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लाशों के सौदागर: शवों से कफन नोचने का जलील धंधा, जेब में भर रहे पाप की कमाई

कानपुर के भैरो घाट, शुक्लागंज और भगवतदास घाट पर एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो लगातार इस अमानवीय कार्य में सक्रिय होकर इन सामानों को आधे दामों में बेंचकर हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है।

Shreedhar Agnihotri
Reporter Shreedhar AgnihotriPublished By Vidushi Mishra
Published on: 13 May 2021 6:44 AM GMT (Updated on: 13 May 2021 12:12 PM GMT)
The business of snatching shrouds from dead bodies, earning sin in the pocket
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कानपुर घाट पर अंतिम संस्कार (फोटो-सोशल मीडिया)

लखनऊ: निर्लज्जता घटियापन और अमानवीयता को यदि एक साथ और एक ही स्थान पर देखना हो तो पवित्र गंगा के किनारे बसे शहर कानपुर के घाटों पर आना पड़ेगा जहाँ कफ़न के सौदागर आपको मिल जायेंगे। ये वो सौदागर हैं जो किसी भी लाश का कफ़न, रामनामी दुपट्टा, बांस और अन्य सामान मुर्दे से नोचकर घाट पर आने वाले किसी ऐसे परिवार को फिर से बेंच देते हैं जिसे अपने किसी प्रियजन को खोने के कारण उस समय कुछ भी होश नहीं रहता है।

पिछले एक महीने से कानपुर के भैरो घाट, शुक्लागंज और भगवतदास घाट समेत अन्य घाटों पर एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो लगातार इस अमानवीय कार्य में सक्रिय होकर इन सामानों को आधे दामों में बेंचकर हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है।

कमाई जा रही बड़ी रकम

शवों का अंतिम संस्कार (फोटो-सोशल मीडिया)

यह गिरोह कानपुर के गंगा घाटों पर पूरे दिन सक्रिय रहता है। इनके लोग हर आने वाली अर्थी पर अपनी पैनी निगाह रखते हैं और मृतक के के घाट छोड़ते ही सारा सामान एकत्र कर देते हैं, फिर पूरा सामान व्यवस्थित करने का काम करते हैं। इसके बाद गिरोह के सदस्य इन गंगा घाटों पर घूमा करते रहते हैं।

उनकी निगाह घाट पर आने वाली ऐसी लाशों पर रहती है जिनके परिजन आर्थिक तौर पर कमजोर दिखाई पड़ते हैं। फिर ये गिरोह कफ़न 200 रूपए की बजाय 50 रुपये का, रामनवमी दुपट्टा 50 की बजाय 10 रूपए , बांस की सामग्री 300 की जगह 100 रूपए बेंच देता है। इस तरह इन कफ़न चोरों ने अब तक काफी बड़ी रकम कमाने का काम किया है ।

वहीं दूसरी तरफ यहाँ के घाटों में लकड़ी महंगी होने के कारण इन दिनों हिन्दू आस्था के विपरीत शवों को जलाने की बजाय उन्हें दफनाने का काम किया रहा है। कानपुर और उनाव के बीच बसे शुक्लागंज के रौतापुर घाट पर ये लगातार हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार यहाँ लगभग 350 शवों जा चुका है।

Vidushi Mishra

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