JP Group को लगा बड़ा झटका, हाथ से निकला यमुना एक्सप्रेस-वे

जेपी ग्रुप को भारी झटका लगा है। उसके हाथों से यमुना एक्सप्रेस-वे का प्रोजेक्ट निकल गया। अब यमुना एक्सप्रेस-वे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी)

tiwarishalini
Published on: 25 Aug 2017 5:41 AM GMT
JP Group को लगा बड़ा झटका, हाथ से निकला यमुना एक्सप्रेस-वे
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नोएडा: जेपी ग्रुप को भारी झटका लगा है। उसके हाथों से यमुना एक्सप्रेस-वे का प्रोजेक्ट निकल गया। अब यमुना एक्सप्रेस-वे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के हवाले हो गया है। एक्सप्रेस-वे पर होने वाली टोल की वसूली भी ट्रिब्यूनल के खाते में जमा होने लगी है। ट्रिब्यूनल के अधीन होने पर अब यहा हादसों को रोकने के लिए किए गए प्लान में देरी होना स्वाभाविक है।

एनसीएलटी के खाते में जमा होती वसूली

- एनसीएलटी ने जेपी इंफ्राटेक को दिवालिया कंपनी की लिस्ट में डाल दिया है। ऐसे में एनसीएलटी ने अपनी प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

- इसके तहत यमुना एक्सप्रेस-वे पर बने तीनों टोल से वसूल की जाने वाली रकम एनसीएलटी के खाते में जमा होने लगी है।

- यही नहीं अब टोल प्लाजा में काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी, बिजली, टेलिफोन का बिल इत्यादि का खर्चा एनसीएलटी ही करेगा।

योजनाओं पर पड़ा असर

- यमुना एक्सप्रेस-वे पर सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए 19 जुलाई को बैठक की गई थी। जिसमे 60, 80 और 100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ने वाले वाहनों के लिए अलग से लेन बनाई जानी थी।

- इसका काम 20 अगस्त से शुरू होना था।

- लेकिन एनसीएलटी के आदेश के बाद यह फैसला लटक गया। इसके अलावा मरीजों को एयरलिफ्ट जैसी योजना खटाई में जा चुकी है।

क्या कहते हैं अधिकारी?

यमुना विकास प्राधिकरण के सीईओ अरूण वीर सिंह ने बताया कि यमुना एक्सप्रेस-वे अब पूरी तरह से नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनर के अधीन आ गया है। टोल टैक्स अब एनसीएलटी के खाते में जमा होगा। कर्मचारियों की सैलरी व अन्य जरूरी सुविधाएं के लिए बिल का भुगतान भी ट्रिब्यूनल ही करेगा।

प्रतिदिन गुजरते है 20 हजार वाहन

जेपी की डूबने की वजह भी यही यमुना एक्सप्रेस-वे ही रहा। जेपी ने करीब 14 हजार करोड़ रुपए में यमुना एक्सप्रेस-वे बनाया था। निर्माण कार्य बसपा शासन काल में किया गया। उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया। उम्मीद थी यहा प्रतिदिन एक लाख से ज्यादा वाहन निकलेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब भी यहा प्रतिदिन करीब 20 हजार वाहन ही गुजरते है। ऐसे में जेपी इसकी लागत तक नहीं निकाल पाया है। उधर, एनसीएलटी के अधीन होने पर जेपी को तगड़ा झटका लगा है।

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