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काकोरी कांड बलिदान दिवस: बदहाल शहीद स्मारक, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा?

क्षेत्रीय सांसद कौशल किशोर ने इस स्‍मारक के लिए दस लाख रूपये देने का वादा किया था। विधायक इंदल रावत ने भी पांच लाख रूपये देने की बात की थी। बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह ने भी तिरंगा यात्रा के दौरान इसे राष्‍ट्रीय स्‍मारक का दर्जा दिलाने का वादा किया था, लेकिन सब कोरी घोषणाएं साबित हुईं।

zafar
Published on: 18 Dec 2016 11:48 AM GMT
काकोरी कांड बलिदान दिवस: बदहाल शहीद स्मारक, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा?
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काकोरी कांड बलिदान दिवस: बदहाल शहीद स्मारक, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा?

लखनऊ: साल 1925 की 9 अगस्‍त की वो शाम, जब लखनऊ के काकोरी रेलवे स्‍टेशन से आलमनगर के बीच सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर को चेन पुलिंग करके रोका गया। फिर क्रांतिकारियों की आवाज और गोलियों की आवाज से पूरा इलाका दहल गया। ट्रेन में जा रहे अंग्रेजों के सरकारी खजाने को लूटा गया और ट्रेन को रवाना कर दिया गया। इसके बाद घटना में शामिल 45 लोगों पर मुकदमा चला, जिसमें राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्‍ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई।

19 दिसंबर 1927 को इन सबको फांसी पर लटका दिया गया। इस घटना को 91 साल और फांसी को 89 साल बीत गए। लेकिन आज तक काकोरी में बने ऐतिहासिक शहीद स्‍मारक को सजाने संवारने की मुहिम परवान नहीं चढ़ सकी। इस बीच कई नेताओं ने इसे संवारने की घोषणाएं की, लेकिन सिर्फ वादे हुए और जमीनी हकीकत वहीं रही। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्‍या वतन और देश के नाम पर बलिदान हो जाने वाले शहीदों का यही बाकी निशां होगा?

स्‍पेशल डे पर ही करवाता है जिला प्रशासन साफ-सफाई

-काकोरी कांड का गवाह काकोरी शहीद स्‍मारक उपेक्षा का शिकार है।

-केवल 9 अगस्‍त और 19 दिसंबर को ही जिला प्रशासन के अधिकारी यहां की साफ-सफाई करवाते हैं।

-काकोरी कांड और बलिदान दिवस पर नेता और अधिकारी बड़ी बड़ी बातें करते हैं।

-शहीदों को श्रद्धां‍जलि दी जाती है और इस स्‍मारक के जीर्णोद्धार के कसमें वादे होते हैं।

-लेकिन इसके बाद सब भूल जाते हैं।

-डीएम सत्‍येंद्र सिंह ने कहा कि काकोरी शहीद स्‍मारक एक ऐतिहासिक धरोहर है और हम इसके रख रखाव पर ध्‍यान देते हैं। लेकिन मूल रूप से ये काम एएसआई का है।

-वहीं एएसआई के सुपरिटेंडेंट नवरत्‍न पाठक ने बताया कि हमारा काम स्‍मारक के संरक्षित हिस्‍सों के रख रखाव का है।

-अगर रेनोवेशन के लिए बजट आता है, तो उसे भी नियमानुसार करवाया जाएगा।

घोषणाओं से दूर ग्राउंड रियलिटी

-काकोरी के स्‍थानीय निवासी रामशंकर मिश्रा ने बताया कि काकोरी स्‍मारक में सफाई के नाम पर आयोजन वाले दिन सिर्फ घास और झाडियों की कंटाई- छंटाई की जाती है।

-बाद में कंटाई-छंटाई का काम भी नहीं किया जाता है।

-इसके अलावा जर्जर हो चुके अवशेषों पर ध्‍यान देने वाला कोई नहीं है।

-क्षेत्रीय सांसद कौशल किशोर ने इस स्‍मारक के जीर्णोद्धार के लिए दस लाख रूपये सांसद निधि से देने का वादा किया था।

-ये अभी तक कागजों में भी नहीं हुआ है।

-इसके अलावा विधायक इंदल रावत ने भी पांच लाख रूपये से इसे संवारने की घोषणा की थी।

-लेकिन ये भी सिर्फ एक घोषणा मात्र बनकर रह गई।

-बीजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह ने भी तिरंगा यात्रा के दौरान इस स्‍मारक को राष्‍ट्रीय स्‍मारक का दर्जा दिलाने का वादा किया था।

-इस दिशा में भी अभी तक कोई काम होता नहीं दिखता है।

-स्‍थानीय निवासियों ने कई बार इसके लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

आगे स्लाइड्स में देखिए शहीद स्मारक की बदहाली के कुछ और फोटोज...

काकोरी कांड बलिदान दिवस: बदहाल शहीद स्मारक, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा?

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