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Kannauj News: तिर्वा तहसील प्रशासन का हाल: पहले दिलाया कब्जा, फिर चलवा दिया बुलडोजर

Kannauj News: गांव के धर्मेंद्र कुमार, बिनोद कुमार, देवेंद्र सिंह, गंगाचरण को प्रशासन द्वारा पट्टा किया गया था। इसकी रिपोर्ट शासन को कानूनगो ओम प्रकाश दुबे ने दी थी। ग्रामीण धर्मेंद्र कहा कि पट्टे की कीमत भी अदा की थी।

Pankaj Srivastava
Published on: 25 Jun 2024 1:12 PM GMT
Kannauj News
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 Kannauj News (Pic:Newstrack)

Kannauj News: कन्नौज जिले का तिर्वा तहसील प्रशासन अपने आदेश खुद ही जारी करता है और खुद ही निरस्त भी कर देता है। एक सप्ताह पहले जिस जमीन की पैमाइश के बाद ग्रामीणों को कब्जा दिलाया गया था, अब उसी जमीन पर तहसील प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया। आपको बता दें, मामला तिर्वा तहसील के जैनपुर मार्ग का है। जानकारी के मुताबिक गांव के धर्मेंद्र कुमार, बिनोद कुमार, देवेंद्र सिंह, गंगाचरण को प्रशासन द्वारा पट्टा किया गया था। इसकी रिपोर्ट शासन को कानूनगो ओम प्रकाश दुबे ने दी थी। ग्रामीण धर्मेंद्र कहा कि पट्टे की कीमत भी अदा की थी। फिर जब प्रशासन से अनुमति मिली तब निर्माण कार्य शुरू करवा दिया।

सवालों के घेरे में कानूनगो

उधर दूसरी ओर बीते शनिवार को ठठिया थाने में आयोजित हुये समाधान दिवस में जब डीएम सुभ्रांत कुमार शुक्ल और एसपी अमित कुमार आनंद पहुंचे तो यहां ग्रामीणों ने इस मामले को अवैध बताते हुये उपरोक्त ग्रामीणों द्वारा कब्जा सरकारी नाले पर किये जाने का आरोप लगाकर शिकायत की। यह भी बताया गया कि अगर कब्जा नहीं हटाया गया तो नाले का पानी विकट समस्या पैदा कर देगा। बरसात में दुकानों और मकानों में पानी घुस जायेगा और बड़ी समस्या पैदा होगी। ग्रामीणों की इस शिकायत और मीडिया द्वारा भी अवैध कब्जे का मामला उठाये जाने के बाद डी .एम के आदेश के बाद तिर्वा प्रशासन ने कानूनगो की दी गई रिपोर्ट के बाद भी जिस आदेश को पहले जारी किया था उसको निरस्त भी कर दिया।

मंगलवार को तिर्वा एसडीएम, तहसीलदार ने राजस्व टीम और पुलिस बल के साथ पहुंचकर ने उपरोक्त स्थान पर पहुंचकर ग्रामीणों का निर्माण कार्य बुलडोजर से ध्वस्त करा दिया। पीड़ित ग्रामीणों को तो न्याय नहीं मिला पर सरकारी आदेश की अवज्ञा नहीं की गई। जिस जमीन पर निर्माण का आदेश तहसील प्रशासन ने दिया था, उसी को बुलडोजर से गिरवा दिया। निर्माण कार्य ध्वस्त कराये जाने के दौरान ग्रामीणों की भीड़ मौके पर डटी रही।

सवाल यह है कि अगर सरकारी नाले या पट्टे की जमीन पर कब्जा था, या फिर उपरोक्त जमीन पट्टा देने के योग्य नहीं थी, तो फिर इस जमीन के लिये खेल किसने खेला। दोषी कौन है, कानूनगो ने अगर रिपोर्ट गलत दी तो अब तक कानूनगो पर प्रशासन की नजरें इनायत क्यों हैं, पीड़ित ग्रामीणों को बलि का बकरा क्यों बनाया गया ? सवाल कई हैं, पर क्या जवाब लेने वाला कोई है, अगर है तो क्या कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। फिलहाल उपरोक्त पूरे मामले में हरे नोट भी चले, पर किसको किसको मिले ये तो जांच का विषय है, जो सच उजागर होनी के बाद ही सामने आ सकेगा।

Durgesh Sharma

Durgesh Sharma

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