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Kanpur Dehat News: 99 जोड़ों का हुआ रजिस्ट्रेशन, 70 जोड़ों की शादी, सीएम सामूहिक विवाह योजना कार्यक्रम में दिखी अव्यवस्था

Kanpur Dehat News: विवाह स्थल पर मंडप लगाए गए थे, लेकिन अधिकांश जोड़ों ने सात फेरों की रस्म को केवल दिखावे के लिए निभाया। सिंदूरदान के समय कई जोड़े मांग भरने से बचते नजर आए।

Manoj Singh
Published on: 1 March 2025 4:14 PM IST
Kanpur Dehat News: 99 जोड़ों का हुआ रजिस्ट्रेशन, 70 जोड़ों की शादी, सीएम सामूहिक विवाह योजना कार्यक्रम में दिखी अव्यवस्था
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सीएम सामूहिक विवाह योजना कार्यक्रम में दिखी अव्यवस्था   (photo: social media ) 

Kanpur Dehat News: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का आयोजन कानपुर देहात के राजपुर स्थित भारतीय विद्यापीठ इंटर कॉलेज में किया गया, जहां 99 जोड़ों का रजिस्ट्रेशन हुआ। लेकिन मौके पर केवल 70 जोड़ों की शादी कराई गई और बाकी जोड़े गायब रहे। विवाह समारोह के दौरान ही कुछ जोड़े मंडप से उठकर चले गए, लेकिन किसी अधिकारी या कर्मचारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

आयोजन के दौरान टेंट के पीछे जोड़ों ने जमीन पर बैठकर खाना खाया, जिससे कार्यक्रम की अव्यवस्था उजागर हुई। अधिकांश जोड़ों ने बताया कि उनकी असली शादी कुछ दिनों बाद होने वाली है, इसलिए वे न तो फेरे ले रहे हैं और न ही मांग भर रहे हैं। इस कार्यक्रम में दिखावा अधिक और वास्तविक विवाह कम देखने को मिला। विवाह के नाम पर सिर्फ अनुदान प्राप्त करने के लिए जोड़े और उनके परिजन पहुंचे, जबकि प्रशासन मात्र औपचारिकता निभाने में लगा रहा।

कर्मचारियों ने जबरदस्ती शादी की रस्में पूरी करवाईं

विवाह स्थल पर मंडप लगाए गए थे, लेकिन अधिकांश जोड़ों ने सात फेरों की रस्म को केवल दिखावे के लिए निभाया। सिंदूरदान के समय कई जोड़े मांग भरने से बचते नजर आए। हालांकि, वहां मौजूद कर्मचारियों ने उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, लेकिन कई जोड़े फिर भी रस्में पूरी करने से कतराते रहे। नगर पंचायत राजपुर के कर्मचारियों ने जबरदस्ती शादी की रस्में पूरी करवाईं। सरकार द्वारा दिए जाने वाले सामान में एक ट्रॉली बैग, वर-वधू के कपड़े, एक बर्तन सेट, लंच पैकेट और चांदी के गहनों में केवल बिछिया और तोड़िया दी गईं, जिससे परिजन नाखुश दिखे और इसे दिखावटी चांदी बताया।

योजना केवल औपचारिकता बनकर रह गई

शासन द्वारा वधू के खाते में ₹35,000 की सहायता राशि भेजी जाती है, ₹10,000 का सामान दिया जाता है और ₹6,000 टेंट व खाने-पीने की व्यवस्था में खर्च किए जाते है। लेकिन यह योजना केवल औपचारिकता बनकर रह गई। इस पूरे आयोजन की देखरेख कर रहे अधिकारी और कर्मचारी मूकदर्शक बने रहे और फर्जीवाड़े को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया। मौके पर मौजूद राज्य मंत्री अजीत सिंह पाल ने इस मामले की जांच कराने की बात कही, जबकि समाज कल्याण अधिकारी गीता सिंह मीडिया के सवालों से बचती रहीं और उल्टा मीडिया को खाना खाने का ऑफर देकर मामले से पीछा छुड़ाने की कोशिश करती दिखीं। पूरी योजना सवालों के घेरे में आ गई है, क्योंकि शादी के नाम पर अनुदान प्राप्त करने का खेल चल रहा है और अधिकारी तमाशबीन बने हुए हैं।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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