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Loksabha 2024: किसान यूनियन के समर्थन के साथ चुनावी मैदान में उतरे सपा सुप्रीमो‚ आज करेंगे जनसभा
Loksabha 2024: 2019 के चुनाव में भाजपा जीत हासिल करने के बाद अब फिर से चुनाव मैदान में सुब्रत पाठक अपनी जीत की हुंकार भरने में लगे हुए है‚ लेकिन इस बार उनके सामने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव चुनावी मैदान में है।
Loksabha Election 2024: कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में 13 मई को चौथे चरण के तहत मतदान होना है। इस बार कन्नौज संसदीय सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं। पिछले दो चुनाव में यहां सपा और भाजपा के बीच कांटे की लड़ाई हुई थी। पिछले लोकसभा चुनाव में सपा का गढ़ कहा जाने वाला कन्नौज जनपद से समाजवादी पार्टी से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को भाजपा के उम्मीदवार सुब्रत पाठक ने हराकर जीत हासिल की थी‚ इस हार से सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को राजनीति में गहरा आघात लगा था।
अखिलेश यादव ने आगामी लोकसभा 2024 में कन्नौज लोकसभा सीट को हासिल करने की रणनीति बनाने में जुट गये। हर दौरे में कन्नौज लोकसभा सीट से स्वयं चुनाव लड़ने का लगातार इशारा करते रहे। आखिर में उन्होंने स्वयं की दावेदारी घोषित करते हुए नामांकन दाखिल कर दिया। अब अखिलेश यादव पूरी तरह से कन्नौज लोकसभा सीट को हासिल करने के लिए तरह तरह की रणनीत बना रहे हैं। इसके लिए वह सभी का समर्थन हासिल करने के लिए लगातार लोगों से सम्पर्क कर रहे और अपनी पार्टी से जुड़े पदाधिकारियों‚ नेताओं और कार्यकर्ताओं को कन्नौज लाेकसभा सीट पर जीत के लिए कमान सौंप दी है और खुद भी मैदान में उतर आये हैं। आज शुक्रवार को अखिलेश यादव 3 बजकर 25 मिनट पर हेलीकाप्टर से आकर कन्नौज लोकसभा में एक जनसभा को सम्बोधित करेंगे।
क्या है कन्नौज लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास
कन्नौज लोकसभा सीट के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 1967 से वजूद में आई। यहां पर शुरुआती दौर में कांग्रेस को दो बार 1971 और 1984 में जीत मिली और भाजपा भी दो बार 1996 व 2019 में जीत हासिल कर चुकी है। इसके साथ ही 11 बार सोशलिस्ट विचारधारा की पार्टियों ने भी कामयाबी हासिल की है। इस लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है‚ यहां से 7 बार अपना परचम लहराया है। वर्ष 1996 में भाजपा को हराकर सपा ने इस सीट पर जीत हासिल की थी‚ जिसके बाद वर्ष 1998 से लगातार वर्ष 2014 तक सात चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की।
इस बीच उसका मुकाबला बसपा और भाजपा से होता रहा है। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव वर्ष 2019 में भाजपा से उसको हार का सामना करना पड़ा था। बात करें बसपा की तो वर्ष 2014 में बसपा मैदान में रहकर तीसरे नंबर पर रही थी। तो वहीं बहुजन समाज पार्टी वर्ष 2019 में सपा के साथ हुए गठबंधन की वजह से कन्नौज लोकसभा सीट पर चुनावी मैदान से बाहर थी‚ लेकिन इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने भी अपना उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारा है। जिससे इस बार कन्नौज लोकसभा सीट पर दिलचस्प चुनावी मुकाबला देखने को मिल रहा है।
एक नजर कन्नौज लोकसभा क्षेत्र की विधानसभाओं पर
कन्नौज लोकसभा के अन्तर्गत 5 विधानसभाएं है। जिसमें तीन कन्नौज जनपद की छिबरामऊ‚ तिर्वा और कन्नौज सदर है। तो वहीं दो अन्य जिलों की विधानसभाएं भी इस लोकसभा में सम्मिलित है। इसमें एक कानपुर देहात जिले की रसूलाबाद विधानसभा है तो दूसरी औरैया जनपद की बिधूना विधानसभा आती है। पिछले दो लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो यहां सभी पांच विधानसभा सीट पर तीन-दो के मुकाबले से सपा – भाजपा ने बाजी मारी है। वर्ष 2014 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने छिबरामऊ, कन्नौज सदर और रसूलाबाद से वोटों में बढ़त बनाकर जीत हासिल की थी‚ लेकिन तिर्वा और बिधूना में भाजपा के वोट बैंक में इजाफा हुआ था। इसी तरह वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पांच में से तीन सीट पर बढ़त मिली और जीत हासिल की‚ जिसमें भाजपा को पिछली बार तिर्वा और बिधूना के बाद रसूलाबाद सीट पर बढ़त मिली थी‚ लेकिन इस बार सपा ने छिबरामऊ और कन्नौज सदर में बढ़त बनाई। 2019 के चुनाव में भाजपा जीत हासिल करने के बाद अब फिर से चुनाव मैदान में सुब्रत पाठक अपनी जीत की हुंकार भरने में लगे हुए है‚ लेकिन इस बार उनके सामने सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव चुनावी मैदान में है।
अखिलेश को मिल रहा विकास कार्यों का समर्थन
कन्नौज लोकसभा सीट पर चुनाव भले ही त्रिकोणीय श्रंखला की ओर बढ़ रहा हो‚ बसपा ने इस बार इमरान बिन जफर काे अपना उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने फिर से सुब्रत पाठक पर दांव लगाया है‚ तो वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव खुद इस चुनावी जंग में लोहा लेने को उतरे है। सपा इस लोकसभा सीट को हासिल करने के लिए पूरी दमखम से जुटी हुई है। अखिलेश यादव लगातार इस सीट पर अपनी निगाहें बनाये हुए है और जनता के बीच जाकर उनका समर्थन मांग रहे है‚ तो वहीं उनके पार्टी के पदाधिकारी और नेता सपा सरकार में किए गये विकास कार्यों को लेकर जनता से पार्टी को जिताने की अपील कर रहे है।
किसान यूनियन ने दिया सपा को समर्थन
भारतीय किसान यूनियन (भानु गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व किसान क्रांति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह का कहना है कि हमने सन् 2014 में भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया था केंद्र में और 2019 में भी केंद्र में भाजपा को समर्थन दिया था। 2017 और 2022 में प्रदेश में भाजपा को समर्थन दिया था‚ लेकिन जो भाजपा ने कहा था कि आमदनी दोगुनी करेंगे‚ किसानों के कर्जे सब माफ कर देंगे‚ किसान आयोग का गठन कर देंगे‚ विदेशों से काला धन लाएंगे‚ यह कुछ नही किया है। इसलिए अब हम भाजपा को सपोर्ट नहीं करेंगे। हम अब अखिलेश यादव लड़ रहे है और अखिलेश यादव हमारे लिए है और हमारे मा मुलायम सिंह यादव हमारे मित्र थे‚ उनके वह पुत्र हैं और जब वह मुख्यमंत्री रहे ताे बहुत ईमानदारी से उन्होंने शासन चलाया था। अब वह अगर कन्नौज से चुनाव लड़ रहे है और उनके खिलाफ भाजपा के सुब्रत पाठक लड़ रहे हैं तो हम अखिलेश यादव भारतीय किसान यूनियन भानु का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते हम पूरे कन्नौज के अपने भारतीय किसान यूनियन भानु के पदाधिकारियों को निर्देश देते हैं कि वह अखिलेश का समर्थन करें‚ समर्थन ही नही प्रचार करें।