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गवर्नर राम नाईक ने डॉ. काशीनाथ सिंह और डॉ. रतन सिंह को कैफी आजमी अवाॅर्ड से किया सम्मानित

यूपी के गवर्नर राम नाईक ने बुधवार (10 मई) को आॅल इंडिया कैफी आज़मी अकादमी लखनऊ के तत्वावधान में प्रख्यात शायर कैफी आज़मी की 15वीं पुण्य तिथि पर हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. काशीनाथ सिंह और उर्दू के नामवर साहित्यकार डॉ. रतन सिंह को कैफी आज़मी अवाॅर्ड एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।

tiwarishalini
Published on: 11 May 2017 1:35 AM IST
गवर्नर राम नाईक ने डॉ. काशीनाथ सिंह और डॉ. रतन सिंह को कैफी आजमी अवाॅर्ड से किया सम्मानित
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गवर्नर राम नाईक ने डॉ. काशीनाथ सिंह और डॉ. रतन सिंह को कैफी आजमी अवाॅर्ड से किया सम्मानित

लखनऊ: यूपी के गवर्नर राम नाईक ने बुधवार (10 मई) को आॅल इंडिया कैफी आज़मी अकादमी लखनऊ के तत्वावधान में प्रख्यात शायर कैफी आज़मी की 15वीं पुण्य तिथि पर हिन्दी के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. काशीनाथ सिंह और उर्दू के नामवर साहित्यकार डॉ. रतन सिंह को कैफी आज़मी अवाॅर्ड एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।

अकादमी द्वारा कैफी आज़मी की पुण्य तिथि पर साहित्यकारों का सम्मान किया जाता है। इस अवसर पर पूर्व मंत्री डॉ. अम्मार रिज़वी, पूर्व कुलपति अनीस अंसारी, डॉ. शारिब रूदौलवी, डॉ. शबीहा अनवर, विलायत जाफरी, सुश्री परवीन तलहा सहित हिन्दी और उर्दू के जाने-माने साहित्यकार उपस्थित थे।

गवर्नर ने कैफी आज़मी के चित्र पर माल्यार्पण करके अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और 10 मई की विशेषता बताते हुए कहा कि 10 मई को शांति और अहिंसा का संदेश देने वाले भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था और 10 मई को ही 1857 में देश के पहले स्वतंत्रता समर की शुरूआत हुई थी।

गवर्नर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कैफी आज़मी के व्यक्तित्व के बारे में बताना वास्तव में सूरज को चिराग दिखाने जैसा है। वे उर्दू शायरी में कैफी आज़मी के नाम से इतना मशहूर हुए कि उनके असली नाम सैय्यद अतहर हुसैन रिज़वी को कम लोग जानते हैं।

कैफी आजमी के नाम पर पुरस्कार देना सराहनीय है। यह गलत धारणा है कि उर्दू वर्ग विशेष की भाषा है। आज के सम्मान समारोह में डॉ. रतन सिंह को उर्दू के लिए सम्मानित किया गया है जिसने यह साबित कर दिया है कि उर्दू सबकी भाषा है।

सारी भाषाओं का उद्गम संस्कृत भाषा से हुआ है। हिन्दी बड़ी बहन है और उर्दू उसकी छोटी बहन। हर भाषा का अपना इतिहास है। देश में उर्दू और हिन्दी भाषाएं सबसे ज्यादा बोली जाती हैं। देश की आजादी में साहित्यकारों का महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने कहा कि भाषाएं खुशबू बिखेरती हैं जिसमें उर्दू और हिन्दी का संगम अद्भुत है।

गवर्नर नाईक ने डॉ. रतन सिंह और डॉ. काशीनाथ को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनकी कलम सौ साल तक चलती रहे। हाथ-पैर की ताकत कम हो सकती है मगर विचारों की ताकत कभी कम नहीं होती।

यह जानकारी होने पर कि कैफी आज़मी अकादमी के निर्माण में कई सांसदों द्वारा अपनी निधि के माध्यम से सहयोग किया गया है, उन्होंने संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह बिल्डिंग सांसद निधि के सहयोग से बनी है, उसका कुछ क्रेडिट मुझे भी जाता है। 1993 में जब नरसिंह राव पीएम थे और डॉ. मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे तब मेरे प्रस्ताव पर सांसद निधि की शुरूआत हुई। गवर्नर ने कहा कि मैं सांसद निधि देने के लिये शबाना आज़मी का शुक्रिया अदा करता हूं।

डॉ. काशीनाथ सिंह ने कहा कि गंगा जमुनी तहजीब की हिमायत और हिफाजत करना, साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाए रखना ही कैफी आजमी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

डॉ. रतन सिंह ने कहा कि भारतीय भाषाओं में बहुत अच्छा साहित्य लिखा जा रहा है। साहित्य को साहित्य रहने दें। भाषाओं को बांटे नहीं।

डॉ. शारिब रूदौलवी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कैफी आजमी प्रख्यात शायर के साथ-साथ एक बेहतरीन इंसान थे। जिन्होंने मोहब्बत का पैगाम दिया। उन्होंने कहा कि तरक्की का आधार प्रेम और आपसी मोहब्बत है।

अकादमी की महासचिव सईद मेहदी ने स्वागत उद्बोधन देते हुए गवर्नर राम नाईक की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि कुछ लोग पद से पहचाने जाते हैं मगर राम नाईक ने पद को नई पहचान दी है।

गवर्नर राम नाईक ने डॉ. काशीनाथ को अपनी पुस्तक चरैवेति! चरैवेति!! की हिन्दी प्रति और डॉ. रतन सिंह को उर्दू प्रति भी भेंट की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अब्बास रज़ा नैय्यर ने किया।

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