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Kalyan Singh Birth Anniversary: पहली जयंती पर सीएम योगी ने बाबूजी को किया याद, बताई ये बात
Kalyan Singh Birth Anniversary: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत नेता कल्याण सिंह को याद कर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया ।
Kalyan Singh Birth Anniversary: यूपी भाजपा को अपनी सांगठनिक क्षमता और उत्कृष्ट कार्यशैली से उंचाईयों पर ले जाने वाले पार्टी के शीर्षस्थ नेता कल्याण सिंह की जयंती पर (Kalyan Singh ki jayanti aaj) आज हर भाजपाई उनको याद कर रहा है। अस्सी के दशक में राममंदिर आंदोलन में बढचढ कर हिस्सा लेने वाले कल्याण सिंह अब भले ही दुनिया में न हो, पर आज उन्हे सम्मान और राममंदिर के लिए सत्ता को तिलाजंलि देने वाले नेता के तौर पर हर व्यक्ति याद कर रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत नेता कल्याण सिंह को याद कर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया । सीएम योगी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट (CM Yogi Tweet Post) कर लिखा, "लोकप्रिय जननेता, राम मंदिर आंदोलन में अतुल्य योगदान देने वाले भाजपा परिवार के कर्तव्यनिष्ठ सदस्य, उ.प्र. के पूर्व मुख्यमंत्री श्रद्धेय कल्याण सिंह को उनकी जयंती पर कोटिशः नमन. आदरणीय बाबू जी को उनके दृढ़ निर्णयों तथा शुचितापूर्ण जीवन के लिए सदैव स्मरण किया जाएगा ।
कल्याण सिंह को प्रखर हिन्दुत्व व राष्ट्रवादी चेहरा माना जाता था। अयोध्या आंदोलन को धार देने तथा एक रामभक्त होने के नाते उन्होंने सत्ता को मोह छोडकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया था। सादगी भरा जीवन जीने वाले कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1935 को अलीगढ जिले की अतरौली तहसील के मढ़ौली ग्राम के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम तेजपाल सिंह लोधी और माता का नाम सीता देवी था। कल्याण सिंह बचपन में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर संघ की शाखाओ में जाने लगे थें। गरीब किसान परिवार में जन्म लेने के बाद भी कल्याण सिंह ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर अध्यापक की नौकरी की। साथ-साथ वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ कर राजनीति के गुण भी सीखते रहे।
कल्याण सिंह का राजनीतिक करियर (kalyan singh political career)
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जनसंघ में आने वाले कल्याण सिंह ने अपना पहला चुनाव 1967 मे अतरौली से लडकर यूपी विधानसभा पहुंचे। इसके बाद वह लगातार 1980 तक चुनाव जीतते रहे। इस बीच जब जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हुआ और 1977 में उत्तर प्रदेष में जनता पार्टी की सरकार बनी तो उन्हे रामनरेश यादव की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। इसके बाद 1980 के चुनाव जनता पार्टी टूट गयी तो इस चुनाव में कल्याण सिह को हार का सामना करना पडा।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) का जब 6 अप्रैल 1980 को गठन हुआ तो कल्याण सिंह (Kalyan Singh) को पार्टी का प्रदेश महामंत्री बनाया गया। इसी बीच अयोध्या आंदोलन की शुरुआत गयी जिसमें उन्होने गिरफ्तारी देने के साथ ही कार्यकर्ताओ में नया जोश भरने का काम किया। इस आंदोलन के दौरान ही उनकी इमेज रामभक्त की हो गयी। उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। राम मंदिर आंदोलन की वजह से उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में भाजपा का उभार हुआ और जून 1991 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत से सरकार बनायी। उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। कल्याण सिंह की सरकार के दौरान ही बाबरी ढांचा विध्वंस हो गया तो इसका सारा दोष अपने ऊपर लेते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
यहीं से भाजपा को कल्याण सिंह के रूप में हिंदुत्ववादी चेहरा मिल गया। इसके बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा ने कल्याण सिंह के नेतृत्व में अनेक आयाम छुए। 1993 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह अलीगढ़ के अतरौली और एटा की कासगंज सीट से विधायक निर्वाचित हुये। इन चुनावों में भाजपा कल्याण सिंह के नेतृत्व में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। लेकिन सपा-बसपा ने मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में गठबन्धन सरकार बनायी और उत्तर प्रदेश विधानसभा में कल्याण सिंह विपक्ष के नेता बने।
1997 से 1999 तक भाजपा के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने
इसके बाद कल्याण सिंह 1997 से 1999 तक भाजपा के दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। 1998 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह के नेतृत्व में 58 सीटें जीतीं। 1999 में भाजपा से मतभेद के कारण कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़ दी। कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया और 2002 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव अपने दम पर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी से लड़ा। राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के चार विधायक चुने गए लेकिन कल्याण सिंह ने अपने दम पर पूरे प्रदेश में भाजपा को बडा नुकसान पहुँचाया। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनाव के पहले कल्याण सिंह ने भाजपा में वापसी बुलन्दशहर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा। चुनाव जीतकर वह पहली बार संसद पहुंचे। इसके बाद 2007 का उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भाजपा ने कल्याण सिंह के नेतृत्व में लड़ा गया। लेकिन भाजपा को इसमें कोई बडी सफलता नहीं मिल सकी। 2009 में कल्याण सिंह भाजपा से फिर नाराज हो गए तो उन्होंने भाजपा का दामन छोड़ कर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से नजदीकियां बढ़ा लीं। मुलायम सिंह की पार्टी के समर्थन से उन्होने वह 2009 चुनाव में एटा से निर्दलीय सांसद चुने गये। लेकिन इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव की पार्टी को बडा नुकसान हुआ। उनका एक भी मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका। पार्टी में कलह हुई तो मुलायम सिंह ने कल्याण से नाता तोड़ लिया।
कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय जनक्रान्ति पार्टी का गठन किया (Kalyan Singh formed rashtriya jankranti party)
इसके बाद कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय जनक्रान्ति पार्टी का गठन किया जो कि 2012 के विधानसभा चुनाव में कुछ विशेष नहीं कर सकी। एक बार फिर 2013 में कल्याण सिंह की भाजपा में पुनः वापसी हुई तो 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का खूब प्रचार किया। भाजपा ने अकेले अपने दम पर यूपी में 80 लोकसभा सीटों से 71 लोकसभा सीटें जीतीं। नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो मोदी सरकार ने कल्याण सिंह को सितंबर 2014 में राजस्थान का राज्यपाल बना दिया। इसके बाद कल्याण सिंह को जनवरी 2015 से अगस्त 2015 तक हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया। अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्होंने भाजपा की फिर से सदस्यता ली। इन दिनों वह वह अपने घर पर आराम कर रहे थे तभी उनका स्वास्थ बिगड गया।
चना और गुड खाने के बेहद शौकीन रहे कल्याण सिंह का लम्बा राजनीतिक जीवन रहा। वह पार्टी की यूपी इकाई के अध्यक्ष रहने के साथ ही दो बार यहां के मुख्यमंत्री बने। इसके अलावा राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी बने।