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वट सावित्री पूजा-सोमवती अमावस्या: आज सुहागनों ने की बरगद-पीपल की पूजा, पति की लंबी आयु की कामना की

UP Latest News: रायबरेली सनातन धर्म में पति की दीर्घायु के लिए की जाने वाली वट सावित्री पूजा रायबरेली में भी पूरे विधि विधान से जारी है।

Pankaj Srivastava
Published on: 30 May 2022 10:44 AM IST (Updated on: 30 May 2022 12:14 PM IST)
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वट सावित्री पूजा-सोमवती अमावस्या (Photo: Newstrack)

UP Latest News: सोमवती अमावस्या का पर्व सोमवार को विधि विधान से मनाया गया। आज सुबह 6:30 बजे से ही महिलाओं ने बरगद पूजा शुरु कर दी। पंचांग के अनुसार जेष्ठ कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या कृतिका नक्षत्र में शुरू होकर रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) तक रहेगी। सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या का अत्यंत महत्व है इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना करने के लिए बरगद पूजा करती हैं।

व्रत रखकर कर करती पूजा अर्चना


आज के दिन सुहागिन व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में स्नेह और सद्भाव बढ़ता है।

इसके अलावा सुहागिन संतान प्राप्ति के लिए भी सोमवती अमावस्या का व्रत रखती हैं। सोमवती अमावस्या पर किए गए इस नादान से अक्षय पुण्य मिलता है मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।

इस स्थिति पर अपने-अपने क्षेत्रों की पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। संभव हो तो पौराणिक महत्व वाले तीर्थ के मंदिर के दर्शन करने चाहिए। नियम संयम से व्रत पूजन करने पर सभी की मनोरथ पूर्ण होती है।

वट सावित्री पूजा रायबरेली में
Vat Savitri Puja in Raebareli

रायबरेली सनातन धर्म में पति की दीर्घायु के लिए की जाने वाली वट सावित्री पूजा रायबरेली में (Vat Savitri Puja in Raebareli) भी पूरे विधि विधान से जारी है। यहां सुबह से ही सुहागनें वट वृक्ष के नीचे पूजा सामग्री लेकर पहुंच रही हैं। ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष में अमावस्या की तिथि को आयोजित होने वाली इस पूजा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन शंकर पार्वती की पूजा के साथ वट वृक्ष को जल देना और उस पर कच्चा धागा लपेटने की परंपरा है। कच्चा धागा लपेटना संकल्प का प्रतीक माना जाता है।

इस दिन सुहागिनें व्रत रहते हुए सुबह से ही पूजा की तैयारी में लग जाती हैं। घर की साफ सफाई और पूजा थाल सजा कर सुहागिनें पास के वट वृक्ष पर पहुंच कर पूजा सम्पन्न करती हैं। इस पूजा के साथ सावित्री और सत्यवान की कथा भी जुड़ी है। मान्यता है कि जिस तरह सावित्री ने अपने पति को यमराज के चंगुल से छुड़ाया था वैसे ही हर सुहागन अपने पति की प्राण रक्षा इस व्रत और पूजा के माध्यम से करती है।



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Vidushi Mishra

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