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बच्चा जेल में जमकर चले लाठी डंडे,तोड़फोड़ कर जेल अधीक्षक को दौड़ाया
बाल संप्रेक्षण गृह में दो गुटों में जमकर लाठी डंडे चले ,इसके साथ ही बाल कैदियों ने पूरी बिल्डिंग में तोड़फोड़ की। बच्चा जेल में हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस ने जब लाठियां चटकाई तब जाकर हंगामा शांत हुआ।दरअसल इस जेल के अन्दर दो गुट चलते है। जेल में बंद चार कैदी जब बालिग हो गए तो कोर्ट के आदेश पर चारों को जनपद कानपुर देहात की माती जेल में शिफ्ट करने के लिए ले जाया जा र
कानपुर: बाल संप्रेक्षण गृह में दो गुटों में जमकर लाठी डंडे चले,इसके साथ ही बाल कैदियों ने पूरी बिल्डिंग में तोड़फोड़ की। बच्चा जेल में हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस ने जब लाठियां चटकाई तब जाकर हंगामा शांत हुआ।दरअसल इस जेल के अन्दर दो गुट चलते है। जेल में बंद चार कैदी जब बालिग हो गए तो कोर्ट के आदेश पर चारों को जनपद कानपुर देहात की माती जेल में शिफ्ट करने के लिए ले जाया जा रहा था। माती जेल में शिफ्ट होने से पहले इन कैदियों ने अपने साथियों के साथ मिलकर दूसरे गुट के लोगों के साथ जमकर मार पीट की ,दोनों ही गुटों में जमकर बवाल हुआ। बाल संप्रेक्षण गृह के अधीक्षक ने इसकी सूचना पुलिस को दी।
बच्चा जेल में जमकर चले लाठी डंडे,तोड़फोड़ कर जेल अधीक्षक को दौड़ाया
नौबस्ता थाना क्षेत्र स्थित बौद्ध नगर में राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह (किशोर) कानपुर है।इस बाल संप्रेक्षण गृह में कुल 47 बाल बंदी है।इस जेल के भीतर भी दो गुट चलते है।दोनों गुटों का इतना दबदबा है की यहां के कर्मचारी भी इनसे भय खाते है।
राजकीय संपेक्षण गृह के अधीक्षक परमेन्द्र कुमार के मुताबिक कानपुर देहात की पुलिस चार बंदियों को लेने के लिए आई थी। इन बंदियों ने पुलिस के साथ भी बदसलूकी की इसके बाद कानपुर गुट के बंदियों का कहना था कि साजिश के तहत कहीं मेरा भी यह ट्रांसफर न करा दे इससे हंगामा होने लगा। इसके बाद कानपुर गुट और कानपुर देहात गुट के लोग आपस में भिड़ गए।पूरी बिल्डिंग में जमकर तोड़ फोड़ की, पूरा फर्नीचर व् किचन सब बर्बाद कर दिया।
बाल कैदियों ने मुझ पर भी हमला किया एक तो मुझे चाकू लेकर मारने को दौड़ा। इसके बाद हंगामें की सूचना पुलिस को दी जब पुलिस फ़ोर्स पहुंची तब जाकर मामला शांत हुआ। l कानपुर देहात की पुलिस चारों बंदियों को ले गई है। उन्होंने बताया कि आधा दर्जन बाल बंदियों के खिलाफ ऍफ़आईआर दर्ज करायेंगे l
स्थानीय बबलू सिंह के मुताबिक हम लोग तो इस संप्रेक्षण गृह के बगल में ही रहते है। l यहां रह रहे बंदी आए दिन बवाल करतें है एक दूसरे को मारते पीटते है। यदि इस बिल्डिंग के नीचे कोई अपने वाहन खड़ा कर देता है तो उस पर यह पत्थर मार कर तोड़ देते है। यहां के कर्मचारी खुद इनसे घबराते है।