ने 2500 एकड़ जमीन दी।
14 हजार करोड़ रुपए किए खर्च
- एक्सप्रेस-वे बनाने में जेपी को 14 हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़े। 9 अगस्त 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया।
- सोचा गया था कि एक्सप्रेस-वे पर बड़ी संख्या में मुसाफिर सफर करेंगे। करार के मुताबिक 38 साल तक मोटी कमाई ग्रुप को मिलेगी।
एनएचएआई की योजना ने तोड़ी कमर
- उसी समय दिल्ली से लेकर मथुरा एनएच-2 और गाजियाबाद से लेकर अलीगढ़ एनएच-1 भी चौड़ा हो गया।
- इससे यात्रियों की संख्या यमना एक्सप्रेस-वे पर ज्यादा नहीं बढ़ सकी।
- वर्तमान समय में करीब 20 हजार वाहन ही प्रतिदिन यमुना एक्सप्रेस-वे से गुजरते हैं। इससे ग्रुप का खर्चा तक पूरा नहीं निकल पा रहा।
दूसरा झटका नोएडा एक्सप्रेस-वे पर अधिकार नहीं
करार था कि आगरा एक्सप्रेस-वे चालू होने के बाद नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे भी जेपी को सौंप दिया जाएगा। जेपी इस एक्सप्रेस-वे पर ही टोल लगाना चाहता था। यहा से प्रतिदिन एक से डेढ़ लाख वाहन निकलते है। लेकिन विरोध के चलते जेपी का यह काम नहीं हो सका।
तीसरा कारण फार्मुलावन-ट्रैक
यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में स्पोर्ट सिटी की कल्पना की गई। और जेपी ने वहां फार्मूला वन ट्रैक और स्टेडियम समेत तमाम सुविधाओं के लिए करीब कई हजार करोड़ रुपए खर्च। अकेले फार्मुला वन ट्रेक बनाने में जेपी को दो हजार करोड़ रुपए खर्च करने पड़े। लेकिन अब स्टेडियम खाली पड़ा हुआ है। वहीं, ट्रेक पर दो तीन रेस के बाद कुछ नहीं हुआ।