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Kannauj Train Accident: लैब भेजे गए फोरेंसिक जांच में मिले लोहे के टुकड़े

Kannauj Train Accident: एंटी सबोटैज एक्टिविटी की जांच के लिए स्वैब लिया गया। केमिकल और गिट्टी पर आयरन के कणों की जांच होगी।

Snigdha Singh
Published on: 17 Aug 2024 10:36 PM IST
Kannauj Train Accident
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Kannauj Train Accident

Kannauj Train Accident: पनकी में जहां साबरमती एक्सप्रेस डिरेल हुई वहां फोरेंसिक टीम ने एंटी सबोटैज एक्टिविटी (उपद्रवी या विरोधी तोड़फोड़) की जांच के लिए स्वैब लिया है। इसके लिए मौके से विशेष वैज्ञानिक तरीके से लोहे और गिट्टियों के टुकड़े उठाए गए। इस स्वैब को कन्नौज स्थित प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया है। अब लैब की रिपोर्ट से स्थिति साफ होगी कि वास्तव में कोई उपद्रवी हरकत हुई थी या नहीं। अगर ऐसा हुआ था तो इसके लिए क्या-क्या जतन किए गए थे?

फोरेंसिक टीम को मौके से 90 सेंटीमीटर का 80 किलो का बोल्डर (चंद्राकार लोहे का टुकड़ा) पाया गया। इस पर ऊपर से कसने के लिए एक क्लैंप भी मिला। पटरी से स्लीपर को बांधने के लिए क्लैंप का इस्तेमाल किया जाता है। इसे सिर्फ सिद्धस्त लोग ही बांध सकते हैं। टीम ने पटरी के कई जगह से स्वैब (विशेष प्रकार की पट्टी) लिए। स्वैब लेने के लिए डिस्टिल्ड वाटर डालकर कॉटन का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें संबंधित वस्तु पर चिपके कण आ जाते हैं। इसके जरिए यह जानने की कोशिश होगी कि दूसरे केमिकल का इस्तेमाल हुआ है या नहीं? गिट्टियों पर ऑयरन के कण पाए गए हैं या नहीं। यही वजह है कि इंजन से लेकर आखिरी पहिए तक चार जगह से गिट्टियों के टुकड़े लिए गए।

इंजन से लोहा टकराने की स्थिति होगी साफ

फोरेंसिक टीम ने लोहे के भी टुकड़े इंजन के पास से पीछे की तरफ से उठाए हैं। स्वैब की जांच से यह स्पष्ट होगा कि इंजन से लोहा टकराया था या नहीं। अगर टकराया होगा तो लोहे के टुकड़े पर इंजन और पटरी के ऑयरन के कण मिलेंगे। इसी तरह इंजन पर संबंधित लोहे के टुकड़े के कण पाए जाएंगे। लोहे का टुकड़ा टकराया होगा तो उसके कण इंजन के फ्रंट हिस्से में जरूर मिलने चाहिए। ऐसी टकराहट में एक दूसरे के कण दोनों पर पड़ जाते हैं।

इन तथ्यों की भी तैयार होगी जांच रिपोर्ट

जहां से ट्रेन डिरेल होनी शुरू हुई वहां स्लीपर को पत्ती से जोड़ने वाला एक लोहे का टुकड़ा मिला है। इस टुकड़े से वह दूरी 290 सेंटीमीटर की है जहां ट्रेन डिरेल हुई। इस स्थान से पिछले पहिए की दूरी 48 मीटर की है। जहां से स्लीपर फटे वहां से लोहे का टुकड़ा 70.6 मीटर की दूरी पर था। ट्रेन इस प्वाइंट को पार कर गई थी। अब इसकी भी जांच रिपोर्ट तैयार होगी ऐसा किन परिस्थितियों में हुआ होगा।



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Shalini singh

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