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Kannauj: वैशाख पूर्णिमा पर भक्तों ने गंगा में लगाई श्रद्धा की डुबकी, साधु-संतों को दिया दान
Kannauj: वैशाख माह पूर्णिमा की शुभ तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इसे बुद्ध जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
Kannauj News: जिले में महादेवी गंगा घाट पर गुरूवार को हिंदू धर्म में वैशाख महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को लेकर गंगा स्नान करने श्रद्धालु पहुंचे। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा घाट पर देखने को मिली। श्रद्धालु पतीत पावनी माँ गंगा में श्रद्धा की डुबकी लगाकर पूजा अर्चना करते दिखे। इसके बाद उन्होंने साधु संतों में दान पुण्य भी किया। बताया जाता है कि इस वैशाख की पूर्णिमा को पीपल पूर्णिमा भी कहा जाता है और इस दिन बुद्ध पूर्णिमा भी मनाई जाती हैं। इस साल वैशाख पूर्णिमा आज गुरुवार 23 मई को है। इस दिन कुछ लाभकारी उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पूर्णिमा तिथि को पूजा-पाठ और स्नान-दान के लिए बेहद शुभ माना गया है। इसलिए लोग आज के दिन गंगा स्नान करके दान पुण्य कर रहे हैं। आज के दिन लोग घर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा भी करते हैं।
वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा और पीपल पूर्णिमा के रूप मे मनाते हैं श्रद्धालु
आज के दिन यह धार्मिक मान्यता है कि वैशाख माह पूर्णिमा की शुभ तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इसे बुद्ध जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। वैशाख माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा और पीपल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था जिन्हें भगवान विष्णु का दसवां अवतार भी मानते हैं। इसी पूर्णिमा के दिन इन्हें ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी और इसी दिन उन्हें मोक्ष की प्राप्ति भी हुई थी। हिंदू धर्म में गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का दसवां अवतार माना जाता है। आइए जानते हैं इस बार वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा।
क्या कहते हैं जानकार
पंडित योगेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि बैशाख की पूर्णमासी बहुत पुण्यतिथि है। इस दिन गंगा में स्नान करके लोग पुण्य प्राप्त करते हैं और अन्न का दान करते है। गंगा स्नान का आज बहुत महत्व है। उन्होंने वैशाख पूर्णिमा पूजा विधि की जानकारी देते हुए बताया कि इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और फिर दान पुण्य जैसे पानी का घड़ा किसी ब्राह्मण को दान दें, अन्न दान करना चाहिए और इसके बाद शाम के समय सत्यनारायण कथा का पाठ सुने और पढ़े इसके लिए कसार का प्रसाद और चरणामृत जरुर बनाए। भगवान विष्णु को भोग लगाएं और फिर ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद ही अपना व्रत खोलें।