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Kanpur Crime News: पति के गुनाहों की सजा या पुलिस की तानाशाही, क्यों जेल में है खुशी

कानपुर के पनकी में रहने वाले श्यामलाल के घर में जन्मी खुशी का विवाह 29 जून को अपराधी विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे के साथ शादी हुई थी।

Avanish Kumar
Reporter Avanish KumarPublished By Shashi kant gautam
Published on: 13 Jun 2021 9:35 AM GMT (Updated on: 13 Jun 2021 6:50 PM GMT)
Khushi Dubey
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विकास दुबे का घर और भतीजा अमर दुबे और उसकी पत्नी खुशी (डिजाईन फोटो: सोशल मीडिया   

Kanpur Crime News: गुनाह किसी और ने किया सजा कोई और भोग रहा है 4 दिन पहले ही बिकरू में पहुंची खुशी का सिर्फ इतना दोष था कि वह उस परिवार की बहू बनकर पहुंची जिस परिवार का अपराध से वास्ता था। खुशी को क्या पता था उसकी शादी की खुशियां मात्र 4 दिन की है। अपने पिता के घर में हंसती खेलती और खुली हवा में उड़ने वाली खुशी आज सलाखों के पीछे हैं और वह भी उसके पति के द्वारा किए गए अपराध की सजा सजा काट रही है जिस अपराध को लेकर शायद उसको यह पता भी ना था।

2 जुलाई 2020 की रात बिकरू जहां पूरे गांव में गोलियों की आवाज से दहशत फैली हुई थी तो वहीं 4 दिन पहले बहू बनकर पहुंची खुशी इस बात का पता नहीं था कि घर के बाहर से आ रही गोलियों की आवाज उसके जीवन को बदल कर रख देगी और उसकी खुशियां गम में तब्दील हो जाएंगी। पूरे घटनाक्रम को लेकर खुशी के परिजन वह उसके दोस्त समझ ही नहीं पा रहे हैं ऐसा क्या गुनाह है जिसके चलते आजाद पंछी की तरह जिंदगी जीने वाली खुशी सलाखों के पीछे हैं और परिजनों के मन में ऐसे बहुत से सवाल हैं जिसका जवाब किसी के पास नहीं है लेकिन उनके सवाल कहीं ना कहीं पुलिस पर सवाल खड़े करते हैं।

खुशी की रिहाई को लेकर अब कई संगठन वाह सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी के नेता भी मैदान में उतर आए हैं रिहाई की मांग करने लगे हैं तो वही विपक्ष भी जमकर पुलिस प्रशासन पर हमला बोल रहा है और खुशी की रिहाई की मांग कर रहा है लेकिन खुशी कौन है और कैसे इस घटनाक्रम में पुलिस ने उसे जोड़ दिया और ग्रामीण क्या सोचते हैं खुशी दुबे के बारे में आइए आपको बताते हैं Newstrack.com की इस रिपोर्ट के माध्यम से...



सबकी लाडली है खुशी

कानपुर के पनकी में रहने वाले श्यामलाल के घर में जन्मी खुशी का विवाह 29 जून की अपराधी विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे के साथ शादी हुई थी। खुशी अपने परिवार की सबसे ज्यादा लाडली बेटी थी उसके पड़ोसी बताते हैं कि घर में वह सभी को खुश रखने का प्रयास करती थी और बड़ी से बड़ी समस्या होने पर भी खुशी-खुशी उसका समाधान निकाल देती थी। आस पड़ोस के लोग भी खुशी के मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर उसकी तारीफ करते थे।

पड़ोसियों ने बताया सभी को खुश रखने वाली खुशी कि जीवन में यह भयानक समय आ गया है कि हम सब को खुश रखने वाली खुशी के इस दर्द को बांटने की बात नहीं कर पा रहे हैं खुशी के पिता दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। अपनी बेटी को रिहा कराने के लिए लेकिन कानून के दांव पेच में खुशी ऐसा फंसी है उससे बाहर नहीं निकल पा रही है। पड़ोसी बताते हैं कि अब तो श्यामलाल की हिम्मत भी जवाब दे रही है श्यामलाल की आंखों में आंसू रहते हैं और सवाल के ऐसा उसकी बेटी का क्या दोष था जिसकी सजा उसे मिल रही है।

ये आरोप लगे हैं खुशी

श्यामलाल तिवारी की बेटी खुशी की शादी 29 जून 2020 को अपराधी विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे के साथ हुई थी शादी के महज 4 दिन के बाद 2 जुलाई 2020 की रात्रि में विकास दुबे के घर पर पुलिस टीम दबिश देने के लिए पहुंची थी। इसी दौरान विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर 8 पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू हत्याकांड को अंजाम देने के बाद अमर दुबे फरार हो गया था। बीते 8 जुलाई 2020 को हमीरपुर के मौदाहा में एसटीएफ और अमर दुबे के बीच मुठभेड़ हुई थी,जिसमें अमर दुबे मारा गया था।

लेकिन उससे पहले गांव से अमर दुबे के घर से उसकी पत्नी खुशी दुबे को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और जब परिजनों ने इसका विरोध किया तो पुलिस ने यह कहते हुए परिजनों को शांत कराया था कि अमर दुबे के गिरफ्तार होते ही उसे छोड़ दिया जाएगा लेकिन अमर दुबे के एनकाउंटर के ठीक बाद पुलिस ने खुशी दुबे को भी बिकरू हत्याकांड की साजिश में शामिल होने का दोषी बताकर जेल भेजा था। जिसके बाद से लगातार उसके परिजन उसके निर्दोष होने की बात कहते चले आ रहे हैं लेकिन आज भी खुशी सलाखों के पीछे हैं जबकि पुलिस इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी खुशी दुबे के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाई है।

नहीं मिल रहे सबूत

पुलिस सूत्रों की माने तो ताबड़तोड़ गिरफ्तारी व प्रशासनिक दबाव के चलते कांड में शामिल कई लोगों को पुलिस ने जेल भेज दिया था जिसमें खुशी दुबे को भी आरोपी बनाया गया था लेकिन 29 जून 2020 को शादी के ठीक बाद वह बिकरू पहुंची थी ऐसे में उसके बारे में गांव के लोग भी ज्यादा कुछ नहीं जानते थे। जिसके चलते अभी तक पुलिस उसके खिलाफ एक गवाह भी तैयार नहीं कर पाई है जोया साबित कर दे उस रात घटी घटना में खुशी दुबे ने अपने पति के साथ मिलकर साजिश रची थी माना यह भी जा रहा है कि शक के आधार पर पुलिस ने खुशी दुबे को जेल तो भेज दिया लेकिन अब खुशी दुबे पुलिस के लिए ही काटा बन गई है जिसके चलते पुलिस पूरा प्रयास कर रही है की खुशी दुबे की जमानत ना होने पाए क्योंकि कई ऐसे अनसुलझे सवाल हैं जिसका जवाब सिर्फ खुशी दुबे के पास ही है और अगर वह जेल से बाहर आ गई और अनसुलझे सवालों का जवाब खुशी ने दे दिया तो इसमें कई प्रशासनिक अधिकारी भी जांच के दायरे में आ सकते हैं।




दबी जुबान में गांव वाले बोले निर्दोष है खुशी

बिकरू कांड की गूंज इतनी भयानक है कि गांव आज भी उसकी दहशत से बाहर नहीं निकल पा रहा है एक अरसे तक विकास दुबे के डर से जुबान न खोलने वाले ग्रामीण आज भी दहशत में हैं लेकिन इस बार विकास दुबे की दहशत नहीं बल्कि पुलिस प्रशासन की दहशत ग्रामीणों के अंदर देखने को मिल रही है गांव के अंदर गलियों में सन्नाटा आज भी पसरा हुआ है कैमरे पर बोलने के लिए कोई भी तैयार नहीं है लेकिन जैसे ही 4 दिन की बहू खुशी की बात ग्रामीणों से की जाए तो व उसके लिए बोलते हैं लेकिन खुलकर नहीं बोलते हैं डरते हैं नाम बताने में भी उन्हें डर लगता है कहते हैं भैया नाम बताएंगे तो आप छाप दोगे और हम सब की आफत हो जाएगी हम नाम तो नहीं बताएंगे लेकिन खुशी की बात है तो

आपको एक बात बता दें कि अमर दुबे के साथ जो हुआ वह बहुत अच्छा हुआ लेकिन उसकी पत्नी खुशी का तो कोई दोष ही नहीं है उसे जेल में क्यों डाल रखा है इस बात को सोचकर तो हम सब भी कहते हैं निर्दोष को सजा क्यों दी जा रही है ग्रामीण तो यहां तक कहते हैं कि उनके ऊपर उसके खिलाफ गवाही देने का दबाव भी बनाया गया लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि हम लोग उसके बारे में कुछ नहीं जानते हैं अगर वह सामने खड़ी भी हो जाती आकर तो शायद हम पहचान भी नहीं पाते उसका इस अपराध से कोई लेना देना नहीं है।

लेकिन फिर भी उसकी पति की सजा उसे दी जा रही है ग्रामीणों ने कहा कि हमारी गरीबी और हमारा डर हमें मजबूर करता है हम खुलकर नहीं बोल पाते लेकिन सच तो यह है कि पूरे मामले में खुशी को जेल में क्यों भेज दिया गया किसको लेकर तो हम लोग भी सोचते रहते हैं ग्रामीण तो यहां तक कहते हैं इस पूरे घटनाक्रम में एक दो लोग ऐसे जेल में हैं जिनका शायद कोई दोष ही नहीं है।गांव वालों ने तो कहा कि उन सभी की नजरों में खुशी निर्दोष है बाकी कोर्ट क्या फैसला करती है वह तो अलग की बात है।

क्या था बिकरू कांड

कानपुर स्थित बिकरू गांव में 2 जुलाई 2020 को देर रात कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। पूरी वारदात को विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर अंजाम दिया था.इसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए अपराधी विकास दुबे सहित कई अन्य लोगों को मुठभेड़ में मार गिराया था और इसी के साथ कांड में शामिल लोगों को जेल भी भेज था।

पुलिस ने रखा अपना पक्ष

कानपुर पुलिस ने ट्वीट कर कहा है कि सोशल मीडिया में आरोपी खुशी दुबे के संबंध में कुछ पोस्ट दिखी है अवगत कराना है...बिकरू कांड में हुई 8 पुलिसकर्मियों की हत्या में खुशी दुबे को गिरफ्तार किया गया था ।दिनांक 30.09.2020 को चार्ज शीट हुई है इनकी जमानत अर्जी मा0 उच्च न्यायालय प्रयागराज में विचाराधीन है ।


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