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कानपुर देहात गौरक्षक मौत प्रकरणः आरोपियों से जान का खतरा,धमकियों से लिया पलायन का फैसला
कानपुर देहात गौरक्षक मौत मामले में पीडितों लगातार अपनी जान के लिए जता रहे हैं जिसके कारण अब पीड़ितों ने पलायन करने का मन बना लिया है।
कानपुर देहात गौरक्षक मौत प्रकरणः कानपुर देहात का जिला प्रशासन और पुलिस पर गौ रक्षक हत्या कांड पर कई सवाल उठे थे, लेकिन सवालों के घेरे में खड़े होने के बाद भी प्रशासन और पुलिस पर एक बार फिर दाग लग रहे हैं और दोबारा अधिकारियों की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। दरअसल गौ रक्षक राजेश दुबे ने गौ वंशों के साथ हो रही बर्बर पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर पुलिस और प्रशासन से शिकायत की थी जिसके चलते उसे जान से मारने की धमकियां दी गई थीं और हत्या के 20 दिन पहले ही गोरक्षक ने अपनी हत्या की आशंका जतायी थी और उसके बाद उसकी हत्या कर शव को घर के बाहर रख दिया गया था। उस वक्त पुलिस और प्रशासन पर कार्यवाही समय रहते न करने के आरोप लगे थे। महीने भर होने के बाद भी आरोपियों पर कार्यवाही नहीं हुई, जिसके चलते अब पीड़ित के परिजन आरोपियों की धमकी और प्रशासन पुलिस की कार्यवाही से ने खुश होकर घर की दीवारों पर घर, जमीन और प्लाट बिकाऊ है, लिखवा दिया है और मौत के डर से पलायन को मजबूर हैं।
वही पीड़िता ने बताया कि आखिर क्यों वो पलायन को मजबूर है। पीड़िता के अनुसार आरोपियों की तरफ से लगातार धमकियां दी जा रही है और पुलिस प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिसके चलते परिवार पलायन का मन बना चुका है। पुलिस अधीक्षक से बात की तो उनका कहना है कि इस पूरे मामले में मृतक का वीडियोग्राफी के साथ पोस्टमार्टम कराया गया था और इसके लिए एक टीम कानपुर की भी जांचकर रही थी। प्रथम दृष्टया ये मामला खुदकुशी का लग रहा है और जांच करने वाली टीम के अनुसार भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हैंगिंग सामने आ रही है। अगर परिवार को कोई दिक्कत हो रही है तो वो अपनी बात कह सकते हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है की जिसे पुलिस हैंगिंग बोलकर खुदकुशी बता रही है क्या मृतक को फांसी पर लटका कर नहीं मारा जा सकता है, क्या मारने के बाद शव को घर के बाहर नहीं फेका जा सकता है, क्या सिर्फ पोस्टमार्टम में हैंगिंग की बात सामने आने से इसे खुदकुशी करार दिया जा सकता है या फिर गोरक्षक का मारने से पहले अपनी हत्या किए जाने का वीडियो को पुलिस झूठा मान रही है।