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Jhansi: क्या और कैसे होता है क्राइम सीन रीक्रिएशन, जानें पूरी प्रक्रिया
Jhansi Latest News: झांसी के रक्सा थाना क्षेत्र के ग्राम सिजवाहा निवासी कमलेश यादव का खून से लथपथ हालात में शव मिला था। शरीर पर गोलियों व चोटों के निशान पाए गए थे।
Jhansi Latest News: सीपरी बाजार थाना क्षेत्र (में ग्वालियर-शिवपुरी बाईपास पर पुलिया के पास 14 जनवरी की रात रक्सा थाना क्षेत्र के ग्राम सिजवाहा निवासी कमलेश यादव का खून से लथपथ हालात में शव मिला था। शरीर पर गोलियों व चोटों के निशान पाए गए थे। यह मामला हत्या और आत्महत्या में उलझ गया है। गुरुवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शिवहरी मीना के निर्देशन में कमलेश यादव कांड का खुलासा करने में लगी एसआईटी, एफएसएल टीम, राज्य विधिक आयोग व चिकित्सकों की टीम घटनास्थल पर पहुंची और बारीकी से निरीक्षण किया। वहां पर एक पुतला बनाया गया। इस पुतले को उस दिन हुए संभावित घटनाक्रम के अनुसार रखकर प्रत्येक बिन्दु का खंगाला गया।
आईए हम जानते हैं कि यह क्राइम सीन रीक्रिएशन या रीकंस्ट्रक्शन क्या होता है और कैसे होता है..........
कई बार घटना जो दिख रही होती है, वैसी नहीं होती। उदाहरण के लिए एक केस शुरु में सड़क दुर्घटना लग रहा था। बाद में मृतक के परिवार ने आरोप लगाया कि यह दुर्घटना नहीं बल्कि हत्या का मामला है। उनके मुताबिक, पीड़ित की हत्या करके उसके शव को गाड़ी के नीचे डाला गया है ताकि एेसा लगे कि मौत सड़क दुर्घटना में हुई है। बाद में फरेंसिक साइंस लैबरेट्री के वैज्ञानिकों ने क्राइम सीन रीक्रिएट करके मामले का विश्लेषण किया तो पता चला कि वाकई में मामला हत्या का था।
क्या होता है क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन? (crime scene reconstruction)
क्या हुआ, कहां हुआ, कैसे हुआ, कब हुआ, किसने किया और क्यों किया। इन सिद्धांतों पर क्राइम सीन रीकेंस्ट्रक्शन पर काम होता है। इस प्रक्रिया में उपलब्ध भौतिक साक्ष्यों के आधार पर अपराध स्थल पर यह तय किया जाता है कि घटना कैसे हुए। इस प्रक्रिया में अपराध स्थल की वैज्ञानिक जांच की जाती है, घटनास्थल के साक्ष्यों की व्याख्या की जाती है, भौतिक साक्ष्य की लैब में जांच की जाती है, केस से जुड़ी सूचनाओं की चरणबद्ध स्टडी की जाती है और तर्कों के आधार पर एक थिअरी तैयार की जाती है।
कैसे होता है क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन?
क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन की शुरुआत पीड़ित से होती है। पीड़िता से घटना के बारे में पहले पूछताछ की जाती है। अगर पीड़ित की मौत हो जाती है तो उसके करीबों का इंटरव्यू लिया जाता है या फिर घटना में शामिल लोगों से पूछताछ की जाती है। अपराध स्थल और वहां के सभी चीजों की बहुत ही सावधानीपूर्वक फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी की जाती है। जांचकर्ताओं का मामले का खुले दिमाग और बारीकी से विश्लेषण करना अनिवार्य होता है।
उदाहरण
इसका यूं सझम सकते हैं। मान लीजिए किसी घटना में एक अपराधी किसी को गोली मार देता है। उस स्थिति में जांच कर्ता इस बात पर गौर करेगा कि अगर एक निर्धारित स्थान से और एक निर्धारित एेंगल से गोली मारी जाती है, तो वह कहां जाकर लगेगी और असल में पीड़ित को कहां लगी है।
खून के धब्बे
हिंसक अपराध की स्थिति में क्राइम सीन रीकंस्ट्रक्शन में खून के धब्बे भी अहम होते हैं। जब खून किसी जख्म, हथियार या किसी अन्य चीज से गिरते हैं तो एक खास पैटर्न बनता है। खून के छींटे इस बात को दिखाते हैं कि खून किस दिशा में गया। पीड़ित या आरोपी ने भागने की कोशिश की। इस दिशा में खून के धब्बे बहुत प्रकाश डालते हैं।
पैरों के निशान
क्राइम सीन रीकंस्ट्रकेशन में पैरों के निशान भी काफी अहम होते हैं। अगर कोई संदिग्ध कहता है कि वह वहां मौजूद नहीं था और अगर उसके पैरों के निशान वहां मेल खा जाता है तो वह दोषी साबित होगा। हत्या, मारपीट, लूटपाट और रेप के मामले में पैरों के निशान काफी अहम साबित हुए हैं। जब कोई अपराध स्थल पर होता है तो उसकी चप्पलों या जूते के सोल के निशान छप जाते हैं जो नजर आ भी सकते हैं और नहीं भी।
एसआईटी (SIT) कर रही जांच
हर संभावित बिन्दु पर जांच करने के बाद भी जब पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची तो इसके खुलासे के लिए एसआईटी का गठन किया गया। इसमें सीओ क्राइम, सीओ सिटी के साथ ही पांच थानों के तेज-तर्रार थाना प्रभारियों को शामिल किया गया था।