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UP Lok Sabha Election:कन्नौज में अब सुब्रत पाठक vs तेज प्रताप, क्या डिंपल की हार का बदला ले पाएगी सपा!

UP Lok Sabha Election: सियासी जानकारों का मानना है कि इसी कारण अखिलेश यादव ने तेज प्रताप सिंह यादव के रूप में मजबूत उम्मीदवार उतार कर भाजपा को घेरने का प्रयास किया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 22 April 2024 3:48 PM IST (Updated on: 10 Aug 2024 7:09 PM IST)
Kannauj Loksabha Seat
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Kannauj Loksabha Seat (Photo: Social Media)

Kannauj Loksabha Seat: समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने आखिरकार इस बार के लोकसभा चुनाव से दूर रहने का फैसला ले लिया है। अखिलेश के कन्नौज से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थीं मगर सोमवार को उन्होंने इस सीट को लेकर अपने पत्ते खोल दिए। अखिलेश यादव ने इस सीट से अपने भतीजे व पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतार दिया है। अखिलेश ने गत दो अप्रैल को कन्नौज के सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से इस बाबत चर्चा की थी और आज उन्होंने तेज प्रताप की उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया। तेज प्रताप बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव के दामाद भी हैं।

तेज प्रताप सिंह यादव को चुनाव मैदान में उतारने से इस लोकसभा सीट पर मुकाबला अब काफी दिलचस्प हो गया है। तेज प्रताप को उम्मीदवार बनाकर सपा ने भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक को कड़ी चुनौती दे दी है। सपा मुखिया अखिलेश 2019 के लोकसभा चुनाव में सुब्रत के हाथों डिंपल यादव की हार का बदला लेने को बेताब हैं। ऐसे में उन्होंने जब खुद चुनाव न लड़ने का फैसला किया तो तेज प्रताप के रूप में एक मजबूत उम्मीदवार कन्नौज सीट पर उतार दिया है।

सपा का गढ़ रही है कन्नौज लोकसभा सीट

कन्नौज लोकसभा सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। इस लोकसभा सीट पर पार्टी काफी समय से अपनी ताकत दिखाती रही है। कन्नौज सीट पर 1998 से 2014 तक लगातार समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को इस सीट पर करारा झटका लगा था। भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव की पत्नी और सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को हराकर सपा के इस किले को ध्वस्त कर दिया था।

भाजपा ने एक बार फिर इस सीट पर सुब्रत पाठक को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा की ओर से टिकट का ऐलान किए जाने से पहले से ही सुब्रत पाठक ने क्षेत्र में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था। समाजवादी पार्टी इस बार 2019 में डिंपल यादव को मिली हार का बदला लेना चाहती है। सियासी जानकारों का मानना है कि इसी कारण अखिलेश यादव ने तेज प्रताप सिंह यादव के रूप में मजबूत उम्मीदवार उतार कर भाजपा को घेरने का प्रयास किया है।

मैनपुरी से सांसद रह चुके हैं तेज प्रताप

तेज प्रताप सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह यादव के पोते हैं। उनके पिता रणवीर सिंह यादव अखिलेश यादव के चचेरे भाई थे और उनका 36 वर्ष की कम आयु में ही निधन हो गया था। तेज प्रताप सिंह ने 2014 में मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्होंने बड़ी जीत हासिल की थी। तेज प्रताप यादव की शादी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी राजलक्ष्मी से हुई है। ऐसे में तेज प्रताप के लिए अखिलेश यादव पर लालू कुनबा का भी दबाव बना हुआ था।

2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव दो संसदीय सीटों आजमगढ़ और मैनपुरी से चुनाव लड़े थे। उन्हें दोनों क्षेत्रों में मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ था और उन्होंने दोनों सीटें जीत ली थीं। बाद में उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी और इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था। इस उपचुनाव में तेज प्रताप यादव ने जीत हासिल की थी। मैनपुरी की लोकसभा सीट पर अखिलेश यादव पहले ही अपनी पत्नी डिंपल को उतार चुके हैं। ऐसे में अब तेज प्रताप कन्नौज सीट से भाजपा को चुनौती देंगे।

सपा के लिए कन्नौज की लड़ाई आसान नहीं

वैसे सुब्रत पाठक के खिलाफ तेज प्रताप की लड़ाई आसान नहीं होगी। सांसद बनने के बाद से ही सुब्रत पाठक कन्नौज में अपनी ताकत दिखाई रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पंचायत चुनाव में भी कन्नौज में भाजपा ने ताकत दिखाई थी और जिले के आठों ब्लॉकों में एक साथ पहली बार भाजपा के प्रमुख बने थे। उसके बाद जिला पंचायत में सदस्यों की कम संख्या होने के बावजूद सियासी दांवपेंच से उन्होंने अध्यक्ष पद के चुनाव में भी सपा को पटखनी दी थी।

अध्यक्ष पद पर भाजपा की कामयाबी में सुब्रत पाठक की बड़ी भूमिका थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कन्नौज में भाजपा ने बड़ी ताकत दिखाई थी और जिले की तीनों विधानसभा सीटों पर कब्जा कर लिया था। सुब्रत पाठक के इसी सियासी कौशल और ताकत को देखते हुए भाजपा ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया है। ऐसे में तेज प्रताप के लिए कन्नौज की सियासी पिच आसान नहीं मानी जा रही है। अब देखने वाली बात होगी कि तेज प्रताप यहां 2019 के लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव की हार का बदला लेने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।

Snigdha Singh

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Leader – Content Generation Team

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