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Khushi Dubey: एक बार शृंगारदान भी ना खोल पायी मेरी बहू, ससुराल में बिलख-बिलख रोई दादी और खुशी

Khushi Dubey Bikaru Kand: मेरी बहू सिंगार दान तक न खोल पाई थी। लाल साड़ी के जोड़े की परत भी नहीं खुल पाई थी। अभी तो ससुराल की चहारदीवारी को भी ठीक से नहीं समझ सकी थी और जेल चली गई।

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Published on: 22 Jan 2023 7:12 AM IST
Bikeru scandal and statement of Khushi Dubeys grandmother-in-law Gyanvati Khushi Dubey released from jail
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 बिकरू कांड और खुशी दुबे की दादी सास ज्ञानवती का बयान खुशी दुबे जेल से रिहा हो गई: Photo- Social Media

Khushi Dubey Bikaru Kand: मेरी बहू सिंगार दान तक न खोल पाई थी। लाल साड़ी के जोड़े की परत भी नहीं खुल पाई थी। अभी तो ससुराल की चहारदीवारी को भी ठीक से नहीं समझ सकी थी और जेल चली गई। उसका सारा सामान सुरक्षित है। बस..एक बार मेरी नतबहू इस घर की दहलीज पर आ जाए और मेरे गले लग जाए। उसके कंधे पर सिर रखकर ये बूढ़ी आंखें जीभर रोना चाहती हैं। ये कहते-कहते खुशी दुबे की दादी सास ज्ञानवती की आंखें झर-झर बहने लगीं।

सात दिन में ही खुशी की खुशियां काफूर हो गईं

करीब ढाई साल बाद शनिवार शाम को खुशी दुबे जेल से रिहा हो गई। बिकरू में उसके ससुराल में अकेली बची वृद्धा ज्ञानवती सुबह से इस खबर का इंतजार कर रही थीं। इसी घर में बिकरू कांड से महज तीन दिन पहले खुशी ने अमर की पत्नी बनकर कदम रखा था। दो जुलाई की देर रात बिकरू में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद पुलिस ने पांच जुलाई 2020 को अमर को एनकाउंटर में मार गिराया था। सात दिन में ही खुशी की खुशियां काफूर हो गईं। साजिश के आरोप में उसे जेल भेज दिया गया था।

ढाई साल पुराने उस खौफनाक मंजर को यादकर ज्ञानवती की आंखों में खौफ तैर गया। पूछने पर बोलीं, बिकरू कांड ने हमारे परिवार की खुशियां छीन ली। बेटा अतुल दुबे मारा गया। नाती अमर मारा गया। खुशी, बेटा संजू, बहू क्षमा जेल गई। फिर बोलीं, मेरी नत बहू को तो बाहर आना ही था। अदालत पर पूरा भरोसा था।

हाथ की मेहंदी छूटी नहीं और हथकड़ी लग गई

रोती हुए ज्ञानवती बोलीं, हाथ की मेहंदी छूटने से पहले ही उसे हथकड़ी लग गई। कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा, इसी कमरे में खुशी आई थी। आज भी वहां वहां जाते ही आंसू निकल आते हैं। शादी में बेड से लेकर सिंगार दान मिला था। उसके मेकअप का सामान धूल में सना हुआ था। धीरे-धीरे उन्हें साफ किया। साड़ियां संभाल कर रखीं। दादी सास ने बताया कि मकान सील होने से पहले नत बहू खुशी का सामान दूसरी जगह रखवा दिया है। वो आएगी तो उसे सब मिल जाएगा।

नत बहू को देख लूं तो सुकून मिल जाएगा- ज्ञानवती

रूंधे गले से कहा, इस बुढ़ापे में जो दुख झेल रही हूं, भगवान किसी को न दे। एक बार नत बहू को देख लूं तो सुकून मिल जाएगा। खुशी की रिहाई को लेकर दादी ज्ञानवती खुश थीं पर मोहल्ले में सन्नाटा पसरा था। गांव के बंद अन्य आरोपितों के परिवार में भी खुशी की रिहाई की चर्चा हो रही थी।



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Shashi kant gautam

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