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Bikru kand: पुलिसवालों के खून से सनी वो रात, गोलियों की हुई थी बरसात, 8 पुलिसवाले हुए थे शहीद
दो जुलाई 2020 यूपी के इतिहास की वो तारीख है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। आधी रात को कानपुर के बिकरु गांव में सीओ,एसओ समेत आठ पुलिसवालों की नृशंस हत्या कर दी गई थी।
कानपुर: दो जुलाई 2020 उत्तर प्रदेश के इतिहास की वो तारीख है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। दो जुलाई की आधी रात को कानपुर के बिकरु गांव में सीओ,एसओ समेत आठ पुलिसवालों की नृशंस हत्या गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने कर दी थी। आज इस घटना को एक साल पूरे हो गए हैं। 2 जुलाई 2020 को रात 12.45 मिनट पर बिकरू गांव गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा हर तरफ खौफ का मंजर था और जमीन पर खून से लथपथ पुलिसवालों की लाशें दिखाई दे रही थीं। शहीद हुए पुलिसवालों की शरीर गोलियों से छलनी हो गए थे। यह यूपी पुलिस के इतिहास की सबसे दुखद घटना थी। इसके आठ दिन के अंदर ही यूपी पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर विकास दुबे और 6 गुर्गों का सफाया कर दिया था। जबकि इस घटना के 45 आरोपी जेल में बंद हैं।
2 जुलाई की वो काली रात
दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर थाना क्षेत्र के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। एफआईआर दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई। यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे। घर पर पुलिस को रोकने के लिए जेसीबी लगाई थी। पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उनपर छतों से गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं। चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर ये सभी फरार हो गए थे।
3 जुलाई की सुबह से शुरू हुआ एनकाउंटर
देश को हिला देने वाली इस वारदात के बाद तीन जुलाई की सुबह सबसे पहले पुलिस ने विकास के रिश्तेदार प्रेम कुमार पांडेय और अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया। यहीं से एनकाउंटर पर एनकाउंटर शुरू हुए। इसके बाद हमीरपुर में अमर दुबे को ढेर किया। इटावा में प्रवीण दुबे मारा गया। पुलिस कस्टडी से भागने पर पनकी में प्रभात मिश्रा उर्फ कार्तिकेय मिश्रा ढेर कर दिया गया।
गैंगस्टर विकास दुबें के एनकाउंटर पर उठे थे सवाल
कुख्यात विकास दुबे का नौ जुलाई की सुबह उज्जैन में नाटकीय ढंग से सरेंडर हुआ था। एसटीएफ की टीम जब उसको कानपुर लेकर आ रही थी तो सचेंडी थाना क्षेत्र में हुए एनकाउंटर में विकास मार दिया गया था। एसटीएफ ने दावा किया था कि गाड़ी पलटने की वजह से विकास पिस्टल लूटकर भागा और गोली चलाईं। जवाबी कार्रवाई में वो ढेर हो गया। हालांकि टोल पर मीडिया को रोकना, टीयूवी का अचानक पलट जाना। पहले वो सफारी में लाया जा रहा था, अचानक गाड़ी का बदल जाने जैसे तमाम सवाल उठे थे। हालांकि पुलिस और मजिस्ट्रेटी जांच में सभी एनकाउंटर सही ठहराए गए।
दहशत का दूसरा नाम था विकास दुबे
बिकरू कांड को अंजाम देने वाला विकास दुबे क्षेत्र में दहशत का दूसरा नाम था। चौबेपुर और शिवली थाना क्षेत्र में ही नहीं उसका सिक्का कानपुर नगर और देहात के बड़े क्षेत्र में चलता था। दरअसल, विकास ने लगातार आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया। बेखौफ इतना था कि थाने के भीतर तत्कालीन दर्जा प्राप्त मंत्री को मौत के घाट उतार दिया था।
नाबालिग खुशी समेत 45 आरोपी हैं बंद
बिकरू कांड के बाद पुलिस ने नाबालिग खुशी दुबे समेत कुल 45 आरोपियों को जेल भेजा है। इसमें खुशी समेत चार महिलाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा नौ आरोपी विकास के मददगार और असलहा खरीदने वाले हैं। असलहा खरीदने वाला भिंड के एक सपा नेता का रिश्तेदार था। जिसको एसटीएफ ने पकड़ा था। अब तक तीन आरोपियों शिवम दुबे उर्फ दलाल, राजेंद्र और बबलू मुसलान पर एनएसए लगाया जा चुका है।
बिकरू कांड के दो घटनाक्रम पर सवाल?
बिकरू कांड के दो घटनाक्रम ने तमाम सवाल खड़े किए हैं। सीधे पुलिस पर ये सवाल थे। मगर पुलिस ने किसी की एक न सुनी। हर पहलू को नजरअंदाज किया और मनमर्जी कार्रवाई की। हम बात कर रहे हैं नाबालिग खुशी दुबे को 17 धाराओं का आरोपी बना जेल भेजने और मनु पांडेय पर मेहरबानी करने की।तत्कालीन एसएसपी ने खुशी को निर्दोष बता जेल से रिहा कराने की बात कही थी लेकिन दो दिन के भीतर पुलिस मुकर गई थी। लिहाजा खुशी आज भी महिला शरणालय में बंद है। दूसरी तरफ मनु पांडेय आजाद है। अमर दुबे की 29 जून 2020 को शादी हुई थी। 30 जून को खुशी दुबे बिकरू गांव ब्याह कर पहुंची थी। एक जुलाई का दिन बीता और दो जुलाई की रात विकास दुबे ने कांड कर दिया। पुलिस ने इसमें खुशी दुबे को गिरफ्तार कर जेल भेजा।
ये जांबाज हुए थे शहीद
डीसीपी देवेंद्र कुमार मिश्रा
एसओ महेश कुमार यादव
दरोगा अनूप कुमार सिंह
दरोगा नेबूलाल
सिपाही जितेंद्र पाल
सिपाही सुलतान सिंह
सिपाही बबलू कुमार
सिपाही राहुल कुमार
बिकरू कांड -घटनाक्रम पर एक नजर
2 जुलाई - रात लगभग 12:45 बजे गैंगस्टर विकास दुबे द्वारा साथियों के साथ मिलकर आठ पुलिस कर्मियों की हत्या।
3 जुलाई- सुबह करीब 7:00 बजे पुलिस ने गांव से लगभग 2 किमी दूर कांशीराम निवादा गांव स्थित मंदिर में दबिश देकर विकास के दो अहम गुर्गों अतुल दुबे व प्रेम प्रकाश पांडे को मुठभेड़ में मार गिराया।
5 जुलाई - सुबह 4:00 बजे पुलिस ने विकास के नौकर दयाशंकर उर्फ कल्लू को मुठभेड़ के दौरान कल्यानपुर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। इसी दिन विकास पर घोषित इनाम की धनराशि बढ़ाकर एक लाख रुपये की गई।
8 जुलाई- सुबह लगभग 7:00 बजे हमीरपुर के मौदहा क्षेत्र में विकास दुबे के खास गुर्गे व पारिवारिक अमर दुबे को मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने ढेर कर दिया। इसी दिन सुबह करीब 8 बजे घटना से जुड़े बिकरू निवासी श्यामू बाजपेई को गांव से कुछ ही दूर बेला मार्ग के निकट से पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया।
9 जुलाई - सुबह फरीदाबाद से गिरफ्तार प्रभात मिश्रा को एसटीएफ ने तब मार गिराया, जब मौका पाते ही उसने हमला बोला था। इसी दिन विकास के एक अन्य साथी प्रवीण उर्फ बउआ दुबे को पुलिस ने इटावा के पास मार गिराया।
9 जुलाई- बिकरू कांड के मास्टर माइंड कुख्यात विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया गया।
10 जुलाई- सुबह लगभग 6:30 बजे यूपी एसटीएफ की टीम ने विकास को उस समय ढेर कर दिया, जब उसने मौका पाते ही एसटीएफ से पिस्तौल छीन भागने का प्रयास किया और बचाव में एसटीएफ पर फायरिंग शुरू कर दी।